टीकाकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह एक पुराना विवाद

Last Updated 05 Apr 2022 03:42:13 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने अहमदाबाद नगर आयुक्त द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश के लिए जारी किए गए टीका अधिदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता टीकाकरण क्यों नहीं करा सकते।


उच्चतम न्यायालय

शीर्ष अदालत ने कहा कि हर टीकाकरण के अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव होते हैं और यह एक पुराना विवाद है जो टीकाकरण प्रक्रिया की शुरुआत से ही है।

शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया, जिसमें अहमदाबाद नगर आयुक्त द्वारा जारी एक परिपत्र को बरकरार रखा गया था। उक्त परिपत्र में कुछ सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई गई थी, जिन्होंने कोविड-19 रोधी टीके की दोनों खुराक नहीं ली है।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, ‘‘इस विशेष समय में आपके मुवक्किल को उस लाभकारी गुणों को देखना चाहिए, जो व्यापक समुदाय को मिल रहा है। हमें नहीं लगता कि हमें संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना चाहिए।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हर टीके के अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। यह टीकाकरण की शुरुआत के बाद से सदियों पुराना विवाद है। शुरुआती टीकाकरण के दौरान भी आपको यह समस्या दिखेगी। आपको टीकाकरण से समाज को होने वाले लाभों को भी देखना चाहिए।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘आप उद्देश्य में बाधा क्यों उत्पन्न कर रहे हैं और खुद टीका क्यों नहीं लगवाते? आप टीकाकरण के खिलाफ क्यों हैं।’’

याचिकाकर्ता निशांत बाबूभाई प्रजापति की ओर से पेश अधिवक्ता एम कोतवाल ने कहा कि नगर आयुक्त के पास कोई टीका अधिदेश जारी करने का अधिकार और अधिकार क्षेत्र नहीं है और इस संबंध में अधिसूचना जारी करना राज्य सरकार पर निर्भर है।

पीठ ने कहा, ‘‘आखिरकार वह नगर आयुक्त होता है, जो शहर में सार्वजनिक स्थानों का प्रभारी होता है, चाहे वह उद्यान हो या बाजार। उन्हें निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होती है। वैसे भी आप अनुच्छेद 136 के तहत हैं, हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे।’’

भाषा
नई दिल्ली


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