मोदी में भाजपा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बनने के लक्षण:नितिन गडकरी

Last Updated 22 Jan 2012 11:41:58 PM IST

भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी में भाजपा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बनने के अच्छे लक्षण है.


नितिन गडकरी ने स्वयं को पार्टी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होने से इनकार करते हुए एक बार फिर नरेंद्र मोदी का खुलकर पक्ष लिया और पार्टी प्रमुख के रूप में भी उनकी उम्मीदवार का समर्थन करने का वादा किया.

गडकरी का यह बयान ऐसे समय आया है जब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और दो साल बाद लोकसभा चुनाव होंगे. 

गडकरी ने एक चैनल से कहा कि मैं प्रधानमंत्री पद के लिए कभी भी उम्मीदवार नहीं होऊंगा. मोदी में भाजपा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बनने की अच्छी संभावना है. बतौर पार्टी अध्यक्ष दिसंबर में अपना कार्यकाल पूरा करने जा रहे गडकरी ने कहा कि उन्हें अपना कार्यकाल बढ़ाये जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. मैं मोदी को पार्टी का दायित्व संभालने के वास्ते उनका समर्थन करूंगा.

जब उनसे पूछा गया कि प्रधानमंत्री पद के लिए कौन पार्टी का संभावित उम्मीदवार होगा, तब उन्होंने इसका सीधा जवाब टाल दिया और कहा कि भाजपा किसी एक के स्वामित्व वाली पार्टी नहीं है और हम उपयुक्त समय पर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार तय करेंगे.

गडकरी से पूछा गया कि क्या भाजपा अब नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर पेश करेगी तो उन्होंने कहा कि मोदी में भाजपा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री दोनों पद संभालने की क्षमता है.

भाजपा प्रमुख ने उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में उमा भारती को उतारने का जोरदार बचाव किया और इस बात का खंडन किया कि राज्य में इस मुखर नेता को लाने से प्रदेश नेतृत्व में नाराजगी है. उन्होंने कहा कि उमा भारती एक राष्ट्रीय नेता हैं और रामजन्मभूमि आंदोलन समेत कई परियोजनाओं में अग्रणी रही हैं. यदि इटली की सोनिया गांधी चुनाव लड़ सकती हैं तो उमा भारती के चुनाव मैदान में उतरने में क्या दिक्कत है.

पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने यह कहा था कि यदि राज्य में पार्टी सत्ता में आती है तो किसी भी बाहरी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा तो गडकरी ने कहा कि किसी को भी उमा से खतरा महसूस नहीं हो रहा है.

उन्होंने कथित दागदार उत्तर प्रदेश के बर्खास्त मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने के फैसले का भी बचाव किया और कहा कि पूर्व बसपा नेता के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है.

बताया जाता है कि इस फैसले से लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज और अरूण जेटली जैसे वरिष्ठ नेता खुश नहीं थे. लेकिन गडकरी ने कहा कि किसी भी नेता ने इस फैसला का आधिकारिक रूप से विरोध नहीं किया. उन्होंने कहा कि यदि कुछ नेता असहमत थे तो उन्हें मीडिया में अपनी बात रखने के बजाय मुझसे बात करनी चाहिए थी.

उन्होंने कहा कि कुशवाहा को पार्टी में शामिल करने की मैं जिम्मेदारी लेता हूं. गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय नेताओं और राज्य के नेताओं के साथ विचार विमर्श के बाद यह फैसला किया गया था, लेकिन अब यह मुद्दा खत्म समझा जाए क्योंकि कुशवाहा ने स्वयं कहा है कि उनकी सदस्यता निलंबित रखी जाए.

राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति के संबंध में उन्होंने कहा कि राजनीति में मेरी शक्ति विश्वसनीयता है. हम बसपा और सपा के साथ कोई भी प्रत्यक्ष या परोक्ष गठजोड़ नहीं चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि उनकी मुख्य चुनौती वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 200 से अधिक सीटें दिलाने की है. गडकरी के आये बयान को पार्टी के वरिष्ठ नेता किस नजरिये से लेते हैं यह तो समय बतायेगा.



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