संसद सत्र : राज्यसभा में उठा श्रमिक संगठनों की हड़ताल का मुद्दा, विपक्ष ने की सरकार से सकारात्मक रुख की गुजारिश

Last Updated 29 Mar 2022 01:04:37 PM IST

कांग्रेस और वामपंथी दलों ने मंगलवार को राज्यसभा में केंद्रीय श्रमिक संगठनों की दो दिवसीय आम हड़ताल का मुद्दा उठाया और सरकार से उनकी मांगों को संज्ञान में लेते हुए सकारात्मक रुख अपनाने और उनसे संवाद करने की गुजारिश की।


सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और उसके बाद नियम 267 के तहत मुद्दे उठाने की अनुमति वाले नोटिस का उल्लेख करते हुए कहा कि इन मुद्दों को इनसे जुड़े विषयों पर सदन में होने वाली चर्चा के दौरान उठाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के जॉन ब्रिटस और वी शिवदासन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के विनय विस्वम ने श्रमिक संगठनों की 12 सूत्रीय मांगों पर चर्चा कराने की मांग की है।

नायडू ने इन सदस्यों को सुझाव दिया कि श्रम और रोजगार के मुद्दे पर सदन में चर्चा होने वाली है जिसमें वे इन मुद्दों को विस्तार से उठा सकते हैं।

नायडू ने कहा कि ऐसी धारणा बनाई जा रही है जैसे वह सदस्यों को चर्चा की अनुमति ही नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि चर्चा कराने के लिए नियम व प्रक्रियाएं हैं व उसके साधन हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘महंगाई, पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक पर विस्तार से चर्चा हो रही है। कई सदस्यों ने विस्तार से अपनी बात भी रखी है। इसी प्रकार जब श्रम और रोजगार के विषय पर चर्चा होगी तो हड़ताल और उससे जुड़े मुद्दों को सदस्य उठा सकते हैं।’’

हालांकि विपक्षी सदस्यों ने इसका विरोध किया। बाद में सभापति ने सदस्यों को एक-एक मिनट में अपने-अपने मुद्दों का उल्लेख करने की अनुमति दी।

गोहिल ने श्रमिक संगठनों की हड़ताल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मजदूर इस देश की रीढ़ की हड्डी हैं और सरकार की नीतियों के खिलाफ वह दो दिनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर है।

उन्होंने हड़ताल कर रहे श्रमिक संगठनों की प्रमुख मांगों मसलन, हाल में किए गए श्रम सुधारों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण और महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए बजट आवंटन बढ़ाने का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार की नीतियों से श्रमिकों का जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

गोहिल ने कहा, ‘‘उनके मुद्दे अहम हैं। सरकार इन मांगों का संज्ञान ले और सकारात्मक रुख रखे...उनसे संवाद करे और उनकी बात सुने।’’

ब्रिटस ने कहा कि श्रमिक संगठन हड़ताल पर हैं और ऐसे में उम्मीद की जाती है कि सदन इस विषय पर चर्चा करे। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार की नीतियों से लाखों जीवन प्रभावित हो रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार सुधारात्मक कदम उठाए।’’

विस्वम ने कहा कि इस सदन की जिम्मेदारी है कि वह हड़ताल को संज्ञान में ले। उन्होंने कहा, ‘‘सदन को यह समझना होगा कि जो हड़ताल कर रहे हैं, वह देश के लिए अपना खून पसीना बहाते हैं। जब वही हड़ताल पर चले जाएं तो उनके बारे में चर्चा करना सदन का कर्तव्य है। सरकार को इस पर समय निकालकर चर्चा करनी चाहिए।’’

कांग्रेस सदस्य के सी वेणुगोपाल, द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरुचि शिवा और तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि की वजह से बढ़ रही महंगाई के विषय पर नियम 267 के तहत चर्चा के लिए नोटिस दिए थे।

हालांकि सभापति ने इन सदस्यों को अपने मुद्दे उठाने की अनुमति नहीं और उनसे कहा कि वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान वे इन मुद्दों को उठा सकते हैं।

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ करीब एक दर्जन ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को भी जारी है।

भाषा
नई दिल्ली


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