कोरोना से लड़ाई में हिमाचल बना मॉडल : जयराम ठाकुर

Last Updated 04 Jun 2020 12:45:15 AM IST

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय की खास बातचीत।


सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय एवं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश ने एक निश्चित रणनीति पर काम किया जिससे अब दूसरे राज्य भी मदद ले रहे हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इस दौरान हमने न सिर्फ अपने देश के लिए दवाइयां मुहैया कराई बल्कि दुनिया के 30 देशों तक हमने दवाओं को पहुंचाया है। ये बातें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहीं। उनसे सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने खास बातचीत की। प्रस्तुत है विस्तृत बातचीत :

कोरोना महामारी इस वक्त हम सबके सामने सबसे बड़ी चुनौती है। हिमाचल प्रदेश में आपने किस तरह की तैयारियां की हैं?
इसके लिए एक निश्चित रणनीति पर हमने काम किया जिससे अब दूसरे राज्य भी मदद ले रहे हैं। हिमाचल प्रदेश की रणनीति को एक मॉडल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। बाकी राज्यों के मुकाबले हमारे यहां कोरोना के मामले कम आए हैं। जो मामले आए भी वह बाहर से आए हुए लोगों की वजह से। इन लोगों को भी लाना जरूरी था क्योंकि बेहद कठिनाई में थे। मानवीय दृष्टि से हमने सभी को वापस घर आने दिया और उन्हें इंस्टीट्यूशनल क्वॉरंटीन में रखा। यही वजह रही कि प्रदेश में भीतर तक संक्रमण नहीं जा पाया।

2002 में अटल जी ने हिमाचल प्रदेश को फार्मा के लिए विकसित करने की एक योजना रखी थी। आज एशिया का सबसे बड़ा मेडिकल हब आप ही के यहां है। प्रधानमंत्री के लोकल से वोकल के नारे का सबसे ज्यादा कहीं इस्तेमाल किया जा सकता है तो वह हिमाचल ही है?
निश्चित तौर पर अटल जी को श्रेय जाता है कि उन्होंने एशिया के सबसे बड़े फार्मा की आधारशिला यहां पर रखी। उन्होंने हिमाचल को हमेशा अपना घर माना। एक स्पेशल पैकेज दिया जिससे हिमाचल में फार्मा इंडस्ट्री का विकास हो पाया। पूरे एशिया में बद्दी आज सबसे बड़ा फार्मा हब है। मोदी जी ने व्यक्तिगत रूप से कोरोना वायरस में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्माण के लिए हमसे आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि दवाई और फार्मा इंडस्ट्री का उत्पादन रु कना नहीं चाहिए। यदि इसके लिए मजदूर नहीं हैं तो मजदूरों का इंतजाम किया जाए। मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि सिर्फ  हमने अपने देश के लिए दवाइयां मुहैया नहीं करवाई बल्कि दुनिया के 30 देशों तक हमने इन दवाओं को पहुंचाया है।

आप अपने क्षेत्र में खासे लोकप्रिय हैं। 1998 से लगातार अपने क्षेत्र से चुने जा रहे हैं। आपने राजनीतिक कैरियर में अलग-अलग पदों पर काम किया है। किस तरह से आपने अपने क्षेत्र की जनता के लिए काम किया और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी क्या उनसे वैसे ही संवाद बना पाए?
निश्चित तौर पर जिस विधानसभा क्षेत्र से मैं चुनकर आता हूं वहां से बीजेपी को कभी जीत नहीं मिली थी। 1998 में पहली बार मैं जीता था और उसके बाद से लगातार आज तक पांचवीं बार मुझे वहां की जनता ने चुन कर भेजा है। यह वह जगह थी जहां पर बीजेपी की जमानत जब्त हो जाया करती थी। निश्चित तौर पर लोगों के लिए काम करते रहना और अपने आप को सिद्ध करना बहुत जरूरी होता है। पहली बार चुने जाने के बाद लोगों को अहसास हुआ कि मैं काम कर सकता हूं। फिर उसके बाद लगातार मैं काम करता रहा और लोग मुझ पर विश्वास जताते रहे। पार्टी में भी मैंने विद्यार्थी परिषद से लेकर पार्टी के अध्यक्ष पद तक कई जिम्मेदारियों को निभाया है। मुझे यह कहते भी खुशी होती है कि पहली बार हमने विशुद्ध बीजेपी की सरकार हिमाचल प्रदेश में 2008 में बनाई थी और तब मैं अध्यक्ष पद पर था। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह जी का सहयोग और मार्गदर्शन मुझे हमेशा मिलता रहा है। वर्तमान बीजेपी अध्यक्ष नड्डा जी हमारे हिमाचल प्रदेश के ही हैं। उनका स्नेह भी लगातार मिलता रहता है।

हिमाचल एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब है। इसके बावजूद रोड और एयर दोनों की कनेक्टिविटी एक बहुत बड़ी परेशानी है। क्या प्रधानमंत्री से आपने इस विषय पर बात की है?
निश्चित तौर पर यह दोनों ही पीड़ा के विषय हैं। हम बहुत कुछ करने की क्षमता रखते हैं। इसके बावजूद कनेक्टिविटी की वजह से कई बार कमजोर पड़ जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी हिमाचल को हमेशा अपना घर माना है। मंडी में एयरपोर्ट के लिए प्रपोजल किया गया जिसे हरी झंडी मिल गई है और आगे की प्रक्रिया चल रही है। कोरोना संकट की वजह से यह काम कुछ समय के लिए रुक गया था। इसी तरह कांगड़ा में हमारा एयरपोर्ट पहले से ही काम कर रहा है। उसकी एयर स्ट्रिप छोटी है जिसे बढ़ाने का काम शुरू कर दिया गया है। जहां तक सड़कों का सवाल है नितिन गडकरी जी का आभार व्यक्त करना चाहूंगा। उन्होंने फोरलेन और हाईवे के मामले में काफी काम हिमाचल प्रदेश में शुरू करवाया है। आने वाले समय में निश्चित तौर पर हिमाचल में आना आसान होगा और मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जो एक बार आएगा वह यहीं रह जाएगा क्योंकि हिमाचल है ही इतना खूबसूरत।

हिमाचल प्रदेश पर कजरे का बोझ  बढ़कर 55 हजार 737 करोड़ हो गया है। कैसे होगी इसकी भरपाई?
निश्चित तौर पर यह हमारे लिए परेशानी का विषय है और सिर्फ  हिमाचल प्रदेश के लिए नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों के लिए एक बहुत बड़ी दिक्कत है। जिस तरह की प्लानिंग पहले की सरकारों को करनी चाहिए थी वह उन्होंने नहीं की। 55 हजार करोड़ का लोन हम पर हो गया। हर मदद के लिए केंद्र के आश्रित रहना पड़ रहा था। पहले की सरकार ने फिजूलखर्ची की और आने वाले समय को नहीं देखा। वह लोन पर लोन लेते गए। निश्चित तौर पर मानिए कि यदि कांग्रेस की सरकार होती तो यह कर्ज बढ़कर 65 हजार करोड़ हो गया होता है जिसे हमने काफी हद तक रोक दिया है। आने वाले समय में हम धीरे-धीरे करके इस कर्ज को भी उतार देंगे।

आपकी सरकार ने बजट में गुणवत्तापूर्ण घर, शिक्षा, ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी और कुपोषण की समस्या को लेकर कई अहम प्रावधान किए गए हैं, कहां से आएगा पैसा?
हिमाचल प्रदेश में कोई व्यक्ति बिना घर के नहीं रहता है। घर बेशक छोटा होगा लेकिन अपना घर होगा। कोई सड़क पर नहीं सोता। हम चाहते हैं कि अब इन लोगों के लिए अच्छे घर बनाएं ताकि मेहमान भी आएं तो भी घर में जगह हो। बजट में इसके लिए हमने प्रावधान किया है। पहले जितने घर हाउसिंग स्कीम के तहत बनाए जा रहे थे उनकी तादाद दोगुनी कर दी गई है। अब हमारा 10000 मकान बनाने का लक्ष्य है। गरीब के पास घर हो और अच्छा घर हो, इसके लिए हमने पहले से ही बजट में प्रावधान डाल दिया है। अपनी आय को बढ़ाने के लिए हमारे पास पर्यटन एक बहुत बड़ा उद्योग है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश एक पावर सरप्लस स्टेट है। बिजली हमारे लिए कमाई का एक बड़ा जरिया है। माइनिंग और एक्साइज से भी हमारी आय होती है। इसके अलावा सबसे बड़ा आय का स्रेत हमारे लिए हॉर्टकिल्चर है जिसमें हम सेब की खेती से अपनी आमदनी करते हैं। इस पैसे को हम गरीबों की भलाई के लिए इस्तेमाल करते हैं।

आपने किसानों की आय डबल करने की जो बात कही है, उसके लिए आपके पास क्या रणनीति है?
प्रधानमंत्री मोदी लगातार किसानों की स्थिति को बेहतर करने के लिए काम कर रहे हैं। उनका सपना है कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना किया जाए। केंद्र की तमाम योजनाएं किसानों के हित में चलाई जा रही हैं। कोरोना काल में शहर के आदमी ने एक ही बात कही मुझे घर पहुंचना है। हमसे देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों ने यही गुहार लगाई कि हमें घर पहुंचाइए। हमें ग्रामीण परिवेश में ही अर्थव्यवस्था को मजबूत करना होगा और प्रधानमंत्री का भी यही आग्रह है। इस दिशा में हम काम कर रहे हैं। हमने जीरो बजट खेती को प्रोत्साहन दिया है जिसका मतलब है बिना केमिकल और र्फटलिाइजर के प्राकृतिक रूप से खेती। इस शुरु आत को अब गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में अपनाया जा रहा है। यह खेती सस्ती भी होती है और इसमें अच्छा दाम भी मिलता है। जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सोलर सेंसिंग का इस्तेमाल किया है। ओलावृष्टि से सेब की फसल को नुकसान से बचाने के लिए हमने किसानों को नेट पर सब्सिडी दी। जिन जगहों पर ऐसे नेट लगाए गए हैं जिनमें ओलावृष्टि के बावजूद फसल बच जाती है।

हिमाचल में कोई भी परिवार ऐसा नहीं है जिसके पास कोई घर न हो इसलिए अब यहां क्वालिटी हाउसिंग पर जोर दिया जा रहा है। दूसरे राज्यों के लोगों के लिए हाउसिंग स्कीम पर आपकी सरकार की क्या योजना है?
हमने हाउसिंग स्कीम में यह प्रावधान डाला है कि दूसरे स्टेट से आने वाले लोगों के लिए भी अच्छे घर और ठहरने की अच्छी व्यवस्था हो। कई लोग हाउसिंग सेक्टर में इन्वेस्टमेंट करने के इच्छुक हैं इसीलिए नवम्बर 2019 में हमने इन्वेस्टर सम्मिट रखी थी। प्रधानमंत्री मोदी भी इसमें मौजूद थे। धर्मशाला में हुई इस समिट में बड़ी तादाद में इन्वेस्टर्स ने अपना रुझान दिखाया था। कोविड-19 की वजह से इसमें रुकावट आ गई है। आने वाले समय में टूरिज्म और हाउसिंग में प्रदेश में अच्छा इन्वेस्टमेंट होगा।

हिमाचल प्रदेश की विकास दर 7 फीसदी के आसपास है..जो राष्ट्रीय विकास दर के अनुपात में ज्यादा है।
हिमाचल प्रदेश का आदमी बहुत मेहनती होता है। हमारे किसान जी तोड़ मेहनत करते हैं। हमारे मजदूर को जो काम दिया जाता है वह से पूरी शिद्दत से करता है। इस मेहनत ने हमारी विकास दर में काफी योगदान दिया है। जितने भी सेक्टर्स का मैंने पहले जिक्र किया है उनका भी योगदान हमारी विकास दर में है। सेना में हमारे यहां से लोग बड़ी तादाद में नौकरी करते हैं। यही वजह है कि पूरे देश के मुकाबले हमारी विकास दर बेहतर है।

हिमाचल की प्रति व्यक्ति सालाना आय बढ़ाने के लिए भी आपकी सरकार काम कर रही है। पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में हर व्यक्ति की आय करीब 1 लाख 77 हजार रुपए सालाना है।
इसके लिए हम स्वरोजगार को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में स्वावलंबन योजना चलाई जा रही है। नौकरी की तरफ देखने के बजाय अपने रोजगार में दिलचस्पी लेना जरूरी है। स्वावलंबन योजना के तहत हमने ऐसे लोगों के लिए इंतजाम किए हैं। मुझे खुशी है कि लोग इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यह पर्यटन हमारे लिए एक महत्वपूर्ण सेक्टर है। जिसमें हम स्वरोजगार की कई संभावनाएं पैदा कर सकते हैं। पर्यटन से ही जुड़ी हुई होटल इंडस्ट्री है। बड़ी तादाद में पर्यटक यहां पर आते हैं और यह भी हमारे लिए रोजगार के अवसर पैदा करता है। सबसे बड़ी ताकत है कृषि क्षेत्र। जिस पर हमारा ज्यादा ध्यान है। इस क्षेत्र में भी स्वावलंबन को प्रोत्साहित करने पर हम काम कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश के किसानों की सबसे बड़ी परेशानी बंदरों से होने वाली बर्बादी है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार की क्या योजनाएं हैं ?
इसके लिए लगातार कोशिशें की जा रही है। जैसा मैंने आपको बताया सोलर सेंसिंग के लिए हम 80 फीसद की सब्सिडी दे रहे हैं लेकिन निश्चित तौर पर अभी इस दिशा में बहुत काम किए जाने की जरूरत है। जंगली जानवरों से हमारी फसलों को बड़ी तादाद में नुकसान होता है और इस रोकने के लिए लगातार हम प्रयास कर रहे हैं।

सेब हिमाचल प्रदेश के मुख्य वाणिज्यिक फसलों में एक है। सेब किसानों के प्रोत्साहन देने के लिए आपके पास क्या योजना है?
सेब हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण फसल है। इस बार हमें उम्मीद है ढाई करोड़ बॉक्सेस हम पूरे देश में भेज पाएंगे। यह बात तय है कि इस बार सिर्फ  विदेशों से आयात नहीं किया जा सकता। इसीलिए पिछले सालों के मुकाबले हमारी बिक्री में वृद्धि होगी। हमें अपने सेब का अच्छा दाम मिलेगा। जिस वक्त आजादपुर मंडी बंद हुई थी तब हमारे लिए चिंता का विषय बन गया था। हमने प्रधानमंत्री से आग्रह भी किया था कि इसके लिए किसी वैकल्पिक व्यवस्था का इंतजाम करना चाहिए। अच्छी बात यह है कि अब हमारे सेब के बिकने के लिए हालात बहुत अच्छे हैं। उसके अच्छे दाम मिलेंगे। कोरोना काल में हमारे प्रदेश को जो आर्थिक नुकसान हुआ है उसकी भरपाई हो पाएगी।

कश्मीर में आतंकवाद की समस्या के बाद उम्मीद की जा रही थी कि बॉलीवुड हिमाचल की ओर आकर्षित होगी लेकिन इस दिशा में हुई कोशिशें परवान नहीं चढ़ीं। कारण क्या है और क्या योजना है ?
कनेक्टिविटी हिमाचल प्रदेश के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है। कनेक्टिविटी ठीक नहीं होने की वजह से वह नतीजे नहीं आ पाए जो हम ला सकते थे। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पिछली सरकारों ने बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया। हम हिमाचल में टूरिज्म पॉलिसी लेकर आए हैं और अब लोगों का रु झान इस दिशा में बढ़ रहा है। हमारे कुछ समय के प्रयासों में ही इन्वेस्टर्स और पर्यटकों सभी का रु झान हिमाचल की तरफ बढ़ता दिख रहा था लेकिन कोविड-19 की वजह से ब्रेक लग गया। आने वाले समय में निश्चित तौर पर कश्मीर के बजाय लोग हिमाचल को अपना पसंदीदा डेस्टिनेशन बनाएंगे। आज भी उत्तर भारत में कश्मीर के बाद पर्यटकों की पहली पसंद हिमाचल ही है।

फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए क्या काम किया जा रहा है?
हम लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए एक फिल्म पॉलिसी भी बनाई है। हाल ही में अमिताभ बच्चन साहब मनाली आए थे उनसे मेरी भी मुलाकात हुई। उन्होंने वर्तमान फिल्म पॉलिसी की सराहना की और कहा कि हिमाचल बहुत खूबसूरत है। हिमाचल में कई फिल्मों की शूटिंग होती है लेकिन ऐसा दिखाया जाता है कि शूटिंग विदेशों में हो रही है। शूटिंग होगी डलहौजी, कसौली में और दिखाया जाएगा स्विट्जरलैंड में। मेरा कहना है कि हिमाचल में शूटिंग होती है तो हिमाचल का जिक्र भी होना चाहिए।

हिमाचल के लोगों में एक संस्कार देखने को मिलता है। नॉर्थ ईस्ट के लोगों की तरह हिमाचल के लोगों को भी मेहनत और काम को अच्छी तरीके से करने के मामले में वरीयता दी जाती है। इसके पीछे क्या वजह है?
जैसा आपने कहा संस्कार बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हिमाचल प्रदेश के लोग काफी मेहनती होते हैं। सहज और सरल स्वभाव बचपन से ही उनके जीवन का हिस्सा होता है और यह पूरे जीवन उनके साथ रहता है। किसी भी किस्म के काम में वह जाते हैं तब भी उनका यह व्यवहार और स्वभाव बना रहता है। उनकी जीवन की परिस्थिति और काम करने का तरीका भी थोड़ा कठिनाइयों से भरा होता है। ऊंचाई पर चढ़ना, मेहनत करना उनकी जिंदगी का हिस्सा होता है। यही कुछ कारण है जिनकी वजह से अन्य राज्यों के लोगों के मुकाबले हिमाचल के लोगों को वरीयता दी जाती है।

आपने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत कर दी थी। आपका राजनीति का लंबा कॅरियर रहा है। उस दौर की राजनीति और आज के दौर की राजनीति में कितना फर्क देखते हैं?
बहुत बड़ा अंतर आ गया है। अब मूल्यों का हृास होता जा रहा है। पूरे देश की राजनीति के साथ-साथ हिमाचल की राजनीति भी अछूती नहीं रही है। आज के दौर में लोगों को जल्दी चाहिए अभी चाहिए। साथ ही साथ स्वार्थपरक राजनीति भी हावी होती जा रही है। कोई राजनीतिक दलों से वैचारिक दृष्टि से जुड़ना नहीं चाहता। सब स्वयं का फायदा देखना चाहते हैं। जहां तक मेरी जिम्मेदारियों में परिवर्तन का सवाल है एक कार्यकर्ता के रूप में जिम्मेदारियां कुछ कम थीं मुख्यमंत्री के तौर पर यह जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। फिर भी अपने काम को लेकर जब संतोष होता है तो बहुत खुशी होती है। जहां तक सभी की संतुष्टि का सवाल है वह किसी के लिए मुमकिन नहीं।

आपके सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
सबसे बड़ी चुनौती वह भारी भरकम लोन है जो पिछली सरकार की फिजूलखर्ची की वजह से हम पर बढ़ गया है। उस लोन को उतारना है और हिमाचल को स्वावलंबी बनाना है, अपने पैरों पर खड़ा करना है।



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