सहारा-सेबी खाते में 23,000 करोड़, 9 वर्षो में 129 करोड़ ही लौटा पाया सेबी

Last Updated 06 Aug 2021 07:26:27 AM IST

उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सहारा की दो कंपनियों के निवेशकों को नौ वर्षो में लगभग 129 करोड़ रुपए वापस किए हैं। सेबी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, पुनर्भुगतान के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में जमा राशि बढ़कर 23,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है।


भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी)

उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2012 के अपने एक आदेश में सहारा की दो कंपनियों के लगभग तीन करोड़ निवेशकों को ब्याज सहित धन वापस करने के लिए कहा था, लेकिन बड़ी संख्या में बांडधारकों द्वारा दावा नहीं करने के चलते सेबी ने पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में सिर्फ 14 करोड़ रुपए ही वापस किए थे, जबकि उस साल सेबी-सहारा वापसी खाते में जमा कुल राशि में 1,400 करोड़ रुपए की और वृद्धि हो गई।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी ताजा वाषिर्क रिपोर्ट में कहा कि उसे 31 मार्च 2021 तक 19,616 आवेदन मिले, जिसमें लगभग 81.6 करोड़ रुपए के धन वापसी के दावे थे। सेबी ने बताया कि उसने 16,909 मामलों में (129 करोड़ रुपए, जिसमें 66.35 करोड़ रुपए मूलधन और 62.34 करोड़ रुपए ब्याज शामिल है) रिफंड जारी किए हैं, जबकि 483 आवेदनों में कमियों को दूर करने के लिए निवेशकों को वापस भेज दिया गया है। नियामक ने कहा कि सात आवेदन विवादित श्रेणी में रखे गए हैं, सहारा के पास 332 आवेदन लंबित हैं, 122 आवेदन सेबी के पास लंबित हैं और 2,487 मामले निवेशकों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने और रिकॉर्ड नहीं होने के चलते बंद कर दिए गए हैं।

अपने पिछले अपडेट में सेबी ने 31 मार्च, 2020 तक उसके द्वारा रिफंड की गई कुल राशि 115.2 करोड़ रुपए (15,140 आवेदनों के संबंध में) बताई थी। उस समय विवादित मामलों की संख्या बहुत अधिकतम 229 थी, जबकि बंद हुए मामलों की संख्या 1,688 थी। सेबी ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित विभिन्न आदेशों और नियामक द्वारा पारित कुर्की आदेशों के अनुसार, 31 मार्च तक कुल 15,473 करोड़ रुपए की वसूली की गई है। सेबी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के 31 अगस्त, 2012 के निर्णय के अनुसार, बांडधारकों को रिफंड करने के बाद उन पर अर्जित ब्याज सहित इन राशियों को विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा कर दिया गया है। 31 मार्च, 2021 तक जमा की गई कुल राशि इन बैंकों में 23,191 करोड़ रुपए हैं। 31 मार्च, 2020 तक यह राशि 21,770.70 करोड़ रुपए थी।

सेबी के ताजा अपडेट पर प्रतिक्रिया देते हुए सहारा समूह ने कहा कि उसके अपने आकलन के मुताबिक, सहारा-सेबी खाते में ब्याज सहित जमा राशि करीब 25,000 करोड़ रुपए होनी चाहिए। समूह ने आरोप लगाया कि सेबी अकारण सहारा और उसके निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपए रोके हुए है। वर्षो से रिफंड दावों को आमंत्रित करने के लिए सेबी द्वारा विभिन्न समाचार पत्रों में दिए जा रहे विज्ञापनों का जिक्र करते हुए सहारा ने कहा कि नियामक ने पिछले विज्ञापन में स्पष्ट कर दिया था कि वह जुलाई 2018 के बाद प्राप्त किसी भी दावे पर विचार नहीं करेगा। इसका मतलब है कि सेबी को और अधिक दावेदारों को भुगतान नहीं करना है। लिहाजा, अकारण अपने पास रखी 25 हजार करोड़ की राशि सहारा को वापस कर देनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, सत्यापन के लिए सहारा ने नौ साल पहले अपने सभी 3 करोड़ निवेशकों से जुड़े मूल दस्तावेज सेबी को दे दिए थे। समूह ने कहा कि 25,000 करोड़ रुपए की यह राशि अंतत: सहारा को वापस मिलेगी। समूह ने आगे कहा कि सेबी के लिए सहारा द्वारा जमा किए गए धन को रोकना दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य है।

समूह ने कहा कि इतनी बड़ी राशि बैंकों में बेकार पड़ी है, जो न केवल एक व्यापारिक संगठन के रूप में सहारा के हितों को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि हमारे देश के आर्थिक विकास को विशेष रूप से आर्थिक मंदी के इस कठिन समय में बाधित कर रही है। सेबी ने 2011 में सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को आदेश दिया था कि वे निवेशकों से जुटाए गए धन को वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बांड (ओएफसीडी) के रूप में जाने जाने वाले कुछ बांडों के माध्यम से वापस करे। अपील और क्रॉस-अपील की लंबी प्रक्रिया के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा था। निर्देशों में दोनों फर्मो को निवेशकों से एकत्र किए गए धन को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने के लिए कहा गया था। सहारा को निवेशकों की राशि वापस करने के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपए जमा करने के लिए कहा गया था। हालांकि समूह हमेशा कहता रहा है कि यह दोहरे भुगतान की राशि है, क्योंकि उसने पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को उनका धन सीधे वापस कर दिया था।

2020-21 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सेबी ने कहा कि मामले में उसके कार्यों की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीएन अग्रवाल द्वारा की जाती है। इस मामले में समय-समय पर शीर्ष अदालत के समक्ष दायर स्थिति रिपोर्ट के बारे में विवरण प्रदान किया जाता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सेबी ने 31 मार्च, 2021 तक 22 स्थिति रिपोर्ट दाखिल की थीं। सहारा समूह ने अपने बयान में कहा कि उसने हमेशा भारत भर में फैली मानव पूंजी को उत्पादक रूप से चैनलाइज करके और लोगों के दरवाजे पर रोजगार और काम देकर अपने कारोबार का निर्माण किया है। इस तरह सहारा 14 लाख से अधिक लोगों को उनके अपने गांवों और कस्बों में रोजी रोटी उपलब्ध करा रहा है। यह भारतीय रेलवे के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी मानव पूंजी है। सेबी में जमा राशि का उपयोग संगठन द्वारा अधिक रोजगार और काम पैदा करने के लिए किया जा सकता था और इससे देश और उसकी अर्थव्यवस्था को मदद मिलती।

एजेंसियां
नई दिल्ली


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