राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में एसआईआई के गर्भाशय कैंसर रोधी टीके को शामिल करने की योजना

Last Updated 10 Aug 2022 08:36:52 PM IST

सरकार राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में गर्भाशय कैंसर के खिलाफ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के स्वदेश में विकसित क्वाड्रिवैलेंट ह्यूमन पैपीलोमावायरस (क्यूएचपीवी) टीके को शामिल करने पर विचार कर रही है।


सूत्रों ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बाबत 15 अगस्त को घोषणा कर सकते हैं।

समझा जाता है कि एसआईआई में निदेशक (सरकारी और नियामक मामले) प्रकाश कुमार सिंह ने हाल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे पत्र में सूचित किया है कि कंपनी दिसंबर तक क्यूएचपीवी की एक करोड़ खुराकों की आपूर्ति कर सकती है।

सूत्रों के अनुसार इस समय देश एचपीवी टीके के लिए पूरी तरह विदेशी विनिर्माताओं पर निर्भर है। तीन विदेशी कंपनियां एचपीवी टीके का उत्पादन करती हैं जिनमें से दो कंपनियां भारत में अपने टीके बेचती हैं। बाजार में उपलब्ध टीके की प्रत्येक खुराक की कीमत 4,000 रुपये से अधिक है।

एसआईआई का टीका इससे किफायती दर पर उपलब्ध हो सकता है।

एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘स्वास्थ्य मंत्रालय राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत 9 से 14 साल की बच्चियों के लिए क्यूएचपीवी टीके को जारी करने की योजना बना रहा है। इसमें छह महीने तक लग सकते हैं।’’

भारत में गर्भाशय कैंसर 15 से 44 साल की महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे अधिक प्रकोप वाला कैंसर है। दुनियाभर में इससे 6,04,000 महिलाएं प्रभावित होती हैं और 3,42,000 महिलाओं की मौत हो जाती है।

भारत में गर्भाशय कैंसर से हर साल 1,22,844 महिलाएं ग्रसित हो जाती हैं और इनमें से 67,477 की मृत्यु हो जाती है।

सूत्रों के अनुसार 9 से 14 साल की लड़कियों को एचपीवी टीका लगाने से उन्हें गर्भाशय कैंसर से बचाया जा सकता है।

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने 12 जुलाई को एसआईआई को क्यूएचपीवी के विनिर्माण के लिए बाजार संबंधी अनुमति दी थी।
 

भाषा
नई दिल्ली


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