Beating Retreat: भव्य बीटिंग रिट्रीट के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

Last Updated 29 Jan 2022 05:53:32 PM IST

ऐतिहासिक विजय चौक पर शनिवार को बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान आसमान में करीब 1,000 ड्रोन की रोशनी ने देश की आजादी के 75 साल को दर्शाती हुई शानदार तस्वीर उकेरी।


ड्रोन शो से लेकर प्रोजेक्शन मैपिंग शो तक, इस साल के समारोह में पहली बार कई नयी शुरुआत हुई। पिछले 70 से अधिक वर्षों में पहली बार महात्मा गांधी की पसंदीदा धुन ‘अबाइड विद मी’ इस बार विजय चौक पर नहीं सुनाई दी, जहां महामारी के बीच मास्क लगाकर गणमान्य व्यक्ति और अन्य लोग एकत्र हुए।

‘अबाइड विद मी’ की धुन के स्थान पर लोकप्रिय देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन सुनाई दी, जिसे कवि प्रदीप ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान की याद में लिखा था। वर्ष 1847 में स्कॉटलैंड के एंग्लिकन कवि हेनरी फ्रांसिस लिटे द्वारा लिखित स्तुति गीत ‘एबाइड विद मी’ की धुन 1950 से बीटिंग रिट्रीट समारोह का हिस्सा थी। सरकार द्वारा इस धुन को इस आधार पर हटा दिया गया कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह में भारतीय धुन बजाना उचित होगा। विपक्षी दलों ने गांधीजी की पसंदीदा धुन को हटाने के फैसले की आलोचना की थी।

समारोह के दौरान पृष्ठभूमि में संगीत के साथ लगभग 10 मिनट तक आसमान स्वदेशी तकनीक के माध्यम से तैयार ड्रोन की रोशनी से जगमगा उठा। नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक की दीवारों पर आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक प्रोजेक्शन मैपिंग शो ने समां बांध दिया। इस दौरान भारतीय थल सेना, नौसेना, वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के बैंड की धुनें गूंज रही थीं।

शुरुआती बैंड ने ‘वीर सैनिक’ की धुन बजाई, उसके बाद पाइप्स एंड ड्रम बैंड, सीएपीएफ बैंड, एयर फोर्स बैंड, नेवल बैंड, आर्मी मिलिट्री बैंड और मास बैंड ने प्रस्तुतियां दीं। समारोह के प्रींसिपल कंडक्टर कमांडर विजय चार्ल्स डिक्रूज थे। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए इस बार समारोह में नयी धुनें जोड़ी गईं। इनमें ‘केरल’, ‘हिंद की सेना’ और ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुनें थीं।

राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, थल सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल वी आर चौधरी और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति समारोह में उपस्थित थे।

ड्रोन शो का आयोजन स्टार्टअप ‘बोटलैब डायनेमिक्स’ द्वारा किया गया और इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने सहयोग किया। ‘बीटिंग द रिट्रीट’ काफी पुरानी सैन्य परंपरा है जब बिगुल बजने के साथ सैनिक सूर्यास्त के समय लड़ना बंद कर युद्ध से अलग हो जाते थे और अपने हथियार समेटते हुए युद्ध के मैदान से हट जाते थे। इनमें से कुछ परंपरा को आज तक बरकरार रखा गया है।

ड्रम की आवाज उन दिनों की याद दिलाती है जब शाम को नियत समय पर सैनिकों को उनके बंकर में वापस बुला लिया जाता था। समारोह में आने के लिए लोगों को इस बार पर्यावरण अनुकूल निमंत्रण पत्र दिए गए थे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार निमंत्रण पत्र औषधीय पौधों अश्वगंधा, एलोवेरा और आंवला के बीजों से तैयार किए गए।
 

‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। बीटिंग रिट्रीट समारोह के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है, जो इस साल एक दिन पहले, सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के साथ शुरू हुआ था।

हालांकि, यह सैन्य समारोह 17वीं शताब्दी के इंग्लैंड का है, जब इसका इस्तेमाल पहली बार पास की गश्त इकाइयों को उनके महल में वापस बुलाने के लिए किया गया था।

मूल रूप से, बीटिंग रिट्रीट को वॉच सेटिंग के रूप में जाना जाता था और सूर्यास्त के समय शाम की बंदूक से एक राउंड की फायरिंग द्वारा शुरू किया गया था।

जैसे ही बिगुलरों ने पीछे हटने की आवाज दी, सैनिकों ने लड़ना बंद कर दिया, अपने हथियार रोक दिये और युद्ध के मैदान से हट गए।

यही कारण है कि पीछे हटने की आवाज के दौरान अभी भी खड़े होने की प्रथा आज तक बरकरार रखी गई है। रंग और मानक आवरण वाले होते हैं और पीछे हटने पर झंडे उतारे जाते हैं।

इन्हीं सैन्य परंपराओं के आधार पर 'बीटिंग र्रिटीट' समारोह बीते समय की पुरानी यादों का माहौल बनाता है।
 

 

ऐजेंसी
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment