Manipur Violation : हिंसा की जांच के लिए SC ने बनाया 3 महिला जजों का पैनल

Last Updated 11 Aug 2023 09:09:38 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की जांच के लिए तीन महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित की है, जिसे ऐसी घटनाओं पर जानकारी एकत्र करने के साथ-साथ राहत की स्थिति की निगरानी करने का काम सौंपा गया है।


सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित समिति शिविर लगाना और पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्णय भी लेगी।

सीजेआई डी.वाई .चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने गुरुवार देर रात अपलोड किए गए अपने फैसले में समिति से पूछा, जिसमें जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति गीता मित्तल, बॉम्बे उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति शामिल हैं। शालिनी फणसलकर जोशी और दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति आशा मेनन - बचे हुए लोगों या उनके परिवार के सदस्यों, स्थानीय या सामुदायिक प्रतिनिधियों, राहत शिविरों, एफआईआर या मीडिया रिपोर्टों के साथ व्यक्तिगत बैठकों सहित सभी उपलब्ध स्रोतों से जानकारी एकत्र करेंगी।

पीठ ने कहा कि ऐसी समिति के गठन का उद्देश्य न्याय प्रणाली में समुदाय के विश्‍वास को बहाल करना है और दूसरा, यह सुनिश्चित करना है कि कानून का शासन बहाल हो।

इसने समिति से लैंगिक हिंसा से बचे लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक कदमों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा, और यह सुनिश्चित किया कि विस्थापितों के लिए स्थापित राहत शिविरों में स्वच्छ राशन, बुनियादी चिकित्सा देखभाल, आवश्यक उत्पाद, मुफ्त सैनिटरी पैड हों।

समिति को राहत शिविरों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति और किसी भी जांच, लापता व्यक्तियों और शवों की बरामदगी पर अपडेट प्रदान करने के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन के प्रावधान के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया, "नोडल अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने संबंधित राहत शिविरों में रहने वाले सभी व्यक्तियों का डेटाबेस बनाए रखें।"

समिति को हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा और मुआवजा देने का काम सौंपा गया है। इसे सभी पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है। शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया, "जहां पीड़ित की मृत्यु हो गई है, वहां मुआवजे के भुगतान के लिए उसके निकटतम रिश्तेदार की पहचान की जानी चाहिए।"

समिति राज्य सरकार को हिंसा से प्रभावित व्यक्तियों की चल और अचल संपत्तियों को हुए नुकसान के मुआवजे का निपटान करने के निर्देश जारी कर सकती है। यह पाक्षिक आधार पर अपनी अद्यतन स्थिति रिपोर्ट सीधे शीर्ष अदालत को सौंपेगी।
 

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment