Supreme Court की बड़ी टिप्पणी, आरोपी का अदालत के समक्ष पेश न होना बेल रद्द करने का आधार नहीं

Last Updated 30 Jan 2024 06:35:09 AM IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने व्यवस्था दी है कि किसी आरोपी का अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से हाजिर न होना जमानत रद्द करने का आधार नहीं हो सकता।


सुप्रीम कोर्ट

यह कहते हुए कि जमानत देने और जमानत रद्द करने के मानदंड "पूरी तरह से अलग" हैं, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पहले से दी गई जमानत रद्द की जा सकती है, अगर यह पाया जाता है कि जिस व्यक्ति को जमानत का लाभ दिया गया है, उसने किसी भी शर्त का उल्लंघन किया या गवाहों को प्रभावित करके या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करके रिहाई का दुरुपयोग किया।

पीठ में न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि आक्षेपित फैसले में ऐसा कुछ भी दर्ज नहीं किया गया है, क्योंकि इसने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा पारित सितंबर 2023 के आदेश को रद्द कर दिया है।

जमानत रद्द करते हुए और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और गौरांग कंठ की पीठ ने कहा था कि व्यक्तिगत हाजिरी के लिए बार-बार निर्देश के बावजूद हाजिर न होना कानून की प्रक्रिया से बचने के लिए एक ढीठ रुख को उजागर करता है।

अपीलकर्ता ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि वह उच्च न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सका, क्योंकि वीआईपी के आगमन के कारण यातायात जाम था और उसने एक दिन पहले ही अपने वकील का वकालतनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) वापस ले लिया था।

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment