भारत के तिहरे चक्रव्यूह से छटपटा रहा ड्रैगन
सीमा पर आंखें तरेर रहे चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए भारत ने ड्रैगन की मुश्के तीन तरफ से कसना शुरू कर दी।
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घेराबंदी ऐसी कि चीन को समझ में आ जाएगा कि यह नए जमाने का भारत है और इससे पार पाना आसान नहीं है। चीन को सबक सिखाने के लिए भारत ने सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर जो जाल बुना है उसमें चीनी नेतृत्व झटपटाने लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चक्रव्यूह में चीन लगातार घिरता जा रहा है।
एक तरफ जहां पूरी दुनिया में वह अलग-थलग पड़ता जा रहा है वहीं उसके आर्थिक हितों पर भी करारी चोट पहुंच रही है। सैन्य मोर्चे पर जहां भारत ने एलएसी पर मजबूत घेराबंदी की है वहीं मित्र देशों से लगातार शस्त्रागार को भी भर रहा है। तीन महीने में रूस की दूसरी यात्रा पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का जाना इसी मुहिम का एक हिस्सा है। भारत की कोशिश है कि रूस से अत्याधुनिक हवाई रक्षा प्रणाली एस400 कि जल्दी से जल्दी आपूर्ति हो और इसके साथ ही भारतीय शस्त्रागार में मौजूद रूसी सैन्य उपकरणों का उन्नतीकरण हो। सैन्य मोर्चे पर भारत ने पिछले एक हफ्ते में एलएसी पर ऊंची चोटियों पर अपनी मोर्चाबंदी को रणनीतिक रूप से बेहद मजबूत स्थिति में ला दिया है। इस मोर्चे पर भारत ने एलएसी पर 38 पिनाका मिसाइल बैटरी समेत स्ट्राइक कोर का ऐसा चक्रव्यूह रच दिया है इससे पार पाना चीन के लिए आसान नहीं होगा।
कूटनीतिक मोर्चे पर भारत ने चीन को पूरी दुनिया में अलग-थलग कर दिया है। अमेरिका, रूस, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इस्रइल, दक्षिण कोरिया जैसे रणनीतिक साझेदारों के साथ लगातार संवाद बनाए हुए है और एलएसी पर चीन की हर हरकत को शेयर कर रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रूस की दूसरी यात्रा भारत की कूटनयिक मुहिम का हिस्सा है। इतना ही नहीं पड़ोसी देशों श्रीलंका, बांग्लादेश के साथ भी भारत ने अपनी कूटनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है। म्यांमार व वियतनाम जैसे चीन के पड़ोसी राष्ट्रों के साथ भी वार्तालाप का सिलसिला बढ़ा दिया है। भारत के कूटनीतिक चक्रव्यूह का असर है कि पूरी दुनिया में चीन अकेला पड़ गया है।
आर्थिक मोर्चे पर भी भारत ने एक के बाद एक लगातार चीन को भारी चोट पहुंचाई है। मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध से लेकर चीनी खिलौनों के परीक्षण के निर्णय चीन की अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी हो सकते हैं। अर्थव्यवस्था के स्तर पर चीन को चोट पहुंचाने की इस मुहिम में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया भारत के साथ खड़े हुए हैं। भारत के प्रतिबंधों का असर है कि चीन की टिक टॉक जैसी कंपनी बिकने के कगार पर आ गई है। चीन के लिए भारत सौ अरब डालर का कारोबारी बाजार है। तनाव से जो अविश्वास पैदा हुआ है उसमें भारत का भरोसा जीतना अब चीन के लिए आसान नहीं होगा।
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