भूस्खलन से पहले चेतावनी प्रणाली के लिए पायलट परियोजना बनी : सरकार
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान परिषद (यूके) द्वारा वित्त पोषित, बहु-संघ लैंडस्लिप परियोजना के तहत ब्रिटिश भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (बीजीएस) के सहयोग से भारत के लिए एक प्रोटोटाइप क्षेत्रीय भूस्खलन-पूर्व चेतावनी प्रणाली सिस्टम (एलईडब्ल्यू)विकसित की है।
![]() पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह |
यह जानकारी गुरुवार को संसद को दी गई। पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया, "इस परियोजना का इस समय भारत में दो पायलट क्षेत्रों में जीएसआई द्वारा मूल्यांकन और परीक्षण किया जा रहा है। एक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में और दूसरा तमिलनाडु के नीलगिरि जिले में है।"
जीएसआई, लैंडस्लिप परियोजना के माध्यम से 2017 से बारिश की सीमा के आधार पर एक प्रायोगिक क्षेत्रीय एलईडब्ल्यू विकसित करने में लगा हुआ है। लैंडस्लिप अनुसंधान ने 2020 में दो परीक्षण क्षेत्रों के लिए रेनफॉल थ्रेसहोल्ड के आधार पर एक प्रोटोटाइप मॉडल विकसित किया है।
लैंडस्लिप इस समय भारत में कई भूस्खलन संभावित राज्यों में एक समान प्रयास करने के लिए क्षेत्रीय एलईडब्ल्यूएस के उपरोक्त उपकरणों को राष्ट्रीय नोडल एजेंसी (जीएसआई) को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में है। साल 2020 के मानसून के बाद से जीएसआई ने परीक्षण और मूल्यांकन के लिए दो पायलट क्षेत्रों में जिला प्रशासन को मानसून के दौरान दैनिक भूस्खलन पूवार्नुमान बुलेटिन जारी करना भी शुरू कर दिया है।
जीएसआई राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा गठित संघ का एक हिस्सा है, जिसमें विभिन्न संस्थानों/संगठनों के वैज्ञानिक शामिल हैं। से संस्थान हैं- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर/ इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, डिफेंस जियोइनफॉरमैटिक्स रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट, आईआईटी-रुड़की आदि। यह कंसोर्टियम निगरानी के तरीकों का सुझाव देने की संभावना का पता लगाने के उद्देश्य से काम करता है और हिमस्खलन, झील विस्फोट, बाढ़/भूस्खलन सहित चट्टान/बर्फ हिमस्खलन की घटनाओं की भविष्यवाणी करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी देता है।
जीएसआई ने 2021 से उत्तराखंड, केरल और सिक्किम जैसे अन्य परीक्षण क्षेत्रों में क्षेत्रीय एलईडब्ल्यूएस विकसित करने के लिए आर एंड डी गतिविधियों और आधारभूत कार्य शुरू किया है और 2022 तक पांच अतिरिक्त राज्यों (हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, असम, मेघालय और मिजोरम) को जोड़ने की भी योजना है।
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