कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ फ्रांस का पुरजोर समर्थन कर रहा भारत

Last Updated 29 Oct 2020 11:44:16 AM IST

करीब दो सप्ताह पहले फ्रांस में एक मुस्लिम अप्रवासी द्वारा एक शिक्षक का सिर कलम किए जाने की घटना के बाद कट्टरपंथी इस्लाम की निंदा कर रहे फ्रांस को भारत का समर्थन मिल गया है।


विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)

सरकार ने बुधवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि वह "अंतर्राष्ट्रीय विमर्श के सबसे बुनियादी मानकों का उल्लंघन करते हुए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर अस्वीकार्य भाषा में व्यक्तिगत हमलों की दृढ़ता से निंदा करते हैं।"

विदेश मंत्रालय ने भी दुनिया को चकित कर देने वाले शिक्षक का सिर कलम करने की क्रूर व भयावह आतंकवादी हमले की निंदा की।

सरकार ने उनके परिवार और फ्रांस के लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।

बयान में आगे कहा गया, "किसी भी कारण से या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद को लेकर स्पष्टीकरण दिए जाने का कोई औचित्य नहीं है।"

देश और विदेश में रह रहे भारतीय फ्रांस के साथ इस हमले को लेकर एकजुटता व्यक्त करते हैं।

गौरतलब है कि फ्रांस में माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक सैमुअल पैटी का 18 वर्षीय अब्दुल्लाख अंजोरोव ने 16 अक्टूबर को पेरिस के पास एक स्कूल के अंदर मार दिया था।

राष्ट्रपति मैक्रों ने इस घटना को इस्लामिक आतंकवाद से जुड़ा कृत्य कहा था। साथ ही कहा कि पैटी ने अपने छात्रों को अभिव्यक्ति की आजादी का उदाहरण देते हुए पैगंबर मुहम्मद को दर्शाते हुए चार्ली हेब्दो के कार्टून दिखाए थे, जिसे मुस्लिम अप्रवासियों ने अपने अपमान के तौर पर लिया।

यहां तक कि शिक्षक ने मुस्लिम छात्रों को उनकी कक्षा में उपस्थित न होने का विकल्प भी दिया था।

हालांकि बाद में पुलिस ने अंजोरोव की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना को पिछले दो दशकों में फ्रांस के कई इस्लामी आतंकवादी हमलों में से एक माना गया।

मैक्रों ने पैटी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बच्चों को पढ़ाने के लिए देश के नाम शहीद के रूप में वर्णित किया। इसके बाद ही देश में कट्टरपंथी इस्लाम के बारे में एक बड़ी बहस शुरू हो गई है।

फ्रांस में कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ कई बड़ी विरोध रैली आयोजित की गईं। हालांकि दुनिया भर के इस्लामिक प्रतिनिधियों ने मैक्रों और फ्रांसीसी अधिकारियों को ऑनलाइन भला बुरा कहते हुए अपशब्द भी कहे।

एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार, फ्रांस में 87 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनका धर्मनिरपेक्ष समाज खतरे में है और 79 प्रतिशत का मानना है कि इस्लाम धर्म ने फ्रांसीसी गणतंत्र के खिलाफ युद्ध की घोषणा की है।

आईएएनएस
नयी दिल्ली


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