BBC की डॉक्यूमेंट्री बैन, सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने आपातकालीन शक्तियों का किया इस्तेमाल

Last Updated 22 Jan 2023 06:41:23 AM IST

केंद्र ने बीबीसी के वृत्तचित्र ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन‘ का लिंक साझा करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।


सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने आईटी नियम, 2021 के तहत आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शुक्रवार को निर्देश जारी किए। सूत्रों ने बताया कि विदेश, गृह मामलों और सूचना एवं प्रसारण सहित कई मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने वृत्तचित्र की पड़ताल की और पाया कि यह उच्चतम न्यायालय के अधिकार और विसनीयता पर आक्षेप लगाने, विभिन्न भारतीय समुदायों के बीच विभाजन का बीज बोने का प्रयास है।

सूत्रों ने कहा कि वृत्तचित्र को भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करने का प्रयास करने वाला पाया गया है और इसमें विदेशी सरकार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के साथ-साथ देश के भीतर सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि संबंधित यूट्यूब वीडियो के लिंक वाले 50 से अधिक ट्वीट ब्लॉक करने के लिए ट्विटर को भी आदेश जारी किए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इन निर्देशों का पालन भी किया है।

इससे पहले विदेश मंत्रालय ने इसे ‘दुष्प्रचार का एक हिस्सा’ करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से झलकती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बीबीसी के इस वृत्तचित्र पर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि यह एक ‘गलत आख्यान’ को आगे बढाने के लिए दुष्प्रचार का एक हिस्सा है।

गौरतलब है कि बीबीसी ने ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ शीषर्क से दो भाग में एक नई श्रृंखला बनाई है और यह श्रृंखला गुजरात में हुए दंगों के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करती है। गुजरात दंगे के दौरान नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। वृत्तचित्र में दंगों के बारे में ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री जैक स्ट्रा की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा, ऐसा लगता है कि वे (स्ट्रा) ब्रिटिश सरकार की किसी आंतरिक रिपोर्ट का जिक्र कर रहे थे और यह 20 वर्ष पुरानी रिपोर्ट है और इस तक हमारी पहुंच कैसे हो सकती है। प्रवक्ता ने कहा था कि केवल जैक स्ट्रा ने यह बात कही, इससे इसे कैसे वैधता मिल सकती है।

पूर्व नौकरशाहों व पूर्व जजों ने की बीबीसी की निंदा

बीबीसी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई गई वृत्तचित्र श्रृंखला की शनिवार को 302 पूर्व न्यायाधीशों, पूर्व नौकरशाहों और पूर्व सैन्य अधिकारियों के समूह ने निंदा की तथा कहा कि यह ‘हमारे नेता, साथी भारतीय एवं एक देशभक्त’ के खिलाफ पक्षपातपूर्ण आरोप पत्र है, जिसमें नकारात्मकता और पूर्वाग्रह भरा है। उन्होंने दावा किया कि यह भारत में अतीत के ब्रिटिश साम्राज्यवाद का मूल रूप है, जो खुद को हिंदू-मुस्लिम तनाव को पुनर्जीवित करने के लिए न्यायाधीश और जूरी दोनों के रूप में स्थापित करता है, जो ब्रिटिश राज की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का हिस्सा था।  पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अनिल देव सिंह, पूर्व गृह सचिव एलसी गोयल, पूर्व विदेश सचिव शशांक, रॉ के पूर्व प्रमुख संजीव त्रिपाठी और एनआईए के पूर्व निदेशक योगेश चंद्र मोदी शामिल हैं।

तेरह पूर्व न्यायाधीशों, राजनयिकों सहित 133 पूर्व नौकरशाहों और 156 पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा गया है कि यह वृत्तचित्र एक तटस्थ समालोचना नहीं है। इसमें कहा गया, ‘अब तक हमने जो देखा है, उसके आधार पर हम कह सकते हैं कि बीबीसी की श्रृंखला न केवल भ्रमपूर्ण और स्पष्ट रूप से असंतुलित रिपोर्टिग पर आधारित है, बल्कि यह एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक राष्ट्र, एक राष्ट्र जो भारत के लोगों की इच्छा के अनुसार कार्य करता है, के रूप में भारत के अस्तित्व के 75 साल पुराने ढांचे के आधार पर भी सवाल उठाता है।’  बयान में कहा गया कि समय आ गया है कि बीबीसी को यह बताया जाए कि भारत को ‘औपनिवेशिक, साम्राज्यवादी, नींद में चलने वाले बाहरी लोगों’ की जरूरत नहीं है, जिनका प्राथमिक उद्देश्य ब्रिटिश राज के तहत ‘फूट डालो और राज करो‘ का रहा है। इसमें कहा गया, ‘समावेश भारत की विरासत में निहित है। ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नामक वृत्तचित्र बनाने के बजाय बीबीसी को प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपने स्वयं के पूर्वाग्रह पर सवाल उठाना चाहिए और ‘बीबीसी: द एथिकल क्वेश्चन’ नामक वृत्तचित्र बनाना चाहिए।’

प्रतिक्रिया

►प्रधानमंत्री और उनके पीछे ढोल बजाने वालों का कहना है कि उनके (मोदी के) बारे में बीबीसी का नया वृत्तचित्र बदनाम करने वाला है। (इस पर) सेंसरशिप लगाई गई है। आखिर वाजपेयी ने उन्हें ‘राज धर्म‘ की याद क्यों दिलाई थी।  -जयराम रमेश, कांग्रेस

►बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर उनके एक पोस्ट को ट्विटर ने हटा दिया है। उनके इस पोस्ट में अल्पसंख्यकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रवैये को बेनकाब किया गया था। -डेरेक ओ ब्रायन, सांसद, टीएमसी

सहारा न्यूज ब्यूरो/भाषा
नई दिल्ली


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