चीनी सेना LAC पर ढाई किलोमीटर तक पीछे हटी, भारत ने भी कुछ टुकड़ियां पीछे हटाई
पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ के कारण दोनों देशों के बीच बने गतिरोध को दूर करने के लिए चीनी सेना करीब ढाई किलोमीटर पीछे हट गई है।
![]() पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ |
भारतीय सेना भी कुछ पीछे हटी है। यह सकारात्मक पहल चीन ने बुधवार को होने वाले दो स्टार कमांडर स्तर की बैठक से पहले प्रदर्शित की है। भारत का नेतृत्व 14वीं कोर्प्स के मेजर जनरल करेंगे।
छह जून को तीन स्टार कमांडर स्तर की बैठक हुई थी। भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय और चीनी विदेश मंत्रालय ने इस बैठक को सकारात्मक बताया था। बैठक में भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करना होगा और पांच मई से पहले की स्थिति कायम करनी होगी। चीन ने भी भारतीय सीमा पर हो रहे सड़क निर्माण को रोकने का मुद्दा उठाया था। भारत की तरफ से वार्ताकार लेफ्टिनेंट जनरल हरिदंर सिंह ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय को भेजी थी, जिस पर कल ही रक्षामंत्री ने सीडीएस और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में ताजा हालात की समीक्षा की गई और राजनाथ सिंह ने कहा था कि वार्ता सकारात्मक रही। यही बात चीन की तरफ से भी आई। चीन ने सोमवार के बयान में तनाव कम करने के संकेत थे।
बुधवार सुबह से फिर वार्ता होगी। इस बार मेजर जनरल स्तर पर होगी। इस बैठक से पहले चीन ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए अपनी सेना को गलवान में सीमा से 2.5 किमी पीछे हटा दिया है। भारत के सैनिक भी सीमा से कुछ पीछे हटे हैं। सूत्रों के अनुसार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने गलवान क्षेत्र में, पैट्रोलिंग बिंदु 15 और हॉट स्प्रिंग एरिया से अपने सैनिकों और युद्धक वाहनों को ढाई किलोमीटर पीछे किया है। भारत ने भी अपनी कुछ टुकड़ियां पीछे हटाई हैं।
मालूम हो कि गत छह मई को चीनी सेना गलवान घाटी में पेंगोंग लेक के उत्तरी छोर पर आ डटी थी जिसके कारण दोनों देशों के सैनिकों के बीच हाथापाई और पत्थरबाजी हुई थी। उसके बाद दोनों सेना आमने सामने डटी हैं। छह जून को हुई लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बैठक के बाद चीनी सेना दो किलोमीटर पीछे हटी थी और मंगलवार को करीब ढाई किलोमीटर पीछे हट गई है। बता दें कि चीनी सेना करीब आठ किलोमीटर भारतीय सीमा में प्रवेश कर गई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि दोनों पक्षों ने माना कि इस साल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वषर्गांठ है और वे इस पर राजी हुए कि इस मसले के तत्काल समाधान से संबंधों का और विकास होगा। फलस्वरूप दोनों पक्ष स्थिति को हल करने तथा सीमा इलाके में शांति सुनिश्चित करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक वार्ता जारी रखेंगे।
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