शरद पवार के बयान के बाद कमजोर होगी विपक्षी एकता की डोर!

Last Updated 08 Apr 2023 12:22:52 PM IST

एनसीपी प्रमुख शरद पवार (NCP chief Sharad Pawar) ने टाटा (TATA), बिरला (Birla) की तुलना अंबानी (Ambani) और अडानी (Adani) से कर दी। यानी उनकी नजर में अडानी वैसे ही उद्योगपति हैं, उसी विचारधारा के उद्योगपति हैं जैसे टाटा और बिरला हैं।


एनसीपी प्रमुख शरद पवार

संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की मांग को अनुचित बता दिया है।विपक्षी एकता को मजबूत करने की दिशा में जी जान से जुटे शरद पवार (Sharad Pawar) ने विपक्ष की एक ऐसी मांग को गलत करार दिया है, जिसे लेकर समूचा विपक्ष पिछले कई महीनों से मोदी (Modi) को घेरने की कोशिश कर रहा है।

शरद पवार ने प्रत्यक्ष रूप से अडानी और अंबानी की प्रशंसा की है। विपक्षियों की संयुक्त संसदीय समिति यानी JPC की मांग को अनुचित बताया है। शरद पवार के इस बयान से निश्चित ही विपक्ष के नेता विचलित हो रहे होंगे। वो सोचने पर मजबूर हो रहे होंगे। खास करके कांग्रेस यह जरूर सोच रही होगी कि शरद पवार ने आखिर ऐसा बयान क्यों दिया? इससे पहले जब सावरकर को लेकर राहुल गांधी ने बयान दिया था तो शरद पवार ने राहुल गांधी के बयान से किनारा कर लिया था। राहुल गांधी जहां वीर सावरकर को अंग्रेजों का गुलाम बताते रहे, वहीं शरद पवार ने स्पष्ट कर दिया था कि सावरकर मराठियों की शान हैं, समूचा मराठा समुदाय उन्हें अपना आदर्श मानता है। सावरकर को लेकर कांग्रेस और एनसीपी के बीच मतभेद भी पैदा हुए थे, लेकिन इतने बड़े मतभेद को दोनों ने आपस में बैठकर सुलझा लिया था।

अब शरद पवार ने जेपीसी जैसे मुद्दे को अनावश्यक बताते हुए कह दिया है कि अडानी को लेकर हिंडनबर्ग ने जो रिपोर्ट जग जाहिर की थी उसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी ही पर्याप्त है। उन्होंने दलील देते हुए कहा है कि संसदीय समिति में 21 सदस्य होते हैं, जिनमें 15 सदस्य सत्ताधारी पार्टी के होते हैं, बाकी छह सदस्य विपक्ष की पार्टियों के होते हैं, ऐसे में मुमकिन है कि संसदीय समिति भी अडानी के पक्ष में ही अपनी रिपोर्ट दे। सवाल यह नहीं है कि शरद पवार ने जेपीसी की मांग को गलत क्यों बताया है। पहला सवाल यह है कि उन्होंने अडानी की तुलना टाटा बिरला से करके ठीक किया है? दूसरा सवाल यह है कि जेपीसी को लेकर उन्होंने अपना स्टैंड क्यों बदला?

यहां बता दें कि अभी कुछ दिन पहले एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने भी प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की थी। पूरे देश को पता हो या ना हो महाराष्ट्र के सभी लोग अच्छी तरह जानते हैं कि  2009 और 2014 के बीच अजीत पवार के ऊपर 70 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप लगे थे। उस समय वो महाराष्ट्र के कृषि मंत्री भी हुआ करते थे। उस इस घोटाले के आरोप में वो जेल भी जा सकते थे, लेकिन महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की वजह से उनके ऊपर लगे सारे आरोप हटा लिए गए थे। उन्हें क्लीनचिट दे दी गई थी।

कुछ महीने पहले ही अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर 500 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था। अजित पवार के इस कदम से महाराष्ट्र की सरकार नाराज हो गई थी। सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र सरकार, अजित पवार की घोटाले वाली फाइलों को एक बार फिर खोलने की तैयारी में लग गई थी। अभी उनके खिलाफ लगे आरोपों की फाइलें खुलती, उसके पहले ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ कर दी, शायद इस उम्मीद में कि अब उनकी पुरानी फाइलें नहीं खोलीं जायेंगीं। हालांकि अजित पवार की पुरानी फाइलें खुलेंगीं या नहीं खुलेंगीं, इसको लेकर अभी भी असमंजस बरकरार है। इसी बीच शरद पवार ने भी जेपीसी को लेकर बयान दे दिया है। शरद पवार के इस बयान के बाद सत्ता पक्ष निश्चित ही राहत की सांस ले रहा होगा। संभवतः शरद पवार ने अपने भतीजे को बचाने की खातिर ऐसा बयान दिया हो।

शरद पवार ने किसी भी मकसद से ऐसा बयान दिया हो , लेकिन सत्तापक्ष को उनका बयान जरूर अच्छा लग रहा होगा। शरद पवार का दूसरा बयान सबसे महत्वपूर्ण है। शरद पवार ने अडानी की तुलना टाटा और बिरला से करके, ठीक वैसा ही किया है,जैसा सरदार वल्लभभाई पटेल, भीमराव अंबेडकर और डॉ राजेंद्र प्रसाद की तुलना आज के नेताओं से करना। हालांकि आज भी अच्छे नेता हैं, जो चरित्रवान भी हैं और देश के प्रति अच्छा सोचने वाले भी। लेकिन कुछ नेता ऐसे हैं, जिनकी तुलना देश के पुराने नेताओं से नहीं की जा सकती। शरद पवार ने जो बयान दिया है, उससे एक बात तो साफ है कि कहीं ना कहीं उन्हें भी अडानी से प्यार है। अडानी से लगाव है।

अडानी से कभी न कभी उन्हें भी फायदा हुआ होगा, या हो सकता है कि भविष्य में अडानी उनके लिए फायदेमंद साबित होने जा रहे हों। पवार के इस बयान से विपक्ष सोचने पर मजबूर हो गया है। विपक्षी एकता के लिए शरद पवार एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं, ऐसे में उनका पूरे विपक्ष की मंशा के खिलाफ जाकर बयान देना कई सवाल खड़े करता है।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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