भारत की धरती से बहुत जल्द कोई अंतरिक्ष की यात्रा करेगा, ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने पहली बार शेयर किया ISS मिशन का अनुभव
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की सफल यात्रा से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने गुरूवार को उम्मीद जताई कि जल्द ही कोई “हमारे अपने कैप्सूल से, हमारे रॉकेट से, हमारी धरती से” अंतरिक्ष की यात्रा करेगा।
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ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईएसएस मिशन का प्रत्यक्ष अनुभव बेहद अनमोल और किसी भी प्रशिक्षण से कहीं बेहतर था।
उन्होंने कहा कि भारत आज भी “सारे जहां से अच्छा” दिखता है। ये शब्द पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 में अपने अंतरिक्ष मिशन के दौरान कहे थे।
अपने ‘एक्सिओम-4’ मिशन को लेकर शुक्ला ने कहा कि आईएसएस मिशन से हासिल अनुभव भारत के ‘गगनयान’ मिशन के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा और उन्होंने पिछले साल अपने (एक्सिओम-4) मिशन के दौरान बहुत कुछ सीखा।
उन्होंने कहा, “आपने चाहे कितना भी प्रशिक्षण लिया हो, लेकिन उसके बाद भी, जब आप रॉकेट में बैठते हैं और इंजन चालू होता है तथा आप उड़ान भरते हैं, तो मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही अलग एहसास होता है।”
शुक्ला ने कहा, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि इस दौरान कैसा महसूस होगा। (आईएसएस की यात्रा के लिए) रॉकेट में सवार होने से लेकर धरती पर वापस लौटने पर उसके समुद्र में उतरने तक का अनुभव अविश्वसनीय था। यह इतना रोमांचक और अद्भुत था कि मेरे पास इसे बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं।”
संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष विभाग लगभग 70 वर्षों से अस्तित्व में है और आधिकारिक तौर पर इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की स्थापना 1969 में हुई थी।
उन्होंने कहा, “…आखिर यह सब पिछले कुछ वर्षों में ही क्यों हुआ, पिछले पांच-छह दशकों में ऐसा क्यों नहीं हो सका। हमने उन रणनीतियों पर अमल करना शुरू कर दिया है, जिनका पालन बाकी दुनिया कर रही है। अब हमारे मानक वैश्विक मानक हैं, हमारी रणनीतियां वैश्विक हैं और जिन मानदंडों पर हम खरा उतरने का प्रयास कर रहे हैं, वे भी वैश्विक हैं।”
भारत के ‘गगनयान’ मिशन के चालक दल में शामिल ग्रुप कैप्टन प्रशांत बी नायर ने कहा, “अब से कुछ महीनों बाद दिवाली आने वाली है। यही वह समय है, जब राम जी ने अयोध्या में प्रवेश किया था। अभी यहां अगर मैं खुद को लक्ष्मण कह सकूं तो… भले ही मैं उम्र में‘शुक्ला’ से बड़ा हूं, फिर भी मैं किसी दिन इस राम का लक्ष्मण बनना पसंद करूंगा।”
नायर ने कहा, “लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि राम और लक्ष्मण को पूरी वानर सेना से बहुत मदद मिली थी। यहां इसरो की हमारी शानदार टीम वानर सेना की तरह है… उसके बिना यह संभव नहीं होता।”
शुक्ला ने भारत सरकार, इसरो और उन सभी लोगों का आभार जताया, जिन्होंने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की।
उन्होंने कहा, “मैं उन सभी लोगों का भी शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जिन्होंने इस मिशन को हमारे देश की जनता तक पहुंचाने में मदद की और इसे सभी के देखने के लिए सुलभ बनाया। अंत में, मैं इस देश के प्रत्येक नागरिक का आभार जताना चाहता हूं, जिन्होंने इस तरह से व्यवहार किया, जिससे ऐसा लगा कि यह मिशन वास्तव में उनका है। मुझे सचमुच लगा कि यह पूरे देश के लिए एक मिशन था।”
मिशन के बारे में विस्तार से बताते हुए शुक्ला ने कहा, “हम क्रू ड्रैगन में सवार होकर फाल्कन-9 यान से उड़ान भरते हुए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचे और फिर दो हफ्ते बाद धरती पर वापस आए।”
उन्होंने कहा, “प्रक्षेपण फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से किया गया था और वापसी प्रशांत महासागर में सैन डिएगो के तट पर की गई थी। क्रू ड्रैगन उन तीन वाहनों में से एक है, जो वर्तमान में इंसान को अंतरिक्ष में ले जा सकते हैं।”
शुक्ला ने कहा, “हम भाग्यशाली थे कि हमें रूस से प्रक्षेपित होने वाले सोयुज और क्रू ड्रैगन पर प्रशिक्षण प्राप्त हुआ। जैसा कि आप जानते हैं, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली एक प्रयोगशाला है, जो साल 2000 से कार्यरत है। यह अत्याधुनिक प्रयोग कर रहा है और वास्तव में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक आदर्श उदाहरण है।”
VIDEO | Delhi: Addressing media about Axiom-4 mission, Indian astronaut Shubhanshu Shukla said,"...I would like to start by thanking the people who have made this mission (Axiom- 4) possible. There are multiple layers to this, not just one person. I will start by thanking the… pic.twitter.com/icR2khZUBH
— Press Trust of India (@PTI_News) August 21, 2025
शुक्ला आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं।
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