राहुल ने जिनको आगे बढ़ाया उन्होंने ही दिया दगा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने जिन नेताओं को हारने के बाद भी पार्टी में आगे बढ़ाया उन्होंने ही ज्यादा दगा दिया।
![]() कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी |
पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड के प्रभारी आरपीएन सिंह भी इन्हीं में से एक हैं, जो लोकसभा के लगातार दो चुनाव हार गए थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और महासचिव एवं यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा को लंबे समय से यूपी और झारखंड के नेता आरपीएन सिंह के पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने की सूचनाएं दे रहे थे। बार-बार कहा जा रहा था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में आरपीएन सिंह के खिलाफ कार्रवाई की जाए इससे पार्टी में अनुशासन भी आएगा। झारखंड के नेता एक साल से शिकायत कर रहे थे कि आरपीएन सिंह का व्यवहार बदला-बदला सा नजर आता है। ये ही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को कुछ समय के लिए झारखंड में दूसरे राज्य के प्रदेश अध्यक्ष को लगाना पड़ा था क्योंकि कुछ विधायकों के पाला बदलने की भनक लग गई थी।
यूपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी प्रियंका गांधी वाड्रा से आरपीएन सिंह की निष्ठा के विषय में बात की थी। लल्लू के बात करने की वजह ये भी थी कि वह जिस विधानसभा सीट तमकुहीराज से विधायक हैं वह आरपीएन सिंह के प्रभाव वाले कुशीनगर में ही आती है। उक्त विधानसभा सीट पर आरपीएन की बिरादरी सैंथवार-कुर्मी की अच्छी संख्या है।
लल्लू को फिक्र थी कि अगर चुनाव के बीच आरपीएन सिंह ने पाला बदल लिया तो चुनावी समीकरण उन्हें भी प्रभावित करेंगे। इस पर वरिष्ठ नेताओं ने पहले तो उन्हें यह कहकर समझाया कि आरपीएन सिंह को झारखंड जैसे राज्य का प्रभार मिला हुआ है, जहां कांग्रेस सरकार में है, लिहाजा वह पार्टी छोड़कर नहीं जाएंगे। जब इसके बाद भी आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ने की अटकलों पर विराम नहीं लगा तो संगठन मामलों के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उनसे (आरपीएन) से बात की। जब संगठन मामलों के महासचिव को भरोसा हो गया तभी यूपी के स्टार प्रचारकों की सूची में आरपीएन सिंह को शामिल किया गया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कह रहे हैं, जिन युवा नेताओं को राहुल गांधी ने लगातार नाकाम होने के बाद भी आगे बढ़ाया उन्होंने ही मुश्किल वक्त में कांग्रेस का साथ ज्यादा छोड़ा है। इस क्रम में बिहार में अशोक चौधरी, हरियाणा में अशोक तंवर, मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया, यूपी में जितिन प्रसाद, असम में सुष्मिता देव के नाम प्रमुख हैं। अशोक चौधरी बिहार में और अशोक तंवर हरियाणा में कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं।
कांग्रेस छोड़ने के समय सिंधिया पार्टी के महासचिव, जितिन प्रसाद पश्चिम बंगाल के प्रभारी और सुष्मिता देव महिला कांग्रेस की प्रमुख थीं। हालांकि ये तीनों ही लोकसभा का चुनाव जीतने में विफल रहे थे। झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार भी पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी में चले गए थे। हालांकि वह घर वापस लौट आए। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल शास्त्री कटाक्ष के साथ कहते हैं कि अभी कांग्रेस छोड़ने वाले नेता जब भी चाहेंगे उनको हमारी पार्टी घर वापसी करवाकर फिर से अपना लेगी। उन्होंने कहा कि निष्ठावान कांग्रेसियों की कीमत पर पार्टी की यह परिपाटी पिछले कुछ वर्षो से रही है।
आम शिकायत, राहुल मिलते नहीं हैं : बहुसंख्यक कांग्रेस नेताओं की शिकायत यह है कि पार्टी में निर्णय लेने वाले राहुल गांधी न मिलते हैं और न संवाद करते हैं। एक पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी के एक वरिष्ठ से कहा कि उसे राहुल गांधी से छह महीने से मिलने का समय नहीं मिला। पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि निरंतर संवाद के अभाव में राहुल गांधी के प्रति उनके पिता राजीव गांधी सरीखे आत्मीय रिश्ते नहीं बन पाए हैं। उन्होंने कहा कि ये ही वजह है कि अब कांग्रेस छोड़ने वाले नेता एक बार भी यह नहीं सोचते कि राहुल गांधी को बुरा लगेगा।
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