वकील अनुपस्थित हो तो याचिका खारिज नहीं कर सकते

Last Updated 23 Nov 2020 01:16:59 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के दौरान चार बार वकील के अनुपस्थित रहने के आधार पर एक व्यक्ति की याचिका खारिज करने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि किसी नागरिक की स्वतंत्रता इस प्रकार नहीं छीनी जा सकती।


उच्चतम न्यायालय

न्यायालय ने टिप्पणी की कि अदालत ने याचिका खारिज करके स्पष्ट रूप से त्रुटि की और उसे हथियार कानून के तहत दोषसिद्धि संबंधी मामले में सहायता के लिए एक अन्य वकील को न्यायमित्र नियुक्त करना चाहिए था।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अदालत ने इस आधार पर याचिका खारिज करके स्पष्ट रूप से त्रुटि की कि याचिकाकर्ता का वकील चार बार उपस्थित रहा। न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी भी इस पीठ में शामिल थीं। न्यायालय ने 16 नवम्बर के अपने आदेश में कहा, किसी नागरिक की स्वतंत्रता को इस तरीके से छीना नहीं जा सकता। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार कर ली और उच्च न्यायालय के 11 फरवरी और 16 जुलाई के आदेशों को दरकिनार कर दिया। अदालत ने 11 फरवरी को याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि याचिकाकर्ता का वकील चार बार सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहा।

इसके बाद अदालत ने 16 जुलाई को याचिका पर फिर से सुनवाई किए जाने संबंधी अनुरोध खारिज कर दिया था और कहा था कि इसका कोई आधार नहीं है। याचिकाकर्ता ने अदालत के इन आदेशों के खिलाफ अपने वकील एम के घोष के जरिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

भाषा
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment