अफवाह न फैले इसलिए नदी में लगाई छलांग : गुप्तेश्वर

Last Updated 24 May 2020 02:31:19 AM IST

बढ़ते अपराधों को लेकर एक समय बिहार की कानून व्यवस्था की तुलना जंगलराज से की जाती थी। अब यहां स्थितियां लगातार बदल रही हैं। इस बारे में बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय से सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने विशेष बातचीत की। यहां पेश है विस्तृत बातचीत :


सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय एवं बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय वार्तालाप के दौरान।

आपका एक वीडियो यूट्यूब और फेसबुक पर खासा लोकप्रिय हो रहा है। यह हत्या की जांच का मामला था। जिसमें आप नदी में छलांग लगाते हुए दिख रहे हैं। घटना भी बेहद चौकाने वाली थी कि हिन्दू बच्चे की मस्जिद में ले जाकर हत्या कर दी गई। हर थाना और पुलिसकर्मी आपको रिपोर्ट करता है। ऐसे में आपको खुद फ्रंट पर जाकर इसकी जांच क्यों करनी पड़ी ?
पुलिस का काम है अपराध नियंत्रण और विधि व्यवस्था का संधान करना। गोपालगंज की इस घटना से सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की स्थिति बन गई थी। इस खबर को इस तरह से अफवाह बना दिया गया कि एक लड़का जो हिन्दू है उसकी मस्जिद में बलि दे दी गई। आप जानते हैं कि नकारात्मक समाचार ज्यादा तेजी से फैलते हैं। बिहार में 12 करोड़ की आबादी है और यह गांवों का प्रदेश है। यहां अफवाहें बहुत तेजी से फैलती हैं। ऐसे में इस तरह की घटना या खबर से भीषण संकट पैदा हो सकता था। मैंने खुद जाकर इस मामले के बारे में पता किया तो तीन मुसलमान और दो हिन्दू बच्चे थे। पांचों दोस्त थे। एक साथ रहना और एक साथ नदी में नहाने जाना यह उनकी आम जिंदगी थी। एक दिन इनमें से एक बच्चा डूब गया या किसी ने हत्या करके इसे डूबा दिया। यह अनुसंधान का विषय है लेकिन सबसे हास्यास्पद बात यह है कि इस गांव में कोई मस्जिद है ही नहीं। फिर यह भी कहा गया कि मुसलमानों के आतंक से हिन्दू भाग गए जबकि यहां पर 400 घर हिन्दुओं के हैं और महज 15 घर मुसलमानों के हैं। ऐसे में हिन्दुओं का यहां मुसलमानों के डर से भाग जाना मुमकिन ही नहीं। इस गांव के लोग तो समझ जाएंगे लेकिन बाकी बिहार में और देश में इस तरह की खबरों को फैलते हुए देर नहीं लगती है। यह बताया जा रहा था कि मौलवी ने बच्चे पर पानी के छींटे लगाए जबकि वहां कोई मौलवी और मस्जिद है ही नहीं। यही वजह है कि मुझे खुद मोर्चे पर आना पड़ा और लोगों को यह बताना पड़ा कि हकीकत क्या है।

बिहार ही नहीं बल्कि दिल्ली तक इस तरह की अफवाहें फैलती हैं। आप जिस वक्त वहां गए उससे पहले जिले के कप्तान ने अपने अनुसंधान में क्या पाया था और आपके जाने का क्या उद्देश्य रहा?
जिस दिन लड़का डूबा था उस दिन उसके दोस्त घर चुपचाप आ गए। किसी को कुछ बताया नहीं। जिस लड़के की मृत्यु हुई थी उसके पिता ने हत्या का मामला दर्ज करवाया और बाद में पुलिस ने लड़कों को गिरफ्तार कर लिया। प्रेस कांफ्रेंस के जरिए इस पूरे मामले की जानकारी दे दी गई थी। इसमें सांप्रदायिकता जैसी कोई बात नहीं है। मामले का अनुसंधान किया जा रहा है। इसके बाद इस खबर को अफवाह का रूप दे दिया गया और यह सवाल खड़ा किया गया कि इतने कम पानी में बच्चा डूब ही नहीं सकता। मैंने खुद मोर्चा संभाला और 22 मिनट तक इस नदी में अलग-अलग जगह पर गया। वादी को भी हम साथ में ले गए थे। उन्होंने जहां-जहां कहा मैं वहां-वहां लगातार परेड करता रहा और यह बताया कि यहां पर बच्चा ही नहीं बल्कि हाथी भी डूब सकता है। जिस वक्त फेसबुक और यूट्यूब पर यह तस्वीरें अपलोड की गई तो अफवाहों को विराम लगा। मैं पिछले 34 साल से सांप्रदायिक सौहार्द बनाने के लिए काम कर रहा हूं।

इस मामले में पोस्टमार्टम की रिपोर्ट क्या आई और अफवाह फैलाने वालों पर क्या कार्यवाही की गई?
मैंने पोस्टमार्टम के बाद डॉक्टर्स का बयान भी लिया है। उन्होंने कहा कि फेफड़े स्पंजी हो गए थे और इन्हें काटने के बाद इनमें से पानी के बुलबुले निकल रहे थे। ऐसा तभी होता है जब डूबने से किसी की मृत्यु हुई हो। किसी किस्म की कोई बाहरी या अंदरूनी चोट भी मृतक के शरीर पर नहीं थी। अब लड़के को डुबाया गया या वह खुद डूब गया इस पर हम अनुसंधान कर रहे हैं।

सीतामढ़ी में व्यापारी की हत्या के मामले में भी आपने खुद मोर्चा संभाला। क्या आपको लगता है जब आप खुद फ्रंट पर होते हैं तो आप के मातहत काम करने वाले अन्य लोग भी जांच को गंभीरता से लेने लगते हैं ?
निश्चित तौर पर मुखिया के खुद सामने आने से फर्क पड़ता है। एक लाख से ज्यादा थानेदार, एसपी और सिपाही सहित तमाम पुलिसकर्मी बिहार के लिए काम कर रहे हैं। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भी हमारे इन सभी साथियों ने दिन-रात एक कर दिया है। किसी ने कभी कोई शिकायत नहीं की। न ही रेड जोन में जाने से मना किया और न ही पीपीई किट की मांग की। मैं खुद लगातार इन सिपाहियों से या थानेदारों से बातचीत करता रहता हूं। हमारे सिपाही आज न सिर्फ  लोगों का इलाज करवा रहे, उन्हें खाना खिलवा रहे हैं। जिन्हें जरूरत पड़ रही है उन्हें खून भी दे रहे हैं। इसी तरह आपने जो इन्वेस्टिगेशन की बात की उसमें भी मुखिया के सामने आने से बहुत फर्क पड़ता है।
मोतिहारी में बैंक लूटने की घटना की खबर सुनने के बाद मैं निकला और तभी मुझे सीतामढ़ी के व्यवसायी की हत्या की घटना के बारे में पता लगा। मोतिहारी में मेरे पहुंचने के पहले ही एसपी ने आठ बैंक डकैतों को नकदी सहित गिरफ्तार कर लिया था। लूट में इस्तेमाल की गई गाड़ी को भी जब्त किया गया। वहीं सीतामढ़ी में भी मामला सुलझाया गया है। इसके बारे में एसपी जानकारी देंगे लेकिन मैं आपको बता देता हूं कि तीन लोगों को पकड़ा गया है।
गाड़ी और हत्या में इस्तेमाल की गई रिवाल्वर, लूटा गया पैसा और झोला जिसमें पैसा रखा था, वह सभी बरामद कर लिए गए। मैंने यहां पर व्यवसायियों से बात की और उन्हें कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है। यदि अपराधी चूहे के बिल में भी घुस जाएंगे तब भी उन्हें ढूंढ कर निकाल लिया जाएगा।

बिहार पर नजर इसीलिए भी ज्यादा रहती है क्योंकि एक समय यहां कानून का शासन पूरी तरह दांव पर था। बिहार में भी अब कोरोना के आंकड़े बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना वायरस  के लिए आपने क्या निर्देश दिए हैं? क्योंकि पुलिस के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही है पुलिस कर्मिंयों के मनोबल को बढ़ाने के लिए आप किस प्रक्रिया का इस्तेमाल कर रहे हैं?
चुनौती तो बहुत बड़ी है। हमारे लाखों बेटे बाहर हैं। वह बिहार की शान और आन हैं। यह मजदूर नहीं रहेंगे तो देश की धड़कन नहीं रहेगी। यह हमारे देश की अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। यदि यह मजदूर नहीं रहेंगे तो सारी चमक फीकी पड़ जाएगी। बिहार की ऐसी शान हमारे मजदूर वापस आ रहे हैं। इन्हें रोक तो नहीं सकते क्योंकि यहह उनका घर है। इससे पहले जो गाइडलाइंस थीं उसकी वजह से हमें उन्हें रोकना पड़ा था।
अब हम उनके स्वागत की तैयारी में हैं लेकिन स्वागत के साथ-साथ हमें बचाव की तैयारी भी करनी है। इसीलिए स्क्रीनिंग के खास इंतजाम किए गए हैं। सरकारी वाहन उपलब्ध करा कर उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में भेजा जा रहा है। जहां इनके खाने-पीने और रहने की सारी व्यवस्था की जा रही है। इनकी सुरक्षा के साथ इन्हें रोजमर्रा की जरूरतों का सारा सामान मुहैया कराया जा रहा है। दवाओं की व्यवस्था भी की जा रही है। यदि मोहल्ला टोला सुरक्षित रहेगा तो पूरा सुबह सुरक्षित रहेगा।

मजदूरों की शिकायत रहती है कि कई जगहों पर पुलिस ने उन पर लाठियां भांज दीं। बिहार पुलिस को आपने क्या निर्देश दिए हैं। मजदूरों को लेकर क्या कोई विशेष निर्देश है? क्योंकि इन मजदूरों को गाइडलाइंस के बारे में पता नहीं होता है?
इन मजदूरों की पीड़ा को समझना बहुत जरूरी है। यह दो महीने एक कमरे में रहे हैं। 10-15 लोगों ने छोटी सी जगह में दो महीने गुजारे हैं। एक टॉयलेट का इस्तेमाल किया है। यह अब अपने घर जाना चाह रहे हैं। उनकी इस छटपटाहट को समझा जा सकता है। इनके दर्द को समझने वाला कभी इनके साथ बुरा बर्ताव नहीं करेगा। यह हमारे बेटे हैं और मैंने सभी को कहा है कि ये देवता हैं। मजदूरों पर किसी तरह का कोई अत्याचार लाठी या चांटा तक नहीं मारा जाएगा। कोई गलती हो भी जाए तो पुलिसकर्मिंयों से संयम से काम लेने को कहा गया है। यह मजदूर हताश हैं। और इन्हें भी प्यार की जरूरत है। मजदूरों का अपमान होगा तो देश नहीं बचेगा। मेरा मजदूरों से भी विनम्र निवेदन है कि वह गाइडलाइंस का पालन करें यह उनकी सुरक्षा के लिए ही है।

क्वारेंटाइन सेंटर की अव्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी स्पष्ट किया है कि स्थानीय डीएम और एसपी की जिम्मेदारी होगी। हाल ही में एक क्वारेंटाइन सेंटर से 50 प्रवासी मजदूर भाग गए। वे यहां की बदइंतजामी से नाराज थे। आप इन इंतजामों के लिए किसे जिम्मेदार पाते हैं ?
आपदा नियंत्रण विभाग द्वारा यह सारी व्यवस्थाएं की जाती हैं। निश्चित तौर पर लोकल डीएम भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं लेकिन आपको यह समझना होगा कि बिहार एक बड़ा राज्य है। यहां सैकड़ों ब्लाक हैं, 8000 पंचायतें हैं और गांव लेवल, ब्लाक लेवल, पंचायत लेवल पर कई क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। इनमें से दो, चार या पांच जगह पर इस तरह की घटनाएं हो जाती हैं। इतने सारे क्वारेंटाइन सेंटर से कौन भागा है? और यह लोग भागकर जाएंगे भी कहां ? इन्हें इनके गांव वाले भी भीतर नहीं आने देते। इतनी जागरूकता हो चुकी है लेकिन जैसे मैंने कहा कई जगहों पर इनकी छटपटाहट देखने को मिलती है। इसी वजह से इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं।

स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मिंयों पर हमले जैसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं। इसको लेकर आपके क्या निर्देश हैं?
इसको कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मजदूरों की हताशा को समझा जा सकता है। उन्हें कुछ हद तक बर्दाश्त किया जा सकता है और संयम का सहारा लिया जा सकता है। लेकिन गांव में जब स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी जा रहे हैं और उनके साथ किसी तरह की बदसलूकी की जा रही है तो सीधे गुंडा एक्ट में पंजीयन किया जाएगा।

आपने बाउंसबैक बिहार की भी शुरुआत की है। हम चाहेंगे इसके बारे में थोड़ी सी जानकारी दें ?
बिहार वीरों, त्यागियों, मनीषियों, बुद्ध, महावीर का स्थान रहा है। यह पूरी दुनिया के लिए एक दीपक के समान है, जिसने पूरी दुनिया को प्रकाश दिया है, रास्ता दिखाया है। अहिंसा का सिद्धांत या बुद्ध का ज्ञान यहीं से निकला है। यह चाणक्य की धरती है। बड़े से बड़े संकट के सामने कभी बिहार झुका नहीं है। कोरोना वायरस संकट भी हारेगा और बिहार जीतेगा। संक्षेप में बाउंस बैक बिहार यही है।



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