Nitish Kumar और Satyapal Malik कहीं विपक्षियों को इसलिए तो नहीं कर रहे हैं एकजूट?
विपक्ष की कमोबेश सभी पार्टी एकजुट होकर 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करना चाहती हैं। लगभग सभी पार्टियों के नेता एकजुट होने की बात भी कर रहे हैं, लेकिन विपक्षियों को एकजुट करने में सबसे अधिक सक्रियता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिखाई है।
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जबकि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक बिना किसी शोर-शराबे के वह अलग से ही विपक्षियों को एकजुट करने के प्रयास में लगे हुए हैं। इन दोनों नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें प्रधानमंत्री पद की दावेदारी नहीं करनी है, और ना ही उन्हें प्रधानमंत्री बनना है। ऐसे में एक सवाल पैदा होता है कि जब इन दोनों नेताओं को प्रधानमंत्री बनना ही नहीं है तो फिर विपक्षियों को एकजुट करने के लिए इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि इन दोनों नेताओं की निगाह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद पर लगी हैं।
कहीं ऐसा तो नहीं इनकी निगाहें कहीं और हैं। भविष्य में कुछ और ही बनने की चाहत रख रहे हों। इस समय पूरे देश की पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगी हुई हैं। क्योंकि 2024 का चुनाव कई मायनों में अब तक हुए अन्य चुनावों से कहीं बहुत अलग होने वाला है। भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार को अच्छी तरह पता है कि अगर 2024 में उनकी सरकार नहीं बनी तो उनके साथ क्या होने वाला है। जबकि विपक्ष की सभी पार्टियों को यह अच्छी तरह पता है कि अगर 2024 में वह भाजपा को हराने में सफल नहीं हुए तो उसके बाद उन पार्टियों का क्या हश्र होने वाला है।
2024 का चुनाव सिर्फ जीत और हार का चुनाव नहीं है। वह चुनाव है अस्तित्व का। अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन बचाने का। आगामी 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक होने जा रही है, जिसमें विपक्षी पार्टियों के मुखिया शामिल होंगे। अभी तक राहुल गांधी, मलिकार्जुन खरगे वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, शरद पवार और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शामिल होने की सूचना मिल चुकी है। 2024 लोकसभा चुनाव के बाद अगर विपक्षी पार्टियों की सरकार बनती है तो बहुत सी चीजें बदलेंगी। एक समय के बाद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का पद भी खाली होगा। ऐसे में विपक्षी पार्टियों की कोशिश होगी कि अपनी-अपनी पसंद के लोगों को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति बनाया जाए।
ऐसे में कुछ लोग अभी से उसी योजना के मुताबिक काम करने की कोशिश कर रहे होंगे। प्रत्यक्ष रूप से तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह जरूर कहा जा सकता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक की निगाहें उस पद पर जरूर लगी होंगी। वैसे भी इन दोनों की उम्र इतनी हो चुकी है कि शायद यह दोनों नेता अब सक्रिय राजनीति से विदा लेने का मन बना चुके होंगे। साथ ही साथ इनकी मेहनत यह बताने के लिए पर्याप्त है कि कहीं ना कहीं उन दोनों नेताओं ने ऐसी अपेक्षाएं जरूर बना ली होंगी, लेकिन सवाल फिर से वही कि यह सारी चीजें तभी होंगी जब 2024 में केंद्र में विपक्ष की सरकार बनेगी।
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