फर्जी दावे के मामले में 4 सप्ताह में तय हों आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की ट्रायल कोर्ट से कहा है कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों (एमएसीटी) में फर्जी दस्तावेज के जरिए मुआवजा हासिल करने वाले वकीलों के खिलाफ चार सप्ताह के अंदर आरोप तय किए जाएं।
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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में संबंधित अदालत के समक्ष वकीलों द्वारा फर्जी दुर्घटना दावों से संबंधित मामलों की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करने के उद्देश्य से चार हफ्ते के भीतर आरोप तय करने के निर्देश दिए।
जिन मामलों में आरोप-पत्र दाखिल किया जा चुका है, उन्हें छोड़कर अन्य मामलों के लिए जस्टिस मुकेश कुमार शाह और बीवी नागरत्ना की बेंच ने विशेष जांच दल (एसआईटी) लखनऊ के जांच अधिकारी को जल्द से जल्द जांच पूरी करने और संबंधित अदालत के समक्ष आरोप-पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश में वकीलों द्वारा सैकड़ों फर्जी दावा याचिका दायर करने की जांच से संबंधित कई आदेश पारित कर चुका है।
अदालत ने कहा कि एसआईटी के वकील ने एक सारणीबद्ध रूप में रिकॉर्ड विवरण रखा है जिसमें दिखाया गया है कि कितने मामलों की जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दायर की गई है। यह बताया गया है कि अन्य मामलों में जांच प्रगति पर है। रिपोर्ट से, ऐसा प्रतीत होता है कि पहली प्राथमिकी 2016 में है लेकिन आरोप पत्र अक्टूबर-नवम्बर, 2021 में ही दायर किया गया है।
अदालत ने कहा कि हम एसआईटी, लखनऊ के जांच अधिकारी को अन्य मामलों में जल्द से जल्द जांच पूरी करने और उसके तुरंत बाद संबंधित अदालत में आरोप-पत्र पेश करने का निर्देश देते हैं। जहां तक जिन मामलों में आरोप पत्र पहले ही दायर किए जा चुके हैं, हम संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों को आज से चार सप्ताह के भीतर उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद उन मामलों में आरोप तय करने और यह सुनिश्चित करने कि सुनवाई यथाशीघ्र पूरी हो का निर्देश देते हैं।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि केंद्र सरकार एक नया व्यापक सूचना प्रपत्र लेकर आई है जिसमें मोटर दुर्घटना के दावों के संबंध में पूरा विवरण दिया जाना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के परामर्श से इसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
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