कोरोना काल में हमारे प्रशिक्षित लोग दिखा रहे दम: पांडेय

Last Updated 06 Jun 2020 10:53:10 AM IST

कोरोना के इस महासंकट में बात चाहे हमारे स्किल काउंसिल द्वारा ट्रेंड 2 लाख हेल्थ वर्करों की हो या फिर देशभर में लाखों की संख्या में मास्क बनाकर निःशुल्क या नॉमिनल शुल्क पर इन्हें वितरित करने वाली जनशिक्षण संस्थान की गरीब और अशिक्षित महिलाओं की हो‚ हमारा मंत्रालय बेहतरीन काम कर रहा है।


केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय के साथ सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय।

हमारे मंत्रालय का फोकस अब अलग–अलग इलाकों में जरूरत के मुताबिक अलग–अलग ट्रेनिंग देने पर है। इसके साथ घर लौटे प्रवासी मजदूरों के साथ ही विदेश से लौटे लोगों की स्किल मैपिंग हो सके‚ इस पर भी हम काम कर रहे हैं। ये बातें केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने कहीं। उनसे सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने खास बातचीत की। प्रस्तुत है विस्तृत बातचीत–

कोरोना काल में कौशल विकास मंत्रालय की भूमिका काफी अहम हो गई है। स्किल काउंसिल के साथ ट्रेनिंग पाए हुए लगभग 2 लाख लोग मौजूदा समय में हेल्थ केयर में अपना योगदान दे रहे हैं। इस बारे में आपसे जानना चाहेंगे।

हेल्थ सेक्टर काउंसिल के अंतर्गत पैरामेडिकल और मेडिकल अटेंडेंट को हमने स्पेशल ट्रेनिंग दी है। कोरोना वायरस काल में एनएसडीसी ने बड़ा काम किया है। हमने यूं तो 6 लाख लोगों को अलग–अलग तरह की ट्रेनिंग दी‚ लेकिन लिखित में पौने दो लाख लोगों की सूचीबद्ध जानकारी हमने स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी है। इनमें पैरामेडिकल स्टाफ‚ मेडिकल अटेंडेंट‚ ओल्ड एज अटेंडेंट‚ डायबिटीज अटेंडेंट और पैथोलॉजिस्ट जैसे कई ट्रेनिंग प्रोग्राम रहे।

ग्रामीण इलाकों में जन शिक्षण संस्थान भी सेवाएं दे रहे हैं। यहां बड़ी संख्या में मास्क बनाकर वितरित किए जा रहे हैं। कोरोना संकट में आपका मंत्रालय और किन–किन योजनाओं पर काम कर रहा हैॽ

पहले भी शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत श्रमिक विद्यापीठ आते थे। अटल जी ने सबसे पहले इन्हें जन शिक्षण संस्थान का रूप दिया था। मेरे मंत्री बनने के बाद हमारे समक्ष भी यह मसला आया। इनके तहत गरीब और अशिक्षित महिलाओं को ट्रेनिंग देने का काम किया जाता है‚ जिससे कि वह स्व सहायता समूहों से जुड़ सकें। ऐसे 272 जन शिक्षण संस्थान थे‚ जिन्हें पुनर्जीवित करते हुए इनमें 83 और संस्थानों को जोड़ने की हमने स्वीकृति ली। इन्हें भी चालू करने का काम अंतिम दौर में है। मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि इन संस्थानों के तहत महिलाओं को मास्क बनाने की ट्रेनिंग दी गई और 32 लाख मास्क जन शिक्षण संस्थान की तरफ से बनाए गए। जिनका निशुल्क या बहुत ही नॉमिनल शुल्क के साथ वितरण किया गया। यह प्रयास इन महिलाओं को रोजगार भी दिलाएगा और सेवा के काम में भी लगाएगा।

आत्मनिर्भर भारत अभियान और वोकल फॉर लोकल के लिए कौशल विकास मंत्रालय की क्या रणनीति हैॽ

कोरोना वायरस के बारे में जब किसी ने सोचा भी नहीं था‚ तब भी हम इस तरह की पहल में लगे हुए थे। मुझे 10-11 महीने अब मंत्री के तौर पर हो चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने स्किल डेवलपमेंट को लेकर काफी महत्वपूर्ण काम किया है। आमतौर पर हम दिल्ली में बैठकर ट्रेनिंग प्रोग्राम को तय कर देते हैं। अब एहसास हो रहा है कि अलग–अलग इलाकों में अलग–अलग ट्रेनिंग की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए ओडिशा का केंद्रपाड़ा एक ऐसी जगह है‚ जहां ज्यादातर युवा प्लंबर ही बनते हैं। हमने उस जगह को चिन्हित किया और प्लंबिंग के लिए एक मॉडल ट्रेनिंग लैब को तैयार किया। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत हमने डेढ़ करोड़ और लोगों को जोड़ने का प्रयास शुरू किया है। अब जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग दिए जाने की जरूरत है। हाल के दिनों में हमने प्रवासी मजदूरों की समस्या को देखा है। अलग–अलग राज्यों से बात करके अब स्किल मैपिंग करवाई जा रही है। उदाहरण के लिए जो लोग अपने राज्यों में वापस लौटे हैं‚ वह किस स्किल के हैं और किस तरीके से उनके हुनर का इस्तेमाल किया जा सकता है। यही प्रयास हमने विदेशों से लौटने वाले लोगों के लिए भी किया है। विदेश मंत्रालय‚ नागरिक उड्डयन मंत्रालय और कौशल विकास मंत्रालय ने मिलकर इस प्रयास को आगे बढ़ाया है। इसे हमने स्वदेश का नाम दिया है। स्वदेश दरअसल एक ऐप है‚ जिसमें विदेशों से आने वाले लोग अपना रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं और अपने हुनर के बारे में जानकारियां दे रहे हैं। ताकि उनके लिए यहां काम की व्यवस्था की जा सके और साथ ही साथ उनके हुनर का इस्तेमाल किया जा सके।

आपका मंत्रालय डिमांड बेस स्किलिंग के लिए काम कर रहा है। जो जहां पर हैं‚ वहीं उनको स्किल्ड करना और वहीं पर जरूरतों के हिसाब से उनको रोजगार देने का लक्ष्य है इस दिशा में कितना काम हो चुका है कितना बाकी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अभी हाल में कहा कि हमारे यहां के मजदूरों की अब हालत बुरी नहीं होने दी जाएगी‚ क्योंकि सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के ही मजदूर थे जो लॉकडाउन के बाद बेहाल हुए।

बड़ी तादाद में मजदूर आजीविका के लिए‚ अपनी पहचान बनाने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाते हैं। महाराष्ट्र‚ राजस्थान और दक्षिण के कई राज्यों में गए ऐसे ही मजदूर लॉकडाउन के समय बदहाल स्थिति में दिखाई दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा मजदूरों की चिंता की है। यही वजह है कि उन्होंने इनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए घर–घर शौचालय‚ आयुष्मान‚ हर एक के लिए पक्का मकान‚ उज्ज्वला गैस योजना जैसी कई योजनाओं को चलाया। इन सारी योजनाओं का मकसद ही है इन लोगों की जीवन स्थिति सुधारना। लेकिन कोरोना काल में इनकी बदहाली भी देखने को मिली है। योगी आदित्यनाथ जी ने मजदूरों के लिए काफी अच्छा काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी लगातार इसके लिए सभी का मार्गदर्शन कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि मजदूरों का जीवन नारकीय नहीं होना चाहिए। हम स्किल मैपिंग के साथ–साथ उद्यमशीलता को सिखाने का काम भी कर रहे हैं। इस कठिन समय में आपने देखा कि जब बड़े बड़े मॉल और बाजार बंद हो गए‚ गांव के पुराने दुकान के सिस्टम ने बहुत बढ़िया तरीके से काम किया। कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहा। गांव के लोगों ने अपनी क्षमता दिखाई‚ जब आप उनसे पूछते हैं कि आप क्या चाहते हैं तो उनकी जरूरतें भी बहुत छोटी हैं। दुकान को थोड़ा सुधार दिया जाए। हम चाहते हैं कि अब इन तक डिजिटलाइजेशन पहुंचे। साथ ही साथ सर्विस सेक्टर पर भी हम ज्यादा जोर देना चाहते हैं। होम डिलीवरी के काम को भी आगे बढ़ाने के लिए हम ट्रेनिंग देना चाहते हैं। इसी तरह हेल्थ सेक्टर‚ एग्रीकल्चर जैसे अलग–अलग क्षेत्रों में ट्रेनिंग के कार्यक्रम चलाकर हम वोकल फॉर लोकल को आगे बढ़ाएंगे।

कोरोना संकट में तमाम चुनौतियों के बीच ये भी कहा जा रहा है कि कोरोना के बाद देश में कुशल कामगारों की डिमांड बढ़ेगी। क्या कहेंगे आपॽ

निश्चित तौर पर स्किल्ड मजदूरों की डिमांड बढ़ेगी। आने वाले समय में हम यह देखेंगे कि कौन लोग वापस जाना चाहते हैं। क्योंकि कई इंडस्ट्रीज जो आगे बढ़ रही हैं‚ वह भी मजदूरों के अभाव में ठप नहीं होनी चाहिए। मैं एक टिप्पणी इस पर जरूर करना चाहता हूं कि मजदूरों की राजनीति करने वाले कई संगठन हैं‚ लेकिन जब मजदूरों की बदहाली सामने आई तो असंगठित मजदूरों के लिए कोई सामने नहीं आया। प्रधानमंत्री मोदी ने इन मजदूरों का दर्द समझा और इन्हें सम्मानजनक जीवन दिलाने का प्रण लिया।

आईटीआई कटक और पुणे ने ऐसे रोबोट विकसित किए हैं‚ जो स्वास्थ्यकर्मियों को संकट के समय में सहयोग करेंगे... भारत के इस टैलेंट को सम्मान और पहचान देने के लिए क्या पहल हो रही हैॽ

हमारे आईटीआई में कई इनोवेटिव ईजाद सामने आ रही हैं। जिनमें कटक और पुणे में कोरोना वॉरियर्स के लिए यह बहुत ही मददगार रोबोट बनाने का प्रयास हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं भी इन प्रयासों की सराहना की है। साथ ही साथ बुरहानपुर आईटीआई के छात्रों ने भी पुराने माइक्रोवेव से एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है‚ जो कोरोना वॉरियर्स के इक्विपमेंट्स और दूसरी चीजों को सैनिटाइज करने का काम करता है। यह युवा दिमाग हमारे देश के लिए बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं।

कोरोना काल में जहां देश भर में प्रवासी मजदूरों के हालात से चिंता बनी हुई है‚ वहीं यूपी से अच्छी खबर आई है। राज्य सरकार ने साढ़े 11 लाख मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन और सीआईआई के साथ एमओयू साइन किया हैइस पहल को आप किस तरह देखते हैंॽ

यह बहुत ही स्वागत योग्य कदम है। अभी प्रधानमंत्री जी ने सीआईआई को संबोधित भी किया था। सीआईआई के तमाम पदाधिकारियों ने कहा भी है कि वह प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आगे बढ़ेंगे। देश के विकास के लिए इस तरह के प्रयास जरूरी है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अब कोई भी राज्य बिना अनुमति लिए यूपी के मैनपावर का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। इस तरह की पॉलिसी पर अमल कितना मुमकिन हैॽ

उनके बयान के भाव को समझना बहुत जरूरी है। उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और वहां सबसे बड़ी जनसंख्या मजदूरों की ही है। यदि उत्तर प्रदेश ठान ले तो यह सारे मजदूर इसी प्रदेश में खप सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब मजदूर किसी दूसरे प्रदेश में काम करने जाते हैं तो वह प्रदेश को संवारते भी हैं। ऐसे में इन प्रदेशों को भी प्रवासी मजदूरों के साथ सम्मान का व्यवहार करना चाहिए। योगी जी के बयान का भाव बहुत श्रेष्ठ है।

मजदूरों के पलायन और घर वापसी को लेकर यूपी में खूब सियासत हुई। कांग्रेस की ओर से मजदूरों के लिए एक हजार बसें उपलब्ध कराने को लेकर भी खूब खींचतान हुई। इस पूरे प्रकरण पर आपकी क्या राय हैॽ

यह राजनीति करने का समय नहीं है। पूरी मानव जाति पर जब संकट आया तो प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता ने इस संकट से लड़ने की राह दिखाई। तमाम व्यवस्थाएं की गई। 720 कोविड–19 अस्पताल तक बनाए गए। पहले पीपीई किट‚ मास्क नहीं बनते थे। अब तीन लाख से ज्यादा पीपीई किट और मास्क का निर्माण हो रहा है। इतने बड़े पैमाने पर जब काम होते हैं तो छोटी–मोटी कमियां रह जाती है। ऐसे में सुझावात्मक तरीके से सभी को अपनी बात रखनी चाहिए। राजनीति नहीं करनी चाहिए। लेकिन यह बात भाई बहन को समझ में नहीं आती है। वह हर चीज पर राजनीति करते हैं।

राहुल गांधी ने कहा कि लॉकडाउन पूरी तरह से फेल हो गया है। आप क्या कहना चाहेंगेॽ

लॉकडाउन फेल नहीं हुआ है‚ राहुल की समझ जो पहले से फेल थी‚ वह फेल हो गई है। राहुल गांधी को मालूम भी नहीं है कि यह वही मोदी जी हैं जो बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हुआ करते थे। गुजरात के कच्छ में आए भूकंप के बाद माननीय अटल जी ने इन्हें मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी उठाने के लिए कहा। क्योंकि सभी जानते थे उनके अलावा इन परिस्थितियों में गुजरात को कोई नहीं उठा सकता। यहां उन्होंने आपदा अधिनियम की रचना की। जिसका इस्तेमाल बाद में केंद्र सरकार से लेकर तमाम सरकारों ने किया। किस तरह वह अनुभव से भरे हुए हैं‚ इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। राहुल को यदि यह बात समझ में नहीं आती है तो वह अपनी पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता से बात करके समझ लें। उनके नेताओं ने भी प्रधानमंत्री के प्रयासों का स्वागत किया है।

सालों से ब्रेन ड्रेन भारत के लिए बड़ी समस्या रही है‚ सैलरी और सुविधाओं के लिए अच्छी प्रतिभाएं देश से बाहर चली जाती हैं। इस सिलसिले में सरकार की ओर लगातार प्रयास भी किए जा रहे हैं आप इस मामले को किस तरह देखते हैंॽ

यह आपने बहुत मौके का सवाल पूछा है। कोविड–19 के इस समय में जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं तब हमें कई बातों पर पुनर्विचार करने का मौका मिला है। जिस तरह कोविड–19 के कुछ सकारात्मक परिणाम पर्यावरण के लिहाज से देखने को मिले हैं। ठीक उसी तरह अपने गांव और अपने देश की कीमत भी अब लोगों को समझ में आ रही है। जो लोग वापस आ भी रहे हैं‚ उन्हें भी यहां खाली नहीं बैठने दिया जाएगा। उनके लिए अवसरों को पैदा करने का काम सरकार कर रही है। निश्चित तौर पर आने वाले समय में भारत विश्वस्तरीय महाशक्ति के तौर पर उभरेगा।

प्रधानमंत्री के प्रमुख लक्ष्यों में से एक कौशल विकास की योजना रही है। गठन से लेकर अब तक यह मंत्रालय अपने प्रयास में कितना सफल रहाॽ

प्रधानमंत्री ने कौशल विकास के क्षेत्र में काफी फोकस किया है। सिर्फ हमारा मंत्रालय ही नहीं‚ बल्कि सरकार के 17-18 विभाग कौशल विकास पर काम कर रहे हैं। कृषि‚ टेक्सटाइल सेक्टर हो या कोई अन्य सेक्टर हो‚ हर क्षेत्र में कौशल विकास के दायरे को बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। आत्मनिर्भरता लाने के लिए यह काम किए जा रहे हैं।

आत्मनिर्भर भारत एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके लिए किस तरह की तैयारी सरकार के द्वारा की जा रही हैॽ

निश्चित तौर पर इसके लिए काफी तैयारियां की जा रही है। जर्मनी और सिंगापुर ऐसे देश है‚ जहां पर स्किल डेवलपमेंट के लिए बड़े इंस्टिट्यूट है। इन्हीं की तर्ज पर हम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल डेवलपमेंट बनाने पर काम कर रहे हैं। मुंबई में चुना भट्टी के पास इंस्टिट्यूट का काम शुरू हो चुका है। इसी तरह गुजरात के गांधीनगर में अमित भाई शाह ने इंस्टिट्यूट का शिलान्यास किया था। टाटा एजुकेशन ट्रस्ट के साथ मिलकर हम इस प्रयास को आगे बढ़ा रहे हैं। जब तक यह भवन तैयार नहीं होते तब तक हम ने वैकल्पिक भवनों में क्लास चलाने की व्यवस्था भी की थी लेकिन कोविड–19 की वजह से यह प्रयास थोड़ा सा आगे बढ़ गया है। बहुत जल्दी ही विश्वस्तरीय संस्थान भारत में देखने को मिलेंगे। अभी हमारे आईटीआई या प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र बहुत बड़े पैमाने पर देश में काम कर रहे हैं।

भारतीय रेलवे सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला संस्थान है। इसमें आपने सर्टिफिकेट देकर स्किल्स को अपग्रेड करने का काम किया है। क्या इसी तरह का प्रयास हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री और अन्य तकनीकी क्षेत्रों के लिए भी करेंगेॽ

निश्चित तौर पर जहां से भी इस तरह के आग्रह आएंगे‚ वहां आरपीएल (रिकॉग्नाइजिंग प्रायर लर्निंग) को अपग्रेड करने का काम किया जाएगा। यानी पहले से आने वाले हुनर को सर्टिफिकेट देकर ग्रेड को बढ़ाया जाएगा। क्योंकि आपने ट्रेनों का जिक्र किया है‚ इसलिए मैं एक टिप्पणी करने से स्वयं को नहीं रोक पा रहा हूं। अभी प्रवासी मजदूरों को लाने में ट्रेनों ने बेहतरीन काम किया है। इस पर भी कुछ लोगों ने राजनीतिक टिप्पणी की। लेकिन मैं यह बताना चाहता हूं कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री पीयूष गोयल जी के नेतृत्व में रेलवे ने शानदार काम किया है। 4000 से ज्यादा ट्रेनें मजदूरों के लिए चलाई गईं‚ जिनमें इन मजदूरों की निशुल्क यात्रा की व्यवस्था हुई। रास्ते में इनके भोजन की व्यवस्था की गई। हमें महसूस करना चाहिए कि किस तरीके से रेलवे ने शानदार काम किया है।

एक व्यक्तिगत सवाल आपसे लेना चाहता हूं। अपने जीवन का वह किस्सा बताएं जब आपके पिताजी ने आपसे कहा था कि तुम क्या करते हो‚ बड़े–बड़े लोग तुमसे मिलने के लिए आते हैंॽ

1977 में मैं बीएचयू छात्र संघ का महामंत्री चुन लिया गया था। उस समय यह पद बड़े महत्व का होता था। मेरे पिताजी उस समय भारतीय जीवन बीमा निगम में काम करते थे। उनके डिविजनल मैनेजर ने उन्हें बुलाकर कहा कि क्या आप अपने बेटे से मुझे मिलवा सकते हैं। पिताजी ने कहा यह कौन सी बड़ी बात है फालतू घूमता रहता है‚ जब कहेंगे तब मिलवा दूंगा। मैनेजर साहब को अपनी बेटी का एडमिशन करवाना था। इस घटना के बाद हमारे पिताजी को अहसास हुआ कि हम कुछ कर रहे हैं‚ यूं ही फालतू नहीं घूमते। बेटे को लेकर पिता की आंखों में चमक हो तो यह संतोष की अनुभूति देता है। मुझे भी इस घटना के बाद बड़ी खुशी हुई थी।

प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व और कार्यशैली में ऐसी क्या खासियत है कि बीजेपी में सभी उनके दीवाने हैं और उनके नेतृत्व में काम करते रहना चाहते हैंॽ

उनका व्यक्तित्व बहुत विशाल है। किसी एक वाक्य में रेखांकित नहीं किया जा सकता। लेकिन फिर भी कुछ नेता दिल से सोचते हैं और कुछ दिमाग से। यह एकमेव नेता है जो दिल और दिमाग दोनों का इस्तेमाल करते हैं। गरीबों की परेशानी को भावुक होकर समझते हैं और सुनियोजित तरीके से उनके समाधान निकालते हैं। यह भी पहला मौका है जब 5 साल सरकार चलने के बाद दोबारा पहले से ज्यादा बहुमत के साथ जनता किसी प्रधानमंत्री पर भरोसा जताए। प्रधानमंत्री की एक अपील पर हमेशा उनके आह्वान को मानने के लिए तत्पर रहें। उदाहरण के लिए राम मंदिर जैसे मुद्’दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। उस पर प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि इसे जय पराजय के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। ये सबका निर्णय है। पहले कहा जाता था कि इस पर कोई निर्णय होगा तो रक्तपात होगा। हालात बिगड़ जाएंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। प्रधानमंत्री की मास अपील को सभी ने माना। अल्पसंख्यक वर्ग ने भी उनकी बात को तवज्जो दी। यह उनके कई प्रसंगों में से एक बात है। ऐसे ही उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू हैं।



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