Chandrayaan-3: विक्रम लैंडर से बाहर निकला रोवर, चंद्रमा की सतह पर की चहलकदमी
चंद्रयान-3 की बुधवार को सफल लैंडिंग के साथ इसरो ने इतिहार रच दिया। और आज विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर भी बाहर निकल आया है। इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी है।
![]() |
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान -3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के करीब ढ़ाई घंटे बाद रोवर प्रज्ञान ने सतह पर आकर चहलकदमी की। इसरो ने अपने ट्वीट में लिखा, चंद्रयान-3 का रोवर लैंडर से नीचे उतर गया है। भारत ने चंद्रमा पर सैर की।
इसरो के मुताबिक, रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम से बाहर आ गया है और उसने चांद पर अशोक स्तंभ और इसरो के निशान छोड़ दिए हैं।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 24, 2023
Chandrayaan-3 ROVER:
Made in India
Made for the MOON!
The Ch-3 Rover ramped down from the Lander and
India took a walk on the moon !
More updates soon.#Chandrayaan_3#Ch3
बता दें कि प्रज्ञान के पहियों पर इसरो और अशोक स्तंभ के निशान बने हैं। जैसे-जैसे वह आगे बढ़ेगा चांद की जमीन पर ये निशान छोड़ता जाएगा। इसरो ने चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिग से पहले इसकी जानकारी दी थी। इसमें रोवर के एक तरफ के पहियों पर इसरो का निशान है और दूसरी तरफ के पहियों पर अशोक स्तंभ का निशान बना है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘प्रज्ञान’ को सफलतापूर्वक लैंडर से बाहर निकालने के लिए इसरो की टीम को बधाई दी।
उन्होंने कहा, ‘‘‘विक्रम’ के चंद्रमा की सतह पर लैंड करने के कुछ घंटे बाद रोवर का बाहर निकलना चंद्रयान-3 के एक और चरण की सफलता को दर्शाता है। मैं अपने देशवासियों और वैज्ञानिकों के साथ पूरे उत्साह से उस जानकारी और विश्लेषण की प्रतीक्षा कर रही हूं जो ‘प्रज्ञान’ हासिल करेगा और चंद्रमा के बारे में हमारे ज्ञान को समृद्ध करेगा।’’
चंद्रयान-3 के एलएम ‘विक्रम’ ने तय समय पर बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद की सतह को छुआ, जिससे पूरा देश जश्न में डूब गया।
इसरो ने इससे पहले कहा था कि 26 किलोग्राम वजनी छह पहियों वाले रोवर को लैंडर के अंदर से चांद की सतह पर उसके एक ओर के पैनल को रैंप की तरह इस्तेमाल करते हुए बाहर निकाला जाएगा।
लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और जिन्हें चंद्रमा के वातावरण के अध्ययन के उद्देश्य से एक चंद्र दिवस अवधि (करीब 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालन के लिए डिजाइन किया गया है।
इसरो के अधिकारियों ने हालांकि इसके अगले चंद्र दिवस तक काम करते रहने की संभावना से इनकार नहीं किया है।
रोवर इस दौरान चांद की सतह पर घूमकर वहां मौजूद रसायन का विश्लेषण करेगा।
लैंडर और रोवर के पास वैज्ञानिक पेलोड हें जो चांद की सतह पर प्रयोग करेंगे।
रोवर अपने पेलोड ‘एपीएक्सएस’ (अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) के जरिए चंद्रमा की सतर का अध्ययन करेगा ताकि रासायनिक संरचना की जानकारी प्राप्त की जा सके और चंद्रमा की सतह के बारे में ज्ञान को और बढ़ाने के लिए खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके।
‘प्रज्ञान’ में भी एक पेलोड - ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एलआईबीएस) है जो चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना का पता लगाएगा।
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इससे पहले कहा था, ‘‘लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद रैंप और लैंडर के अंदर से रोवर को निकालने की प्रक्रिया की जाएगी। इसके बाद एक के बाद एक सभी प्रयोग होंगे - इन सभी को चंद्रमा पर सिर्फ एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन में पूरा करना होगा।’’
| Tweet![]() |