असम-मेघालय के बीच ‘ऐतिहासिक’ सीमा समझौता
असम और मेघालय ने मंगलवार को 12 में से छह स्थानों पर अपने पांच दशक पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसे पूर्वोत्तर के लिए ‘ऐतिहासिक दिन’ करार दिया।
![]() असम और मेघालय के बीच 70 प्रतिशत सीमा हुई विवादमुक्त। |
समझौते पर शाह, असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों हिमंत बिस्वा सरमा व कोनराड संगमा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता दोनों राज्यों के बीच 884.9 किलोमीटर की सीमा पर 12 में से छह स्थानों पर लंबे समय से चल रहे विवाद का समाधान करेगा।
शाह ने यहां गृह मंत्रालय में आयोजित समारोह में कहा, यह पूर्वोत्तर के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। गृहमंत्री ने कहा, समझौते पर हस्ताक्षर होने से दोनों राज्यों के बीच 70 फीसदी सीमा विवाद सुलझ गया है। छह स्थानों में 36 गांव हैं, जिसके दायरे में 36.79 वर्ग किमी का क्षेत्र आता है, जिसके संबंध में समझौता हो गया है।
दोनों राज्यों ने पिछले साल अगस्त में जटिल सीमा मुद्दे पर तीन-तीन समितियां बनाई थीं। समिति का गठन सरमा और संगमा के बीच दो दौर की बातचीत के बाद किया था, जहां पड़ोसी राज्यों ने चरणबद्ध तरीके से विवाद को सुलझाने का संकल्प व्यक्त किया था।
समितियों द्वारा संयुक्त रूप से की गई अंतिम सिफारिशों के अनुसार, पहले चरण में निपटारे के वास्ते लिए गए 36.79 वर्ग किमी विवादित क्षेत्र में से असम को 18.51 वर्ग किमी और मेघालय को 18.28 वर्ग किमी का पूर्ण नियंत्रण मिलेगा।
असम और मेघालय के बीच विवाद के 12 बिंदुओं में से अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण मतभेद वाले छह क्षेत्रों को पहले चरण में लिया गया। असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद 50 साल से अटका हुआ है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में यहां असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने असम और मेघालय राज्यों के बीच अंतरराज्यीय सीमा विवाद के कुल 12 क्षेत्रों में से छह क्षेत्रों के विवाद के निपटारे के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए और इस दौरान दोनों राज्यों के सचिव और गृह मंत्रालय के अन्य अधिकारी मौजूद थे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के लिए ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि इससे दोनों राज्यों में शांति, सद्भाव और प्रगति के एक नए युग की शुरुआत होगी।
उन्होंने कहा कि इस समझौते ने 12 में से छह स्थानों पर अंतरराज्यीय सीमा विवादों को हल करने का मार्ग प्रशस्त किया, जिसमें 70 प्रतिशत सीमा शामिल है।
शाह ने कहा, "त्रिपुरा में उग्रवादियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए अगस्त, 2019 में एनएलएफटी (एसडी) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए जिसने त्रिपुरा को एक शांत राज्य बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। फिर 23 साल पुराने ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट को हमेशा के लिए हल करने के लिए 16 जनवरी, 2020 को एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अंतर्गत 37 हजार से ज्यादा आदिवासी भाई-बहन जो कठिन जीवन जी रहे थे, वो आज सम्मानपूर्वक जीवन जी रहे हैं।"
शाह ने कहा कि 27 जनवरी 2020 को हस्ताक्षरित बोडो समझौता किया गया जिसने असम के मूल स्वरूप को बनाए रखते हुए 50 साल पुराने बोडो मुद्दे को हल किया।
मंत्री ने आगे कहा, "4 सितंबर, 2021 को असम के कार्बी क्षेत्रों में लंबे समय से चले आ रहे विवाद को हल करने के लिए कार्बी-आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अंतर्गत लगभग एक हजार से अधिक हथियारबंद कैडर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हुए।"
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर का विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि राज्यों के बीच विवादों का समाधान नहीं हो जाता और सशस्त्र समूह आत्मसमर्पण नहीं करते। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की ओर से दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों को धन्यवाद दिया।
समझौते के बारे में बोलते हुए, मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने कहा, "(आपसी रिश्तों में) अंतर के 12 क्षेत्रों में से, हम छह क्षेत्रों पर असम के साथ एक समझौते पर सहमत हुए हैं। इसके अलावा, सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा दोनों राज्यों की भागीदारी के साथ एक सर्वेक्षण किया जाएगा और जब यह हो जाएगा, तो वास्तविक सीमांकन होगा।"
असम और मेघालय सरकारें अपने राज्य की सीमाओं के साथ 12 में से छह क्षेत्रों में सीमा विवादों को हल करने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव लेकर आई थीं। असम और मेघालय 885 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।
समझौते का उद्देश्य छह 'मतभेदों वाले क्षेत्रों' में तमाम मतभेदों को हल करना है, जिसमें कुल सीमा का लगभग 70 प्रतिशत शामिल है।
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