Pranab Rahul : प्रणब की जीवनी में है राहुल पर तीखा हमला : राहुल गांधी को राजनीतिक कौशल के बिना गांधी-नेहरू वंश का अहंकार है

Last Updated 07 Dec 2023 07:48:50 AM IST

भारत के 13वें राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की बेटी शर्मिष्ठा (Sharmistha Mukherjee) द्वारा लिखी गई विस्फोटक जीवनी 'प्रणब, माई फादर' (PRANAB MY FATHER) से पता चलता है कि पूर्व राष्ट्रपति ने अपनी डायरी में लिखा था कि "राहुल गांधी को राजनीतिक कौशल के बिना गांधी-नेहरू वंश का अहंकार है।"


भारत के 13वें राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा द्वारा लिखी गई जीवनी 'प्रणब, माई फादर'

मुखर्जी संजय गांधी की साजिशों, राजीव की नाराजगी और सोनिया के अविश्‍वास के बावजूद पश्चिम बंगाल की राजनीति के हाशिये से निकलकर देश के सबसे ऊंचे पद तक पहुंचे थे। राष्ट्रपति भवन में उनसे मिलने गए राहुल के बारे में उन्‍होंने डायरी में लिखा था, जब 2014 में कांग्रेस को करारी हार मिली थी।

बेटी शर्मिष्ठा के अनुसार, प्रणब लिखा था, "उन्होंने (राहुल) पार्टी के चुनाव प्रदर्शन पर अपने विचार दिए।" अलग तरीके से, दूर से एक बाहरी व्यक्ति के रूप में, जैसे कि वह अभियान का चेहरा और पार्टी का मुख्य प्रचारक नहीं थे।"

और फिर, उनकी तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करते हुए मुखर्जी ने अपनी डायरी में लिखा (जिसकी सामग्री अब तक सार्वजनिक डोमेन में नहीं थी) : "शायद पार्टी से उनकी दूरी और जज्‍बे की कमी उनका उत्साह बढ़ाने में विफलता का कारण हो सकती है। पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ना है तो वैसा मंत्र मिलना चाहिए, जो भाजपा को नरेंद्र मोदी से मिला है।”

इन शब्दों में राजनीतिक पर्यवेक्षकों की टिप्पणियों के आलोक में एक समकालीन प्रभाव है, जो मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मतदाताओं पर कोई प्रभाव डालने में राहुल और उनकी बहन प्रियंका गांधी की विफलता पर सवाल उठा रहे हैं, जब उन्होंने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था।

उनकी बेटी और जीवनीकार (जो एक प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्‍यांगना हैं और कांग्रेस के टिकट पर दिल्ली में चुनाव लड़ चुकी हैं) लिखती हैं : "उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं ने राहुल के खिलाफ 'जहर उगला' और कई वरिष्ठ नेताओं ने शिकायत की कि राहुल उनसे नहीं मिल रहे थे।"

प्रणब को लगा कि राहुल की कुछ टिप्पणियां उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता को दर्शाती हैं। वह राहुल की लगातार गायब रहने वाली हरकतों से भी निराश थे। प्रणब का मानना था कि गंभीर राजनीति 24x7, 365 दिन का काम है।

आगे लिखा है, "वह व्यक्तिगत रूप से समय निकालने में विश्‍वास नहीं करते थे, और सभी आधिकारिक और पार्टी कार्यक्रमों में लगन से शामिल नहीं होते थे। उन्हें लगा कि राहुल के लगातार ब्रेक, खासकर पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि के दौरान उन्हें धारणा की लड़ाई में हार का सामना करना पड़ रहा था।"

प्रणब मुखर्जी ने एक बार अपनी बेटी की ओर इशारा करते हुए कहा था कि राहुल, पार्टी के 130वें स्थापना दिवस पर एआईसीसी मुख्यालय में ध्वजारोहण समारोह के दौरान स्पष्ट रूप से अनुपस्थित थे।

यह बात 28 दिसंबर 2014, आम चुनाव में पार्टी की करारी हार के बमुश्किल छह महीने बाद की है।

उनकी बेटी लिखती हैं, ''प्रणब ने अपनी डायरी में लिखा, 'राहुल एआईसीसी समारोह में मौजूद नहीं थे। मुझे कारण नहीं पता, लेकिन ऐसी कई घटनाएं हुईं। चूंकि उन्हें सब कुछ इतनी आसानी से मिल जाता है, इसलिए वह इसकी कद्र नहीं करते। सोनियाजी अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाने पर तुली हुई हैं, लेकिन युवा व्यक्ति में करिश्मा और राजनीतिक समझ की कमी एक समस्या पैदा कर रही है। क्या वह कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकते हैं? क्या वह लोगों को प्रेरित कर सकते हैं? मुझे नहीं पता।"

शर्मिष्ठा द्वारा वर्णित एक हास्यास्पद घटना में वह लिखती है कि एक सुबह, जब उसके पिता मुगल गार्डन (अब अमृत उद्यान) में अपनी सामान्य सुबह की सैर कर रहे थे, राहुल उनसे मिलने आए।

शर्मिष्ठा लिखती हैं, ''प्रणब को सुबह की सैर और पूजा के दौरान कोई भी रुकावट पसंद नहीं थी। फिर भी उन्होंने उनसे मिलने का फैसला किया। बाद में पता चला कि राहुल वास्तव में शाम को प्रणब से मिलने वाले थे, लेकिन उनके (राहुल के) कार्यालय ने गलती से उन्हें सूचित कर दिया कि सुबह में मिलेंगे।"

बेटी आगे कहती हैं : "मुझे एडीसी में से एक घटना के बारे में पता चला। जब मैंने अपने पिता से पूछा, तो उन्होंने व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, 'अगर राहुल का कार्यालय सुबह और शाम के बीच अंतर नहीं कर सकता, एएम और पीएम में फर्क नहीं समझ सकता तो वे एक दिन पीएमओ चलाने की उम्मीद कैसे करते हैं?"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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