राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती आज, पीएम मोदी और शाह समेत कई दिग्गजों ने किया नमन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर को उनकी जयंती पर स्मरण और नमन किया है।
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प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने दिनकर को उनकी जयंती पर नमन करते हुए कहा उनकी कालजयी कविताएं साहित्य प्रेमियों को ही नहीं, बल्कि समस्त देशवासियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी।
ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्म भूषण और साहित्य अकादमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्रकवि दिनकर की आज 112वीं जयंती है।
मोदी ने राष्ट्रकवि को स्मरण कर कहा, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। उनकी कालजयी कविताएं साहित्यप्रेमियों को ही नहीं, बल्कि समस्त देशवासियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। उनकी कालजयी कविताएं साहित्यप्रेमियों को ही नहीं, बल्कि समस्त देशवासियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 23, 2020
शाह ने कहा, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी अपनी उपाधि के अनुरूप साहित्य जगत में अपने लेखन के माध्यम से एक सूरज की भाँति चमके। उन्होंने स्वतांता आंदोलन के दौरान अपनी कलम की शक्ति से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आजादी के बाद अपने विचारों से समाज की सेवा की। राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत अपनी कविताओं से ‘दिनकर’ जी ने राष्ट्रीयता के स्वर को बुलंद किया। देश के लोकतंत्र पर हुए सबसे बड़े आघात आपातकाल का उन्होंने निडर होकर विरोध किया और उनकी कविता ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ उस आंदोलन का स्वर बनी। राष्ट्रकवि दिनकर को कोटिश: नमन।
राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत अपनी कविताओं से ‘दिनकर’ जी ने राष्ट्रीयता के स्वर को बुलंद किया। देश के लोकतंत्र पर हुए सबसे बड़े आघात आपातकाल का उन्होंने निडर होकर विरोध किया और उनकी कविता ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ उस आंदोलन का स्वर बनी।
— Amit Shah (@AmitShah) September 23, 2020
राष्ट्रकवि दिनकर को कोटिशः नमन।
कांग्रेस पार्टी की ओर से भी ट्विटर हैंडल के जरिए रामधारी सिंह दिनकर को नमन किया गया। पार्टी ने अपने ट्वीट में उनकी एक कविता भी साझा की।
लेकिन होता भूडोल, बवंडर उठते हैं,
— Congress (@INCIndia) September 23, 2020
जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
बिहार की क्रांतिधर्मा माटी के राष्ट्रकवि दिनकर जी ने अपनी रचनाओं से ब्रिटिश हुकूमत की नींदें उड़ा दी थी।
वीर धरा के वीर पुत्र को नमन... pic.twitter.com/6suEATUxo9
दिनकर का जन्म 1908 में बिहार के सिमरिया में हुआ था और देशभक्ति से ओत-प्रोत उनकी कविताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों को प्रेरणा दी थी।
राज्य सभा के तीन बार सदस्य रहे दिनकर का 1974 में निधन हो गया था।
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