अपनी धनुष बाण से खुद ही घायल होंगे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे!

Last Updated 10 Apr 2023 01:01:02 PM IST

राजनेताओं के किसी भी प्रोग्राम को राजनीति से ना जोड़ा जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अयोध्या यात्रा भी इससे अछूती नहीं है। पूरे लाव लश्कर के साथ उन्होंने रविवार को अयोध्या में रामलला के दर्शन किए।


महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो)

अपनी धनुष बाण से खुद ही घायल होंगे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे!

राजनेताओं के किसी भी प्रोग्राम को राजनीति से ना जोड़ा जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अयोध्या यात्रा भी इससे अछूती नहीं है।  पूरे लाव लश्कर के साथ उन्होंने रविवार को अयोध्या में रामलला के दर्शन किए। एकनाथ शिंदे की अयोध्या यात्रा को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। महाराष्ट्र में कभी हिंदुत्व के सबसे चेहरे रहे बाला साहब ठाकरे की  हिंदुत्ववादी वाली विरासत को कौन संभालेगा, इसको लेकर पिछले कई महीनों से उधव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच होड़ मची हुई है। चर्चा यह भी हो रही है कि  अयोध्या की यात्रा भर कर देने से हिंदुत्व के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ से भी कोई बड़ा चेहरा हो सकता है।

 एकनाथ शिंदे अपने 50 विधायकों और दर्जनभर सांसदों के साथ अयोध्या पहुंचे थे। उनकी यात्रा में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा के चार मंत्री भी शामिल थे। एकनाथ शिंदे ने यहां अपनी पार्टी को मिले चुनाव चिन्ह, "धनुष बाण' को प्रभु राम का आशीर्वाद बताया। एकनाथ शिंदे की इस अयोध्या यात्रा के संबंध में बहुत सी बातें कही जा रही हैं। बहुत से विचार व्यक्त किए जा रहे हैं। लेकिन इस यात्रा से तीन बातें  बिल्कुल स्पष्ट हैं। पहली यह कि, एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बनना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि महाराष्ट्र में उधव ठाकरे को हिंदुओं से दूर कर दिया जाए। दूसरा यह कि, वह चाहते हैं कि पूरे देश में उनकी  एक ऐसी इमेज बने, जिसे देशभर के लोग हिंदुत्व का बड़ा  चेहरा मानने लगें।

 महाराष्ट्र में कभी बाला साहब ठाकरे हिंदुत्व के हार्डकोर चेहरा हुआ करते थे। हिदू हार्डकोर छवि के चलते ही महाराष्ट्र की राजनीति में उनकी धमक हुआ करती थी। उनके देहांत के बाद बालासाहेब ठाकरे की विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उनके बेटे उद्धव ठाकरे के कंधे पर आ गई थी, लेकिन ऐसा माना जाने लगा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की लालसा में जब उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन किया तो महाराष्ट्र के तमाम हिंदू उन्हें कमतर आंकने लगे। महाराष्ट्र  के हिंदू यह मान बैठे कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए बालासाहेब ठाकरे के वसूलों को भुला दिया।

 भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस, जो कभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे,उन्हें भी हिंदुत्व का चेहरा माना जाता रहा, लेकिन वह भी हिंदुत्व की हार्डकोर नेता की छवि नहीं बना पाए। पूरा देश जानता है कि इस समय प्रधानमंत्री मोदी के बाद अगर पूरे देश में हिंदुत्व का कोई हार्डकोर नेता है तो वह हैं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ। एकनाथ शिंदे की बढ़ रही पापुलैरिटी से भाजपा के कई नेता खुश नहीं हो रहे होंगे। संभवतः ऐसे लोगों में देवेंद्र फडणवीस का भी नाम होगा। बहरहाल शिवसेना से अलग होने के बाद एकनाथ शिंदे की पार्टी को चुनाव आयोग की तरफ से "धनुष बाण' चुनाव चिन्ह मिल गया था।

एकनाथ शिंदे इसे भगवान राम का आशीर्वाद मानते हैं। वह महाराष्ट्र में धनुष बाण का प्रचार-प्रसार कर यह कहने की तैयारी में लग गए है कि धनुष बाण साक्षात राम ने उन्हें आशीर्वाद स्वरुप प्रदान किया है। एकनाथ शिंदे राजनीति में कुछ ज्यादा लंबी छलांग लगा रहे हैं। भले ही उन्होंने भाजपा से मिलकर सरकार बना ली हो। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हों, लेकिन उनकी डोर भाजपा के हाथ में है। एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों की  अयोग्यता वाले मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। उसका फैसला कभी भी आ सकता है। अगर उनके खिलाफ फैसला आया तो मुख्यमंत्री की कुर्सी उनसे छीन सकती है।

 कथित तौर पर बीजेपी किसी अन्य पार्टी के नेता को उतना ही आगे बढ़ाती है, जितना वह चाहती है। वह चाहती है कि उसकी गठबंधन के नेता का कद इतना न बढ़े कि भाजपा का कद छोटा पड़ जाए। जिस तरह से एकनाथ शिंदे अपने कद को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं , संभव है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वह अर्श से फर्श पर आ जाएं। उधर एकनाथ शिंदे की अयोध्या यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ का कोई सकारात्मक बयान नहीं आया है। एकनाथ शिंदे इस  यात्रा को भले ही राम का आशीर्वाद मान रहे हों, लेकिन असली आशीर्वाद उन्हें भाजपा से ही मिलना है। अगर भाजपा को जरा भी एहसास हो गया कि एकनाथ शिंदे अपने आप को बड़ा करने की कोशिशों में लग गए हैं, तो एक झटके में उनकी कोशिशों को पलीता भी लग सकता है।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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