Not Found Suitable अब नया मनुवाद... राहुल गांधी ने BJP पर लगाया आरक्षित वर्ग के खिलाफ साजिश का आरोप
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि सरकारी पदों की भर्तियों में 'नॉट फाउंड सूटेबल' (कोई योग्य नहीं मिला) की श्रेणी नया "मुनवाद" है और यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के युवाओं को शिक्षा तथा नेतृत्व से दूर रखने की साजिश है।
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह के साथ संवाद में यह दावा भी किया मोदी सरकार शिक्षा रूपी हथियार को कुंद करने में लगी हुई है।
उन्होंने बीते 22 मई को दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर का दौरा किया था और छात्रों से बातचीत की थी। इस बातचीत का वीडियो उन्होंने मंगलवार को अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया।
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, " ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ अब नया मनुवाद है। एससी /एसटी/ओबीसी के योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर ‘अयोग्य’ ठहराया जा रहा है - ताकि वे शिक्षा और नेतृत्व से दूर रहें।"
उनके मुताबिक, "बाबासाहेब डॉ बी आर आंबेडकर ने कहा था: शिक्षा बराबरी के लिए सबसे बड़ा हथियार है। लेकिन मोदी सरकार उस हथियार को कुंद करने में जुटी है। दिल्ली विश्वविद्यालय में 60 प्रतिशत से ज़्यादा प्रोफ़ेसर और 30 प्रतिशत से ज़्यादा एसोसिएट प्रोफ़ेसर के आरक्षित पदों को नॉट फाउंड सूटेबल बताकर खाली रखा गया है।"
उन्होंने दावा किया कि यह कोई अपवाद नहीं है क्योंकि आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालय..., हर जगह यही साज़िश चल रही है।
उन्होंने कहा कि 'नॉट फाउंड सूटेबल' संविधान पर हमला है और सामाजिक न्याय के साथ धोखा है।
‘Not Found Suitable’ अब नया मनुवाद है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 27, 2025
SC/ST/OBC के योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर ‘अयोग्य’ ठहराया जा रहा है - ताकि वे शिक्षा और नेतृत्व से दूर रहें।
बाबासाहेब ने कहा था: शिक्षा बराबरी के लिए सबसे बड़ा हथियार है। लेकिन मोदी सरकार उस हथियार को कुंद करने में जुटी है।
दिल्ली… pic.twitter.com/JfPe1xxQdm
राहुल गांधी ने कहा, "यह सिर्फ़ शिक्षा और नौकरी की नहीं - हक़, सम्मान और हिस्सेदारी की लड़ाई है। मैंने छात्रों से बात की। अब हम सब मिलकर भाजपा/आरएसएस की हर आरक्षण-विरोधी चाल को संविधान की ताक़त से जवाब देंगे।"
वीडियो में उन्होंने यह दावा भी किया कि "हिंदुत्व प्रोजेक्ट" का मकसद दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्गों के इतिहास को मिटाना है।
राहुल गांधी ने यूट्यूब पर अपने पोस्ट में कहा कि निजीकरण का असली मतलब है संस्थाओं से दलितों और ओबीसी को अलग रखना।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि नई शिक्षा नीति पिछड़े, दलित, आदिवासी युवाओं से प्रतिस्पर्धा का लाभ छीनने का प्रयास है तथा शिक्षण संस्थाओं का निजीकरण कर शिक्षा महंगी की जा रही है और इससे भारत का एक बहुत बड़ा वंचित वर्ग अच्छी शिक्षा तक पहुंच नहीं पा रहा है।
उन्होंने कहा, " हमारी लड़ाई इसी बढ़ती असमानता के खिलाफ़ है। इसका जवाब है जाति जनगणना, आरक्षण पर से 50 प्रतिशत की सीमा हटाना, अनुच्छेद 15(5) से निजी संस्थाओं में भी आरक्षण, एससी एसटी सब प्लान जो दलित आदिवासी नीतियों को उचित आर्थिक सहायता दिलवाए। तब जा कर होगा न्याय!"
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