जहां कोरोना नहीं, शुरू हो सड़क निर्माण व चलें कारखाने

Last Updated 12 Apr 2020 04:30:31 AM IST

केंद्रीय मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को सलाह दी है कि जिन क्षेत्रों में कोरोना का असर नहीं है, वहां सड़क बनाने और कारखानों में काम शुरू करने की अनुमति दी जाए।


केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (फाइल फोटो)

इससे देश की अर्थव्यवस्था में गति आएगी, ढांचागत विकास भी होगा और रोजगार  सृजन भी शुरू होगा। प्रधानमंत्री  को भेजे गए प्रस्ताव में मजदूरों की वापसी के लिए रोडमैप बनाने को भी कहा है।
पिछले महीने 26 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के कारण पूरे देश में कारोबार ठप है। असंगठित मजदूर या तो अपने गांव को लौट गया है या कहीं-कहीं फंसा हुआ है। कारखाने, उद्योग-धंधे बंद होने के कारण अब बाजार में सामान की कमी होने लगी है। किसानों के सामने भी मजदूरों की कमी के कारण रबी की फसल की कटाई की दिक्कत सामने आ रही है। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्रियों से अपने-अपने विभागों की स्थितियां और लॉकडाउन एवं लॉकडाउन के बाद की स्थिति में काम करने के लिए सुझाव मांगे थे। मंत्रियों ने अपने-अपने सुझाव दे दिए हैं। सभी मंत्रियों की राय है कि लॉकडाउन के दौरान भी जहां संभव हो सके, वहां काम करने और छोटे कारखानों को खोलने की अनुमति मिलनी चाहिए ताकि बाजार में सामान की कमी न हो और रोजगार की मांग बनी रहे।

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री  नितिन गडकरी ने प्रधानमंत्री को लंबा-चौड़ा सुझाव पत्र भेजा है। उनका मानना है की जहां-जहां आबादी नहीं है उन स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य सड़कों का निर्माण करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इससे सड़क भी बनेगी, ढांचागत विकास होगा और मजदूरों को रोजगार मिलेगा। उनका मानना है कि वीरान क्षेत्रों में या जिन जंगलों से सड़क निर्माण कार्य होना है, वहां निर्माण कार्य शुरू करने में कोई हर्ज नहीं है। इसी तरह से मझले एवं लघु उद्योग क्षेत्रों की समस्याओं की तरफ ध्यान खींचा गया है। निर्माण क्षेत्र में लगे उद्योगों ने भी सरकार से राहत की मांग की है। गडकरी का कहना है की जिन जिलों में कोरोना का असर नहीं है, वहां कारखाने खुलवा देने चाहिए और उन स्थानों की घेराबंदी करके काम शुरू करना चाहिए और सोशल डिस्टेंसिंग व सेनिटाइजेशन का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
दरअसल असंगठित क्षेत्र के बहुत सारे मजदूर अपने घरों की तरफ लौट गए हैं और बहुत सारे जगह-जगह फंसे हुए हैं। इनके समक्ष रोजगार और भोजन का संकट खड़ा हो गया है। एमएसएमई क्षेत्र ऐसा है जहां तुरंत काम हो सकता है और लोगों को रोजगार दिया जा सकता है। गडकरी के मंत्रालय से यह भी कहा गया है कि यदि हम नियोजित तरीके से काम शुरू करें तो भारत को लघु उद्योग क्षेत्र में वि हब बनाया जा सकता है और चीन पर निर्भरता खत्म की जा सकती है।
अभी हमारा फार्मास्युटिकल्स का कच्चा माल चीन से आता है। कुछ और मंत्रालय ने भी कहा है कि मजदूरों को वापस काम पर लाने के लिए एक रोडमैप तैयार करना चाहिए। डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को मजदूरों की संख्या का पता लगवाना चाहिए और फैक्टरियों,  उद्योगधंधों से भी कामगारों का ब्योरा मांगना चाहिए। फिर एक रोडमैप तैयार करना चाहिए कि उनकी वापसी कैसे हो और उनके रहने-खाने पीने का इंतजाम कैसे हो।

रोशन/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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