बेटियां अब शिक्षण संस्थानों में भी सुरक्षित नहीं

Last Updated 05 Jan 2024 12:03:51 PM IST

जो पार्टियाँ लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा का दावा करती हैं और जिनकी सरकारें केंद्र और राज्य दोनों जगह हैं, वो ही ऐसे जघन्य अपराधों में शामिल पाई जाती हैं


बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित है। उसी संस्थान की एक छात्रा के साथ तीन युवकों ने जो बर्बरता और क्रूरता दिखाई, वह भाजपा के आईटी सेल के बताए जा रहे हैं जिनकी तस्वीरें प्रधानमंत्री, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी के साथ हैं। इतना ही नहीं इन कथित आरोपियों के बारे में यह भी साफ हो गया है कि हाल ही में मध्य प्रदेश विधानसभा में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी सेवाएं ली गईं। ये सारी बातें इस दुखद स्थिति की ओर इशारा करती हैं कि जो पार्टियाँ लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा का दावा करती हैं और जिनकी सरकारें केंद्र और राज्य दोनों जगह हैं, वो ही ऐसे जघन्य अपराधों में शामिल पाई जाती हैं। फिर आम आदमी का विश्वास कैसे होगा कानून पर? आईआईटी-बीएचयू में जो कुछ भी हुआ, सभी माता-पिता अपनी लड़कियों को पढ़ाई और नौकरी के लिए घर से दूर भेजने से डरेंगे। इसका सीधा असर लड़कियों की शिक्षा और विकास पर पड़ेगा।

पीड़ित छात्रा अपने दोस्त के साथ थी, तभी कुणाल, आनंद उर्फ अभिषेक और सक्षम ने न सिर्फ उसे अपनी शैतानी हवस का शिकार बनाया, बल्कि इस अमानवीय कृत्य और कुकृत्य को कैमरे में भी कैद कर लिया। कारण पीड़िता को चुप कराना रहा होगा।

दुखद बात यह है कि जब इस छात्रा ने अपने साथ हुई घटना की शिकायत संस्थान के आला अधिकारियों से की तो उसके घाव पर मरहम पट्टी करने और हर तरह से न्याय सुनिश्चित करने की बजाय उसकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया और कोई कार्रवाई नहीं की। जब छात्रों ने इस मुद्दे पर धरना-प्रदर्शन शुरू किया तो कुछ हद तक पूरे मामले की सच्चाई सामने आ गई, लेकिन इसके बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई, टालमटोल का सिलसिला जारी रहा और इस तरह से ये हैवान 2 महीनों तक घूमते रहे।

30 दिसंबर को तीनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि इन्हें सजा मिलेगी और एक मिसाल कायम होगी ताकि भविष्य में कोई भी जाहिल व्यक्ति हमारे देश और समाज को नुकसान न पहुंचा सके। आईआईटी-बीएचयू मामला बेहद दर्दनाक है क्योंकि यह पहली बार नहीं है कि इन कथित आरोपियों ने यह जघन्य कृत्य किया है। पुलिस ने जानकारी दी है कि इससे पहले भी कैंपस में हुई छेड़छाड़ की तीन घटनाओं में भी ये लोग शामिल थे। आरोपी कुणाल, आनंद उर्फ अभिषेक और सक्षम को जेल भेजने के बाद पुलिस अब चार्जशीट तैयार कर रही है। इस बीच, छानबीन में सामने आया कि तीनों पोर्न एडिक्ट हैं। उनके मोबाइल में पोर्न वीडियो और हिस्ट्री में पोर्न वेबसाइट्स के लिंक मिले हैं। फोन के बैकअप में भी कई पोर्न वीडियो और अश्लील तस्वीरें पाई गई हैं।

जब इतने उच्च संस्थानों में छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं तो हमें कल्पना करनी चाहिए कि देश की अन्य छोटी-छोटी जगहों पर छात्राओं व बच्चियों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा और न्याय पाने के लिए कितनी यातनाओं से उनको और उनके परिवार को गुज़रना पड़ता होगा। हमें इस पहलू पर भी विचार करना चाहिए कि देश की मीडिया ने इस पूरी घटना पर उसी तरह फोकस क्यों नहीं किया जैसा 2012 में दिल्ली के अंदर निर्भया के साथ हुई बेहद दिल दहला देने वाली घटना के मामले में किया था? क्या ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कथित आरोपियों का सत्ताधारी अभिजात वर्ग से गहरा संबंध है? या इसलिए कि यह घटना दिल्ली के बजाय बनारस में हुई है जहां कोई विपक्षी दल सत्ता में नहीं है? हमें समझना चाहिए कि यदि मीडिया अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से नहीं निभाएगा तो न जाने कितने उत्पीड़ित लोग गुमनामी में सिसकते हुए मर जाएंगे और न्याय का खून बह जाएगा।

दबे-कुचले लोगों और उत्पीड़ित लोगों की आवाज़ बनना और उनमें यह विश्वास पैदा करना कि मीडिया उनके अधिकारों की रक्षा के लिए मौजूद है, इस पेशे का गौरव है। सत्ता का अत्याचार, वंचितों का बचाव करना या उनके घृणित कार्यों पर पर्दा डालना, पेशे को कलंकित करता है। यदि हम चाहते हैं कि ऐसा समाज हो जहां शांति स्थापित हो, मान-सम्मान की रक्षा हो तथा जान-माल को किसी भी प्रकार का खतरा न हो तो इस देश के राजनीतिक दलों को भी अपने मतदाताओं को आश्वस्त करना चाहिए कि उनके पास अपराधियों और ठगों के लिए कोई जगह नहीं है क्योंकि जब अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता है, तो समाज न्याय के प्रति निराश हो जाता है। यह एक सफल लोकतांत्रिक व्यवस्था के अस्तित्व में सबसे बड़ी बाधा है। अगर हमें आगे बढ़ते रहना है तो बेटियों की सुरक्षा सिर्फ नारों में ही नहीं बल्कि हकीकत के धरातल पर भी सुनिश्चित करनी होगी। वरना बेहतर भविष्य का सपना एक शर्मनाक एहसास होगा।

कश्फी शमाएल
नई दिल्ली


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