आने वाले समय में पांच करोड़ रोजगार पैदा करना मेरा लक्ष्य : गडकरी
केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय की खास बातचीत।
![]() सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय की खास बातचीत एवं केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी |
वर्ल्ड बैंक से पैसा लाना हो या फंडिंग के लिए वैकल्पिक साधनों की व्यवस्था करना। यह सबको समझ में नहीं आता है। आपको इस तरह से फंडिंग लाने में कितनी मुश्किलें आती हैं?
किसी भी इनोवेटिव आइडिया को सामने रखने में चुनौतियां तो आती ही हैं। आर्थिक विकास के लिए फंड्स को मोबिलाइज करना जरूरी है। हमारे पास पेंशन, इंश्योरेंस और शेयर यह तीन सेक्टर हैं, जिनमें बहुत पैसा है। अभी एलआईसी ने मुझे सवा लाख करोड़ रु पए देने का वादा किया है। जब इस तरह का कोई वित्तीय मॉडल सामने रखते हैं तो मीडिया को, अधिकारियों को, सभी को समझाना पड़ता है। सब कहने लगते हैं कर्ज बढ़ रहा है। कर्ज बढ़ता है तो टोल भी बढ़ता है। उससे कमाई भी बढ़ती है। हमने शिपिंग और सड़क निर्माण में पीपीपी मॉडल को शामिल किया है। अभी बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर इस मॉडल को रखा जा सकता है। जैसे रेलवे के साथ बड़ा काम किया जा सकता है। सी प्लेन चलाए जा सकते हैं। नागपुर में मैं ब्रॉडगेज मेट्रो को लेकर आया हूं। उसके पायलट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। आमतौर पर मेट्रो को बनाने में प्रति किलोमीटर 300 करोड़ रुपए का खर्च आता है जबकि ब्रॉडगेज मेट्रो चार से पांच करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर के खर्चे पर बन जाएगी। इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट मजबूत होगा। इलेक्ट्रिक से चलने वाली ब्रॉडगेज मेट्रो द्वारा दिल्ली से जयपुर जैसे शहरों की यात्रा 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पूरी की जा सकेगी। इससे प्रदूषण भी नहीं होगा। इन तमाम इनोवेशन और इनके वित्तीय मॉडल समझाने में मेहनत तो करनी पड़ती है।
कोरोना और लॉकडाउन के कारण एमएसएमई संकट महसूस करता रहा है। इस दौरान आप उद्योगों का मनोबल बढ़ाने के लिए यहां तक कि छात्रों के साथ भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग करते रहे हैं। कोविड-19 के संकट को अवसर में बदलने की बात करते रहे हैं। उन्हें भरोसा दिलाते रहे हैं कि ‘मैं हूं ना’। इस भरोसे का आधार क्या है?
मैं भी सोशल मीडिया की ताकत को इतना नहीं जानता था और न ही तकनीक से इतना ज्यादा वाकिफ था। मुझे अपने शुरु आती दिनों में र्रिचड निक्सन की एक किताब पढ़ने का मौका मिला था। जिसमें एक बात थी, युद्ध में हारने वाला समाप्त नहीं होता, बल्कि युद्ध को छोड़कर भागने वाला समाप्त हो जाता है। आज हमें सकारात्मकता और आत्मविश्वास की सख्त जरूरत है। मैंने 110 वीडियो कॉन्फ्रेंस नागपुर में रहते हुए की हैं। 40 से 50 टेलीविजन इंटरव्यूज में हिस्सा लिया है। जो आंकड़ा मेरे पास मौजूद है, उसके मुताबिक मैं 14 करोड़ लोगों तक पहुंच पाया। 50 से ज्यादा यूनिर्वसटिीज के 6000 स्कॉलर्स से मुझे बात करने का मौका मिला है। आज तकनीक की ताकत हमारे हाथ में है। इसका इस्तेमाल करना चाहिए। आत्मविश्वास को बढ़ाने का हर मुमकिन प्रयास करना चाहिए। हम आर्थिक मोर्चे पर या इस महामारी की जंग में जरूर जीतेंगे। हमें आत्मविश्वास बढ़ाना है, अहंकार नहीं। इन दोनों के फर्क को भी समझना होगा। हम जरूर यशस्वी होंगे।
डिजिटाइजेशन में आपने बहुत काम किया है। चाहे वह गाड़ियों की नंबर प्लेट्स हों या फिर फर्जी लाइसेंस, इन सभी पर लगाम लगाने में डिजिटल प्लेटफार्म ने बड़ी मदद की है। किस तरह की चुनौतियां इस काम में सामने आई ?
सभी डाक्यूमेंट्स को अब मोबाइल में एक ऐप के माध्यम से साथ रखा जा सकता है। कागज साथ में रखने की जरूरत नहीं है। ई गवन्रेस के साथ हमने इस डाटा को जोड़ा। अभी तक एक लाइसेंस जब्त होने के बाद दूसरे या तीसरे लाइसेंस के जरिए कई ड्राइवर फर्जीवाड़ा कर रहे थे। अब इसकी रोकथाम हो गई है। ब्लड ग्रुप की जानकारियों के साथ-साथ, किस तरह की बीमारियां हैं, उनका भी उल्लेख किया जा रहा है। 30 फीसद फर्जी लाइसेंस थे, जिनको हमने इस प्रक्रिया में पकड़ा है। 22 लाख ड्राइवरों की देश में कमी है। यदि ग्रामीण इलाकों में ड्राइविंग के ट्रेनिंग स्कूल खोले जाएं तो बड़ी मात्रा में रोजगार पैदा किए जा सकते हैं।
नितिन जी एक सवाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जुड़ा हुआ है। चूंकि आप उनके करीबी सहयोगी हैं, इसलिए आप अक्सर उनसे किसी न किसी मुद्दे पर सलाह-मशविरा भी करते होंगे। ऐसे में हम आपसे जानना चाहेंगे कि आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामकाज को किस तरह आंकते हैं ?
जब वह मुख्यमंत्री थे, तभी से उनका काम शानदार रहा है। उनके पास विकास की दृष्टि है। वह निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं। उनका सबसे बड़ा गुण है सतत परिश्रम करना। वह आज भी सतत काम करते हैं। बहुत ही गहराई में जाकर चीजों को समझते हैं और परिणाम निकलने तक जुटे रहते हैं। राष्ट्र निर्माण के लिए वह पूरी तरह से समर्पित हैं। यह उनके व्यक्तित्व की बड़ी विशेषता है। उनके विचार में हमेशा यह चलता है कि हर क्षेत्र में देश आगे कैसे बढ़े ? कैसे पांच ट्रिलियन की सुपर इकोनामी बने? कैसे हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो? इसके लिए उन्होंने जो भी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, उनमें हमें भी सहयोग देने का मौका मिलता है। उनके साथ काम करके आनंद मिलता है।
एमएसएमई इसीलिए महत्वपूर्ण मंत्रालय है, क्योंकि आपके कंधों पर करोड़ों लोगों को रोजगार देने की भी जिम्मेदारी है। आप क्या सोचते हैं, क्या यह जिम्मेदारियां बहुत ज्यादा हैं?
राजनीति राष्ट्र के पुनर्निर्माण का प्रभावी उपकरण है। इसी से सामाजिक आर्थिक विकास भी होता है। हम लोग परमानेंट नहीं हैं टेंपरेरी हैं। जब तक मौका मिल रहा है, तब तक जनता की सेवा करना ही असली राष्ट्रवाद है। गुड गवर्नेंस, डेवलपमेंट और अंत्योदय, जो पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सपना था, यही असली राष्ट्रवाद है। समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक हर जरूरी चीज को पहुंचाना है। जंगल के इलाकों, आदिवासी इलाकों में भी सुख समृद्धि पहुंचाना है। सिर्फ स्मार्ट शहरों की परिकल्पना नहीं करनी है, स्मार्ट गांव भी बनाने हैं। गांव को सुखी और समृद्ध करेंगे तो देश सुखी होगा। हिंदुस्तान का यही सपना पूरा करना है और इसके लिए हर लक्ष्य को प्राप्त करेंगे। आने वाले समय में 5 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य मैंने अपने लिए रखा है। गांव में ही रोजगार मिले ताकि गांव के लोगों को शहर आने की जरूरत ना पड़े।
आपका सपना महानगरों का भार कम करना है। अच्छी बात है। लेकिन इसके लिए छोटे शहरों में भारी संख्या में रोजगार के नए अवसर पैदा करने की आवश्यकता है। ख़्ासकर लॉकडाउन के दौरान 10 करोड़ से ज्यादा नए बेरोजगारों की विशाल समस्या सामने आ गई है। आपकी थ्योरी बेरोजगारी की समस्या से निपटने का तो बेहतरीन उपाय है, लेकिन इसे अमलीजामा कैसे पहनाएंगे?
20 हजार करोड़ रु पए ब्लू इकोनामी के लिए रखे गए हैं। हमारा वॉल्यूम एक लाख करोड़ का है। हमारी समुद्री सीमा 75000 किलोमीटर की है, लेकिन अभी हम 7 नॉटिकल तक ही जा पाते हैं। हम इन्फ्रास्ट्रक्चर को यहां पर डेवलप करके मछली उद्योग को नई ऊंचाइयां दे सकते हैं। इसके साथ ही साथ शहद, हैंडलूम, बायोफ्यूल जैसी चीजों पर भी हम लगातार काम कर रहे हैं। आयुर्वेद और योग को लेकर भी हम रोजगार की संभावनाओं पर लगातार काम कर रहे हैं। रोजगार के लिए हमारे जो कार्यक्रम हैं, उस पर पूरा एक इंटरव्यू अलग से किया जा सकता है।
इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने आपका नाम लेकर पूछा था कि क्या आप इलेक्ट्रिक कार के बारे में बताने के लिए कोर्ट आ सकते हैं? निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट को प्रदूषण से लड़ने की आपकी दीवानगी पर भरोसा था। इलेक्ट्रिक कारों के इस्तेमाल से वाहनों से निकलने वाले लेड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों की मात्रा में तो निश्चित रूप से कमी आएगी, लेकिन बैट्री चार्ज करने के लिए बिजली की खपत बढ़ेगी। दूसरी सच्चाई ये है कि भारत में 83% ऊर्जा कोयले से प्राप्त होती है। कोयला संयंत्रों से वातावरण में नाइट्रिक और सल्फर ऑक्साइड्स, कार्बन डाईऑक्साइड और प्रदूषण फैलाने वाली दूसरी हाइड्रोकार्बन गैसें फैलती हैं। ऐसे में जब तक स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न न की जाए, तब तक इलेक्ट्रिक कार के इस्तेमाल का क्या औचित्य है?
हम केवल थर्मल पावर पर काम नहीं कर रहे हैं। हम गैर पारंपरिक ऊर्जा को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। चाहे हवा की शक्ति हो या हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हो। हमारे पास बड़े-बड़े डैम हैं। उदाहरण के लिए उत्तराखंड का पंचेर का डैम है। इसी तरह, हिमाचल और जम्मू कश्मीर में कई जगह हैं, जहां पर हम हाइड्रो पावर पैदा कर सकते हैं। इसी तरह हमने सोलर पावर को भी बढ़ावा दिया है और अब इसकी लागत थर्मल पावर से काफी कम हो गई है। हम ग्रीन पावर को भी बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं, जिसके बारे में मैंने आपको जानकारी दी। इसी तरह, पराली को हमारे यहां पर पंजाब और आसपास के इलाकों के लोग जलाते हैं, इससे बायो सीएनजी बनाने पर भी काम किया जा रहा है?। तो इस तरह के कई काम हो रहे हैं, जिससे गैरपरंपरागत ऊर्जा को हम ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दें। यह हमारे ऑटोमोबाइल सेक्टर ट्रांसपोर्टेशन आदि को आगे बढ़ाएंगे। अब इलेक्ट्रिक साइकिल भी आ गई हैं, यह भी बहुत महत्वपूर्ण रहेंगी।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए आप वैकल्पिक तकनीक पर ज़ोर देते रहे हैं। जैसे, सड़क निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग, बालों के उपयोग से सीमित ऊर्जा का उत्पादन इत्यादि। कोरोना संकट काल के दौरान या उसके बाद इन तकनीकों का उपयोग रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था को सहारा देने के बारे में आपकी नई योजनाएं क्या-क्या हैं?
यह मेरा प्रिय विषय है। इनोवेशन, रिसर्च, स्किल इन्हें मिलाकर ज्ञान बनता है और इस ज्ञान को पैसे में या संपत्ति में तब्दील किया जा सकता है। इसी तरह, कचरे को भी संपत्ति में तब्दील किया जा सकता है। मेरा मानना है कोई भी चीज वेस्ट नहीं होती है। नागपुर में टॉयलेट के पानी से हमने करोड़ों रु पए कमाए हैं। इसी तरह हम बायोफ्यूल पर कई जगह पर काम कर रहे हैं। बायो डाइजेस्टर का इस्तेमाल करते हुए कचरे से बायो सीएनजी बनाने पर काम कर रहे हैं। वेस्ट टू वेल्थ हमारा एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इसी तरह वेस्ट प्लास्टिक को हम सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल कर सकते हैं। कई किस्म की तकनीक आ गई है। जिससे आप पूरे कबाड़ को भी अच्छे से इस्तेमाल कर सकते हैं। आपने देखा कुंभ में गंगा कितनी निर्मल हो गई। अब चमड़ा उद्योग के लोग जब मुझसे मिलते हैं तो मैं उनसे कहता हूं कुछ भी करना गंगा को गंदा मत करना, ईटीपी प्लांट लगाइए।
आत्मनिर्भर भारत को लेकर विपक्ष काफी हमलावर हुआ है, वह अपने द्वारा सुझाए गए इन न्याय को लागू करते हुए सभी के खातों में साढ़े सात हजार डालने की बात कह रहा है। आत्मनिर्भर भारत की बात और विपक्ष का हमला इस पर आप क्या कहेंगे?
इस समय देश संकट से गुजर रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्तापक्ष की तरह विपक्ष का भी महत्व होता है। सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है। सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, अभी सब मिलकर देश के बारे में सोचें। इस समय सभी अड़चन में हैं। बैंक मीडिया या राज्य सरकारों के पास वेतन देने के लिए पैसा नहीं है, वहीं केंद्र सरकार का रेवेन्यू भी गिरा है। एक साथ मिलकर खड़े होने का वक्त है। जब यह कठिन समय बीत जाएगा तो जनता की अदालत में जाकर सभी लोग अपनी अपनी बात कह लेंगे। अभी राजनीति से ऊपर उठकर देशहित की बात सोचनी चाहिए।
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