सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पराक्रम दिवस के अवसर पर बोले मोदी- हीनभावना से ग्रस्त थीं पूर्व सरकारें

Last Updated 24 Jan 2023 08:02:59 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को आरोप लगाया कि पहले की सरकारों में ‘विकृत वैचारिक राजनीति’ के कारण ‘आत्मविश्वास की कमी और हीनभावना’ रही, जिसकी वजह से देश के सामथ्र्य को कम आंका गया।


कितने दूर-कितने पास : नई दिल्ली स्थित संसद के केंद्रीय कक्ष में नेताजी को पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ प्रसन्न मुद्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने ‘दुर्गम और अप्रासंगिक’ मानकर हिमालयी, पूर्वोत्तर और द्वीपीय क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा की तथा उनके विकास को नजरअंदाज किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह आरोप भी लगाया कि आजादी के बाद देश के स्वाधीनता आंदोलन के इतने बड़े नायक को भुला देने का प्रयास हुआ।


नेताजी की याद में दिल्ली के इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने, आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लाल किले पर तिरंगा फहराने, उनके जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने सहित अन्य कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘जिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आजादी के बाद भुला देने का प्रयास हुआ, आज देश उन्हें पल-पल याद कर रहा है।’ कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुख, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल देवेंद्र कुमार जोशी सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे देश की पहले की सरकारों में, खासकर विकृत, वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो आत्मविश्वास की कमी और हीनभावना रही, उसके कारण देश के सामथ्र्य को हमेशा कम आंका गया।’

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्य हों या फिर अंडमान निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र.. इन्हें लेकर यह सोच रहती थी कि ये तो दूरदराज के दुर्गम और अप्रासंगिक इलाके हैं। और इसी सोच के कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई। उनके विकास को नजरअंदाज किया गया। अंडमान निकोबार द्वीप समूह इसका भी साक्षी रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने सिंगापुर, मालदीव और सेशेल्स का उदाहरण देते हुए कहा कि अपने संसाधनों के सही इस्तेमाल से ये देश और द्वीपीय क्षेत्र पर्यटन के आकषर्ण का केंद्र बन गए हैं और आज पूरी दुनिया से लोग इन देशों में पर्यटन के लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा ही सामथ्र्य भारत के द्वीपों के पास भी है, जो दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कभी पहले ध्यान ही नहीं दिया गया। हालात तो यह थे कि हमारे यहां कितने द्वीप हैं, कितनी टापू हैं, इसका हिसाब-किताब तक नहीं रखा गया।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले लोग अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने यहां आते थे, लेकिन आज लोग यहां इतिहास को जानने और जीने के लिए भी पहुंच रहे हैं।

द्वीपों की सूची

लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा के नाम पर धन सिंह द्वीप, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुजरेरजी तारापोर के नाम पर तारापोर द्वीप, लांस नायक करम सिंह के नाम पर करम सिंह द्वीप, नायब सूबेदार बाना सिंह के नाम पर बाना द्वीप, लांस नायक अल्बर्ट एक्का के नाम पर एक्का द्वीप, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल के नाम पर खेत्रपाल द्वीप, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे के नाम पर पांडे द्वीप, मेजर होशियार सिंह के नाम पर होशियार द्वीप, मेजर शैतान सिंह के नाम पर शैतान द्वीप, नायक जदुनाथ सिंह के नाम पर जदुनाथ द्वीप, सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव के नाम पर सूबेदार द्वीप, कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार (सीक्यूएमएच) अब्दुल हमीद के नाम पर हमीद द्वीप, सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणो के नाम पर राणो द्वीप, मेजर रामास्वामी परमेरन के नाम पर रामास्वामी द्वीप, कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर बत्रा द्वीप, सूबेदार जो¨गदर सिंह के नाम पर जो¨गदर द्वीप, कैप्टन जीएस सलारिया (तत्कालीन मेजर) के नाम पर सलारिया द्वीप, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह के नाम पर पीरू द्वीप, मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर सोमनाथ द्वीप, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों के नाम पर सेखों द्वीप और सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार के नाम पर संजय द्वीप।

भाषा
पोर्ट ब्लेयर


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