किसान संबंधी बिल को लेकर राज्यों से परामर्श नहीं किया गया: चिदंबरम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने लोकसभा में किसान संबंधी दो विधेयकों को अनुमोदित करने को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसानों के विरोध प्रदर्शन पर शुक्रवार को कहा कि यह जनता और सरकार के बीच की दूरी को प्रदर्शित करता और यह दर्शाता है कि राज्यों से परामर्श नहीं किया गया है।
![]() कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम (फाइल फोटो) |
चिदंबरम ने आज कई ट्वीट किये। उन्होंने कहा कि किसान संबंधी दो विधेयकों को लोकसभा ने अनुमोदित कर दिया है। पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह जनता और सरकार के बीच की दूरी को प्रदर्शित करता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, दोनों विधेयक हमारे अपूर्ण खाद्य सुरक्षा प्रणाली के तीन स्तंभों को चुनौती देते हैं। वे हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), सार्वजनिक खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.)।
उन्होंने कहा, ‘‘तमिलनाडु में किसानों ने मुझे बताया कि वे 1150 रुपये के एमएसपी के मुकाबले निजी व्यापारियों को 850 रुपये में धान बेच रहे हैं। राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करना होगा।’’
उन्होंने कहा कि विधेयकों में गंभीर दोष यह है कि वे यह निर्धारित नहीं करते हैं कि किसान को जो कीमत मिलेगी वो एमएसपी से कम नहीं होगी। राज्यों से परामर्श नहीं किया गया। भाजपा सरकार द्वारा यह कानून पारित करना राज्यों के अधिकार और संघवाद लिए एक बड़ा झटका है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि से जुड़े विधेयकों को लेकर हो रहे विरोध पर गुरुवार को इन्हें ऐतिहासिक बताते हुए कहा था कि किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी तथा अन्नदाता सशक्त होंगे।
कृषि से जुड़े विधेयकों के विरोध में मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री अकाली दल बादल प्रतिनिधि हरसिमरत कौर बादल ने कल इस्तीफा दे दिया था जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार भी कर लिया है।
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