पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, प्रफुल्ल पटेल और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह सहित 28 नवनिर्वाचित सदस्यों ने सोमवार को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की।
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सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने नवनिर्वाचित सदस्यों को पद की शपथ दिलाई। शपथ लेने वालों में 11 राज्यों के सदस्य और एक मनोनीत सदस्य शामिल थे। इन सदस्यों ने हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगू, तमिल, ओड़िया, मराठी और पंजाबी भाषा में शपथ ग्रहण की।
सबसे पहले आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी युवाजना श्रमिका रैतु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआर कांग्रेस) के मस्तान राव बीडा ने अंग्रेजी में शपथ ग्रहण की। इसके बाद वाईएसआर कांग्रेस के ही विजय साई रेड्डी ने तेलुगू में शपथ ली।
बिहार से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के फैयाज अहमद और मीसा भारती, जनता दल (यूनाइटेड) के खीरू महतो और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शंभु शरण पटेल ने शपथ ग्रहण की।
छत्तीसगढ़ से राज्यसभा के सदस्य के रूप में कांग्रेस की रंजीत रंजन और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ल ने शपथ ली।
झारखंड की सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की महुआ माझी और भाजपा के आदित्य प्रसाद ने हिंदी में शपथ ली।
फिल्म अभिनता से राजनीतिक नेता बने कर्नाटक के जग्गेश ने भाजपा के सदस्य के रूप में कन्नड़ भाषा में शपथ ग्रहण की।
महाराष्ट्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रफुल्ल पटेल, कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी और शिव सेना के संजय राउत ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की। राउत ने मराठी भाषा में शपथ ली।
ओड़िशा से बीजू जनता दल (बीजद) के सस्मित पात्रा ने ओड़िया में शपथ ली।
पंजाब से शपथ लेने वालों में आम आदमी पार्टी (आप) के संदीप कुमार पाठक, विक्रमजीत सिंह साहनी और हरभजन सिंह थे। तीनों सदस्यों ने पंजाबी में शपथ ली।
राजस्थान से कांग्रेस के नवनिर्वाचित सदस्य प्रमोद कुमार तिवारी और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शपथ ली।
तमिलनाडु से कांग्रेस के पी चिंदबरम, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के आर गिरिराजन, एस कल्याणसुंदरम, के आर एन राजेश कुमार और सी वी षणमुगम ने पद की शपथ ली। सभी ने तमिल भाषा में शपथ ली।
उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के सदस्य के रूप में जावेद अली खान ने शपथ ली। वहीं, कपिल सिब्बल ने निर्दलीय सदस्य के तौर पर शपथ ली।
सिब्बल ने अंग्रेजी में शपथ ली। हालांकि शपथ लेने के दौरान खुद को राज्यसभा के लिए निर्वाचित कहे जाने की बजाय राज्यसभा के लिए ‘‘मनोनीत’’ बताकर शपथ ली।
बाद में सभापति नायडू ने किसी भी सदस्य का नाम लिए बगैर कहा कि शपथ लेने के दौरान सदस्य निर्धारित प्रारूप को ही पढ़ें।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे किसी भी प्रकार का विचलन उनके शपथ को अमान्य कर देगा। मैं किसी का नाम लेना चाहता लेकिन ऐसे विचलन के लिए एक सदस्य को आज फिर से शपथ लेना होगा।’’
उन्होंने कहा कि अगर किसी ने सवाल उठा दिया तो परेशानी भी हो सकती है।
मनोनीत सदस्य के रूप में वी विजेंद्र प्रसाद ने शपथ ली। आसन की ओर से शपथ लेने के लिए मनोनीत सदस्यों इलैया राजा और पी टी ऊषा के नाम पुकारे गए लेकिन दोनों सदन में उपस्थित नहीं थे।
शपथ ग्रहण के दौरान नायडू को कई बार सदस्यों को टोकना पड़ा कि वे शपथ लेने के बाद बैठकर पहले हस्ताक्षर करें और फिर अपनी सीट पर जाएं। उसके बाद वे चाहे तो बाद में अभिवादन कर सकते हैं।
इस कड़ी में उन्हें चिदंबरम का ध्यान भी इस ओर दिलाया।
शपथ लेने के बाद चिंदबरम ने वहीं से सत्तापक्ष के लोगों का अभिवादन करना शुरु कर दिया था। उसके बाद नायडू ने उनका ध्यान दिलाया कि वह पहले हस्ताक्षर करे और फिर अभिवादन।
आमतौर पर परंपरा यह रही है कि शपथ लेने के बाद सदस्य हस्ताक्षर करते हैं और उसके बाद सभापति का अभिवादन करने के बाद विभिन्न सदस्यों का अभिवादन करते हुए अपनी सीट पर जाकर बैठते हैं।
पिछले दिनों राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों में कुल 57 सदस्य राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। इनमें से 27 सदस्यों ने आठ जुलाई को शपथ ग्रहण की थी। इनमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल और कांग्रेस के जयराम रमेश सहित कुछ अन्य सदस्य शामिल थे।
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