देश के 16वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव, द्रौपदी मुर्मू का यशवंत सिन्हा से मुकाबला
देश के 16वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव सोमवार को होगा और इसमें सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुमरू और विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बीच सीधा मुकाबला है।
![]() राष्ट्रपति पद के लिए मतदान आज, तैयारी पूरी |
द्रौपदी मुर्मू एनडीए की उम्मीदवार हैं, जो विपक्षी दलों द्वारा समर्थित यशवंत सिन्हा के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं।
संसद परिसर के अंदर एक मतदान केंद्र स्थापित किया गया है, जहां संसद के सदस्य अपना वोट डालेंगे।
राज्यसभा के महासचिव इस चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर हैं।
राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों द्वारा किया जाता है। भारत में राष्ट्रपति को जनता के चुने हुए प्रतिनिधि यानी सांसद और विधायक वोट डालते हैं, जिन्हें इलेक्टोरल कॉलेज कहते हैं। इस इलेक्टोरल कॉलेज में लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और इसके साथ सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। इनमें से हर एक को इलेक्टर कहा जाता है।
राज्य विधान परिषद और लोकसभा और राज्यसभा के नॉमिनेटेड सदस्य इस चुनाव का हिस्सा नहीं होते, क्योंकि इन्हें जनता द्वारा नहीं चुना जाता है।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल 776 सांसद और 4,033 विधायक मतदान करेंगे।
वोटों का कुल मूल्य 10,86,431 है, जिसमें विधायकों के वोट 5,43,231 और सांसदों के 5,43,200 हैं।
2017 में राष्ट्रपति चुनाव 17 जुलाई को हुए थे और परिणाम 20 जुलाई को घोषित किया गया था।
इस बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी, जबकि देश के अगले राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे। बता दें कि मौजूदा राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
संसद भवन में किए गए खास इंतजाम
राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है। देश के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए सभी राज्यों की विधानसभाओं के साथ-साथ संसद भवन में भी वोटिंग होगी। इसके लिए संसद भवन में भी खास इंतजाम किए गए हैं। जानकारी के अनुसार, देश के विभिन्न राज्यों के 9 विधायक संसद भवन में वोट करेंगे, जबकि लगभग 42 सांसदों ने राज्यों की विधानसभा में वोट करने की अनुमति ली हुई है। उत्तर प्रदेश के 4 विधायक राज्य विधानसभा की बजाय संसद भवन में बने पोलिंग बूथ पर राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट करेंगे। इसके अलावा त्रिपुरा के 2 और असम, हरियाणा एवं ओडिशा के एक-एक विधायक अपने-अपने राज्यों की विधानसभा की बजाय संसद भवन में वोट करेंगे।
संसद भवन परिसर के मुख्य भवन के फस्र्ट फ्लोर पर कमरा नंबर-63 में राष्ट्रपति पद के मतदान के लिए कुल 6 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। इन छहों बूथ में से एक बूथ को खास तौर पर फिजिकल चैलेंज्ड के लिए बनाया गया है।
वोटिंग के लिए सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। वोटिंग बैलेट पेपर के जरिए की जाएगी और सांसदों को राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम के आगे अपनी पसंदानुसार वरीयता को दर्ज कराना होगा। वोट डालने वालों को सीरियल नंबर की बजाय रैंडम तरीके से बैलेट पेपर दिया जाएगा, ताकि वोटिंग की गोपनीयता बरकरार रखी जा सके।
कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव आईए जानें
देश के नए राष्ट्रपति पद के लिए होने जा रही वोटिंग को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बयान लगातार सामने आ रहे हैं। इस चुनाव में किस तरह देश के सभी विधायक अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। कैसे होता है उनके वोट का मूल्यांकन आइए बताते हैं।
देशभर के निर्वाचित विधायक राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए सोमवार को वोटिंग करेंगे। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता है। यानी जनता अपने प्रेजिडेंट का चुनाव सीधे नहीं करती, बल्कि उसके वोट से चुने गए लोग करते हैं। इस चुनाव में सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के चुने हुए सदस्य और लोकसभा तथा राज्यसभा में चुनकर आए सांसद वोट डालते हैं। राष्ट्रपति की ओर से संसद में नॉमिनेटेड मेंबर वोट नहीं डाल सकते. वहीं राज्यों की विधान परिषदों के सदस्यों को भी वोटिंग का अधिकार नहीं है, क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते। इस वोटिंग में विधायक हिस्सा लेते हैं। हर राज्य के विधायक के मत का मूल्य अलग-अलग होता है।
विधायकों के मूल्य की राज्यवार स्थिति
जैसे उत्तर प्रदेश के विधायकों का मत मूल्य सबसे अधिक होता है, तो सिक्किम के विधायकों का मत मूल्य सबसे कम होता है. वहीं सांसदों का मत मूल्य विधायकों के मूल्य से कहीं अधिक 700 होता है। उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से प्रत्येक का मत मूल्य 208 है, यानी उनका कुल मूल्य 83,824 है। तमिलनाडु और झारखंड के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य 176 है।
महाराष्ट्र के विधायक का मूल्य 175, बिहार का 173 और आंध्र प्रदेश के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य 159 है। इसी तरह तमिलनाडु की 234 सदस्यीय विधानसभा का कुल मत मूल्य 41,184 है। वहीं झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा का कुल मत मूल्य 14,256 है। महाराष्ट्र विधानसभा के 288 विधायकों का कुल मत मूल्य 50,400 है और बिहार विधानसभा के 243 सदस्यों का मत मूल्य 42,039 है। वहीं, 175 सदस्यीय आंध्र प्रदेश विधानसभा का कुल मत मूल्य 27,825 है।
1971 की जनगणना है आधार
किसी विधायक का मत मूल्य 1971 की जनगणना के अनुसार उस राज्य की कुल आबादी के आधार पर गिना जाता है। छोटे राज्यों में सिक्किम के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य सात है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का मत मूल्य आठ-आठ, नगालैंड का नौ, मेघालय का 17, मणिपुर का 18 और गोवा का मत मूल्य 20 है। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के एक विधायक का मत मूल्य 16 है। सिक्किम में 72 सदस्यीय विधानसभा का कुल मत मूल्य 224, मिजोरम विधानसभा में 40 सदस्यों का मत मूल्य 320, अरुणाचल प्रदेश के 60 विधायकों का मत मूल्य 480, नगालैंड के 60 सदस्यों का मत मूल्य 540, मेघालय के 60 सदस्यों का मत मूल्य 1,020, मणिपुर विधानसभा के 60 सदस्यों का मत मूल्य 1,080 और 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा का मत मूल्य 800 है।
कम हुआ सांसदों के मत का मूल्य
वहीं, संसद के एक सदस्य का मत मूल्य 708 से घटाकर 700 कर दिया गया है क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी कोई विधानसभा नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव में किसी सांसद का मत मूल्य राज्य विधानसभाओं और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर समेत केंद्र शासित प्रदेशों में निर्वाचित सदस्यों की संख्या के आधार पर तय होता है। राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन मंडल में लोकसभा, राज्यसभा के सदस्य तथा राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य शामिल होते हैं।
अगस्त 2019 में लद्दाख और जम्मू कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले जम्मू कश्मीर राज्य विधानसभा की 83 सीटें थीं। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी जबकि लद्दाख पर केंद्र सरकार का शासन होगा।
सांसदों को हरे और विधायक को मिलता है गुलाबी मतपत्र
सांसदों को हरे रंग और विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र दिया जाता है। उन्हें विशेष पेन भी दिए जाते हैं, जिसका उपयोग वे अपने वोट रिकॉर्ड करने के लिए करते हैं। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मतपत्र पर सभी उम्मीदवारों के नाम होते हैं और वोटर अपनी वरीयता को 1 या 2 अंक के रूप में उम्मीदवार के नाम के सामने लिखकर वोट देता है। ये अंक लिखने के लिए चुनाव आयोग पेन उपलब्ध कराता है, यदि यह अंक किसी अन्य पेन से लिख दिए जाएं तो वह वोट अमान्य हो जाता है। वोटर चाहे तो केवल पहली वरीयता ही अंकित कर सकता है, सभी उम्मीदवारों को वरीयता देना जरूरी नहीं होता है।
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