पहलगाम हमले के जवाब में भारत के मिसाइल हमले के कुछ घंटे बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को नष्ट करने और भविष्य में ऐसे किसी हमले को रोकने के लिए ‘नपी-तुली, टकराव को नहीं बढ़ाने वाली, संतुलित और जिम्मेदाराना’ कार्रवाई की।
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भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी हवाई सीमा पार किए बिना पाकिस्तान में आतंकवादियों के कई ठिकानों पर बुधवार सुबह सटीक हमले किए और जैश-ए-मोहम्मद व लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षण शिविरों, ‘लॉन्च पैड’ और मुख्यालयों को निशाना बनाया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि भारत ने जब आधी रात के बाद ये हमले किए तब पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में नौ महत्वपूर्ण स्थलों पर बड़ी संख्या में आतंकवादी मौजूद थे।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए इन हमलों के दौरान बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय को निशाना बनाया गया।
पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद पलटवार करते हुए ये हमले किए गए।
अधिकारियों ने बताया कि सशस्त्र बलों ने इन स्थलों पर संचालित हो रहे आतंकी शिविरों के बारे में "गुप्त खुफिया जानकारी" के आधार पर पाकिस्तान में चार और पीओजेके में पांच स्थानों को चुना।
पाकिस्तानी सशस्त्र बल के प्रवक्ता ने बीबीसी को दिए साक्षात्कार में पुष्टि की है कि भारतीय वायुसेना ने बहावलपुर और मुरीदके को निशाना बनाया।
अधिकारियों के अनुसार ऑपरेशन के दौरान लाहौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर मुरीदके में लश्कर के मुख्य ठिकाने पर लगातार चार बार हमला किया गया। मुरीदके, 1990 से लश्कर का गढ़ है, जहां अजमल कसाब और नौ अन्य आतंकवादियों को मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले से पहले प्रशिक्षित किया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा, 26/11 हमले के आरोपी डेविड हेडली और तहव्वुर राणा भी वहां गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में 2011 में मारे गए अलकायदा आतंकवादी ओसामा बिन लादेन ने मुरीदके में एक गेस्टहाउस के निर्माण के लिए 10 लाख रुपये का दान दिया था।
अधिकारियों ने बताया कि हाफिज सईद के नेतृत्व में लश्कर-ए-तैयबा ने जम्मू-कश्मीर, बेंगलुरु और हैदराबाद समेत देश के कई अन्य हिस्सों में भी आतंकवादी हमले किए हैं।
अधिकारियों के अनुसार मुरीदके में स्थित तैयबा के मरकज (केंद्र) को 'आतंक की फैक्ट्री' कहा जाता है, यह लश्कर-ए-तैयबा का सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र है।
अधिकारियों ने बताया कि भर्ती किए गए लोगों को बरगलाया जाता है, प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस शिविर में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लगभग 1,000 छात्र नामांकित हैं।
दूसरा बड़ा लक्ष्य बहावलपुर है, जो 1999 में आईसी-814 के अपहृत यात्रियों के बदले मसूद अजहर की रिहाई के बाद जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र बन गया था।
यह समूह भारत में कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है, जिसमें 2001 में संसद पर हमला, 2000 में जम्मू - कश्मीर विधानसभा पर हमला, 2016 में पठानकोट में भारतीय वायुसेना के अड्डे पर हमला और 2019 में पुलवामा आत्मघाती हमला शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जा चुके अजहर को अप्रैल 2019 के बाद से सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है।
अधिकारियों ने बताया कि अजहर ने जनवरी 2000 में आतंकवादी संगठन शुरू किया था और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई), अफगानिस्तान में तत्कालीन तालिबान नेताओं, बिन लादेन और पाकिस्तान में सुन्नी सांप्रदायिक संगठनों से उसे सहायता मिली थी।
अधिकारियों ने कहा कि बहावलपुर में मरकज सुब्हानअल्लाह वह जगह है जहां जैश-ए-मोहम्मद अपने लड़ाकों को प्रशिक्षित करता है और उन्हें अपने विचारों से प्रेरित करता है।
अधिकारियों ने बताया कि फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले की योजना इसी शिविर में बनाई गई थी जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत हुई थी।
उन्होंने चुने गए ठिकानों का विवरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान के पंजाब के नारोवाल जिले के सरजाल तेहरा कलां में जैश-ए-मोहम्मद का शिविर आतंकवादी समूह का केंद्रीय ‘लांचिंग पैड’ था और इसका संचालन एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से किया जा रहा था, जिसकी देखरेख शिविर का वास्तविक प्रमुख अब्दुल रऊफ असगर करता था।
अधिकारियों ने बताया कि जम्मू के सांबा सेक्टर से सिर्फ छह किलोमीटर दूर स्थित इस जगह का उपयोग स्थानों की पहचान करने, घुसपैठ के लिए सीमा पार सुरंग खोदने और सीमा पार हथियार व नशीले पदार्थ भेजने के ड्रोन के संचालन के लिए किया जाता है।
अधिकारियों के अनुसार पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए बुधवार को किए गए ऑपरेशन के तहत निशाना बनाए गए अन्य ठिकानों में कोटली में मरकज अब्बास और पीओजेके के मुजफ्फराबाद में सैयदना बिलाल शिविर (सभी जैश-ए-मोहम्मद के शिविर) शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा, बरनाला में मरकज अहले हदीस और मुजफ्फराबाद में शवावाई नाला शिविर (सभी लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित) और कोटली में मरकज राहिल शाहिद और सियालकोट में (प्रतिबंधित हिज्बुल मुजाहिदीन के) महमूना जोया को भी निशान बनाया गया।
कुछ हमलों का ब्यौरा देते हुए अधिकारियों ने कहा कि पीओजेके के मुजफ्फराबाद में शवाई नाला शिविर एक महत्वपूर्ण लश्कर शिविर है, जहां 26/11 के हमलावरों को प्रशिक्षण दिया गया था।
उन्होंने कहा कि 2000 में शुरू हुए इस शिविर में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के अधिकारी अक्सर आते रहते हैं, जहां एक समय में 200-250 आतंकवादी रह सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इन शिविरों से आतंकवादी मुख्य रूप से दक्षिणी कश्मीर में घुसपैठ करते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के कोटली में स्थित मरकज अब्बास शिविर को इसलिए चुना गया क्योंकि इसका नेतृत्व असगर का करीबी सहयोगी कारी जरार कर रहा हैं और यहां जैश-ए-मोहम्मद के 100-125 आतंकवादी मौजूद हैं। एनआईए ने जरार को वांछित घोषित कर रखा है।
अधिकारियों के अनुसार मुजफ्फराबाद में स्थित मरकज सैयदना बिलाल के नाम से मशहूर जैश-ए-मोहम्मद के एक और शिविर में 50-100 आतंकवादी मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना का विशेष सेवा समूह इस शिविर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को प्रशिक्षण देता है।
उन्होंने कहा कि सियालकोट में महमूना जोया आतंकी शिविर का इस्तेमाल जम्मू क्षेत्र में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों की घुसपैठ के लिए किया जाता है और यह हथियार चलाने समेत प्रशिक्षण के लिए भी एक जगह है।
अधिकारियों ने बताया कि इस शिविर में करीब 30 आतंकवादी हैं और इसका नेतृत्व इरफान टांडा कर रहा है जो जम्मू शहर में हमलों के लिए जिम्मेदार है।
अधिकारियों के अनुसार पीओजेके के कोटली में स्थित मरकज राहील शाहिद शिविर को भी भारतीय वायुसेना ने निशाना बनाया, जिसका इस्तेमाल खास तौर पर हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) और स्नाइपर हमलों की ट्रेनिंग देने के लिए किया जाता है।
भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह कार्रवाई नपी-तुली रही है और इसमें किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है। रक्षा मंत्रालय ने रात 1:44 बजे जारी एक बयान में कहा, "थोड़ी देर पहले, भारतीय सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों निशाना बनाया, जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और उन्हें अंजाम दिया गया।"
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