भारत की दूरदृष्टि वैश्विक होनी चाहिए : मोदी

Last Updated 27 Apr 2022 02:46:48 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के विभिन्न देशों में उपजे हालात की ओर इशारा करते हुए मंगलवार को कहा कि आज विश्व के सामने अनेक साझे संकट और चुनौतियां हैं और मानवता के समक्ष खड़े प्रश्नों का समाधान भारत के अनुभवों और उसके सांस्कृतिक सामर्थ्य से ही निकल सकता है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

यहां 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर शिवगिरि तीर्थ यात्रा की 90वीं वषर्गांठ और ब्रह्मा विद्यालय की स्वर्ण जयंती के वर्ष भर चलने वाले संयुक्त समारोह के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि 25 साल बाद देश जब आजादी की 100वीं वषर्गांठ मनाएगा तो भारत की उपलब्धियां वैश्विक होनी चाहिए और इसके लिए उसकी दूरदृष्टि भी वैश्विक होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देश, कई सभ्यताएं जब अपने धर्म से भटकीं, तो वहां आध्यात्म की जगह भौतिकतावाद ने ले ली, लेकिन भारत के ऋषियों, संतों और गुरुओं ने हमेशा विचार और व्यवहार का शोधन किया और उनका संवर्धन किया। उन्होंने कहा, आज हम जो भारत देख रहे हैं, आजादी के 75 सालों की जिस यात्रा को हमने देखा है, यह उन्हीं महापुरुषों के चिंतन और मंथन का परिणाम है। आजादी के हमारे मनीषियों ने जो मार्ग दिखाया था, आज भारत उन लक्ष्यों के करीब पहुंच रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से 25 साल बाद देश अपनी आजादी की 100वीं वषर्गांठ मनाएगा और इसके मद्देनजर उन्होंने देशवासियों से नए लक्ष्य गढ़ने और नए संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, इन सौ सालों की यात्रा में हमारी उपलब्धियां वैश्विक होनी चाहिए और उसके लिए हमारा विजन भी वैश्विक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज विश्व के सामने अनेक साझी चुनौतियां हैं और साझे संकट भी हैं तथा कोरोना महामारी के समय दुनिया ने इसकी एक झलक भी देखी है।

उन्होंने संतों और आध्यात्मिक गुरुओं से महान परंपरा को आगे बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा कि वह इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। आजादी का अमृत महोत्सव की पृष्ठभूमि में मोदी ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की व्याख्या करते हुए कहा कि उनके मुताबिक आध्यात्म इसका मुख्य आधार था। उन्होंने कहा, हमारा स्वतन्त्रता संग्राम केवल विरोध प्रदर्शन और राजनैतिक रणनीतियों तक ही सीमित नहीं था। ये गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की लड़ाई तो थी ही लेकिन साथ ही एक आजाद देश के रूप में हम कैसे होंगे, इसका विचार भी था।

उन्होंने कहा, क्योंकि, हम किस चीज के खिलाफ हैं केवल यही महत्वपूर्ण नहीं होता। हम किस सोच के, किस विचार के लिए एक साथ हैं यह भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री नारायण गुरु भारत के आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होंने देश की सांस्कृतिक विरासत और नैतिक मूल्यों में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने कहा, हम सभी की एक ही जाति है और वह है भारतीयता। हम सभी का एक ही धर्म है और वह है सेवा और अपने कर्तव्यों का पालन। हम सभी के एक ही ईश्वर हैं ओर वह हैं भारत मां की 130 करोड़ से अधिक संतान।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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