बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई, 4 राज्यों में 11 जगहों पर ED की छापेमारी

Last Updated 19 Jun 2025 04:31:07 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बिहार में 2023 में कांस्टेबलों की भर्ती में कथित घोटाले की धनशोधन जांच के सिलसिले में गुरूवार को कई राज्यों में छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।


सूत्रों ने बताया कि बिहार के पटना और नालंदा, रांची (झारखंड), लखनऊ (उत्तर प्रदेश) और कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में कम से कम एक दर्जन स्थानों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई की जा रही है। ये ठिकाने एजेंट, प्रश्नपत्र लीक कराने वाले गिरोह के सदस्यों और उनके सहयोगियों से जुड़े हैं।

सूत्रों के अनुसार कोलकाता में एक प्रेस पर भी छापा मारा गया जहां प्रश्नपत्रों की छपाई हुई थी।

उन्होंने बताया कि इस कथित घोटाले को अंजाम देने वाले लोग वही हैं जो 2024 में नीट यूजी के प्रश्नपत्र लीक घोटाले के आरोपी हैं।

बिहार पुलिस कांस्टेबल 2023 भर्ती का उद्देश्य बिहार पुलिस की विभिन्न इकाइयों में 21,391 रिक्तियों को भरना था।

यह परीक्षा 1 अक्टूबर, 2023 को बिहार के 37 जिलों में 529 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिसमें 18 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे।

परीक्षा के पेपर लीक होने के आरोपों के बाद, इसे उसी वर्ष 3 अक्टूबर को राज्य केंद्रीय कांस्टेबल चयन बोर्ड (सीएसबीसी) द्वारा रद्द कर दिया गया था।

धन शोधन का मामला बिहार पुलिस (आर्थिक अपराध इकाई या ईओयू) की कुछ प्राथमिकियों से उपजा है। ईडी को इस मामले में धनशोधन का संदेह है क्योंकि एजेंटों के एक गिरोह ने प्रश्नपत्र लीक करके और इसे उम्मीदवारों को बेचकर ‘अपराध से आय’ (अवैध धन) अर्जित की और उम्मीदवारों द्वारा दिए गए धन का इस्तेमाल निजी संपत्ति बनाने के लिए किया।

सूत्रों के अनुसार, बिहार के कुछ पुलिस अधिकारी भी ईडी की जांच के दायरे में हैं।

राज्य पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें तीन पश्चिम बंगाल के थे। पुलिस ने इस पेपर लीक के पीछे संजीव मुखिया की अगुवाई वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह को जिम्मेदार ठहराया।

मुखिया नालंदा जिले के एक सरकारी कॉलेज में तकनीकी सहायक के तौर पर काम कर चुका है। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है।

बिहार ईओयू ने पाया कि कौशिक कुमार कर नामक एक आरोपी की कोलकाता स्थित कंपनी कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड है और उसे कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र छापने और आपूर्ति करने का ठेका दिया गया था।

हालांकि, इस बात का खुलासा हुआ कि कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड एक कमरे वाली ‘शेल’ कंपनी थी, जिसमें कोई कर्मचारी कार्यरत नहीं था और प्रश्नपत्रों की छपाई और आपूर्ति का काम ब्लेसिंग सिक्योर्ड प्रेस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को दिया गया, जहां कर की पत्नी निदेशक थीं।

ईओयू के अनुसार, कर कथित तौर पर 2019 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) और 2022 में अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (एपीपीएससी) द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र लीक मामलों में शामिल था। उसने ‘ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना की।

ईओयू ने 2023 में एक बयान में कहा कि उसने कर और उसके सहयोगियों द्वारा प्रश्नपत्रों के परिवहन, भंडारण और हैंडओवर के संबंध में मानक संचालन प्रक्रियाओं से "गंभीर" विचलन देखा।

सहमति के अनुसार प्रश्नपत्रों को राज्य के खजाने में भेजने के बजाय, कर की संबद्ध फर्मों ने उन्हें पटना में डीपी वर्ल्ड एक्सप्रेस लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व वाले गोदाम में भेज दिया, जहां अधिकारियों को सूचित किए बिना छह दिनों तक इन प्रश्नपत्रों को रखा गया।

ईओयू के अनुसार, इस अवधि के दौरान, संजीव मुखिया गिरोह के सदस्यों से कर ने संपर्क किया और प्रश्नपत्रों को खोलकर गिरोह के सदस्यों के बीच वितरित किया गया, ताकि उन्हें आगे उम्मीदवारों को वितरित किया जा सके, जिन्होंने ‘अग्रिम ज्ञान’ के लिए भारी रकम का भुगतान किया।

एक अक्टूबर 2023 को परीक्षा के आयोजन के दौरान, कई उम्मीदवार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और धोखाधड़ी के अन्य तरीकों का उपयोग करके नकल करते पकड़े गए, जिसके कारण परीक्षा स्थगित कर दी गई।

अनियमितताओं की शिकायतों के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई और 7 अक्टूबर और 15 अक्टूबर (2023) के लिए निर्धारित टेस्ट भी स्थगित कर दिये गये।

नीट-यूजी का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए किया जाता है। 2024 में, यह परीक्षा 5 मई को 571 शहरों में 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिसमें 14 विदेशी शहर भी शामिल थे। इस परीक्षा में 23 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे।

बिहार पुलिस ने कथित पेपर लीक की सूचना मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की और जल्द ही यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी, जिसने कई प्राथमिकी दर्ज कीं और बिहार सहित विभिन्न राज्यों से जांच अपने हाथ में ले ली।
 

भाषा
नई दिल्ली


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