Twitter के पूर्व CEO बोले- ट्विटर बंद करने की मिली थी धमकी, जैक डॉर्सी के दावों पर केंद्रीय मंत्री बोले- सरासर झूठ
भारत सरकार ने ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी के दावों को सिरे से खारिज किया है। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि डॉर्सी सरासर झूठ बोल रहे हैं।
![]() ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी (फाइल फोटो) |
ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने दावा किया है कि भारत सरकार की तरफ से उन पर दबाव बनाया गया और देश में ट्विटर को बंद करने तथा कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की भी धमकी मिली।
यूट्यूब चैनल ब्रेकिंग पॉइंट्स के साथ सोमवार देर रात एक इंटरव्यू के दौरान, डॉर्सी ने कहा कि धमकियां तब मिलनी शुरू हुई, जब ट्विटर ने 2021 की शुरुआत में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान अकाउंट्स को ब्लॉक करने की सरकार की मांगों को मानने से इनकार कर दिया था।
डॉर्सी ने कहा, सरकार की तरफ से उनके कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की बात कही गई। साथ ही नियमों का पालन नहीं करने पर ऑफिस बंद करने की भी धमकी दी गई और यह सब भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हुआ।
डॉर्सी ने कहा, भारत एक ऐसा देश है, जहां से किसान आंदोलन के दौरान हमारे पास बहुत सी मांगें आ रहीं थीं, कुछ खास पत्रकारों को लेकर जो सरकार के आलोचक थे। हमसे यहां तक कहा गया कि 'हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे'। यह हमारे लिए बड़ा बाजार है।
डॉर्सी के आरोप पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे पूरी तरह झूठ करार दिया। उन्होंने कहा कि न तो कोई जेल गया और न ही ट्विटर को बंद किया गया।
यूट्यूब शो 'ब्रेकिंग पॉइंट्स विद क्रिस्टल एंड सागर' में, ट्विटर के पूर्व CEO जैक डोर्सी ने आरोप लगाया कि, "किसानों के विरोध और पत्रकार जो सरकार के आलोचक थे, उनको लेकर भारत सरकार के पास से हमारे पास कई अनुरोध आए और कहा गया कि हमें(ट्विटर) भारत में बंद कर दिया जाएगा, जो हमारे लिए… pic.twitter.com/VBqNK3FXrs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 13, 2023
पिछले साल, ट्विटर ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को बताया था कि उसे 2021 में दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के दौरान कई अकाउंट्स को पूरी तरह से ब्लॉक करने के लिए कहा गया।
ट्विटर ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अकाउंट्स ब्लॉक करने का आदेश संविधान के तहत उपयोगकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन हैं। याचिका में सरकार के कदम को मनमाना और आईटी एक्ट की धारा 69ए का उल्लंघन भी बताया गया है।
केंद्र सरकार का कहना था कि ब्लॉक करने के आदेश राष्ट्रीय और जनहित में जारी किए गए थे और हिंसा को रोकने के लिए कार्रवाई की गई थी।
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