मजदूरों के पलायन पर केंद्र से जवाब तलब
कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के चलते बेरोजगार मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया। उसने टिप्पणी की कि भय एवं दहशत कोरोना वायरस से बड़ी समस्या बनती जा रही है।
पटना में सोमवार को देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान अपने गंतव्य की ओर जाने के लिए खचाखच भरी बस में सवार होते प्रवासी श्रमिक। |
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेर राव की पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बीच कोई निर्देश देकर ज्यादा भ्रम पैदा नहीं करना चाहती। पीठ ने कामगारों के पलायन से उत्पन्न स्थिति को लेकर अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव और रश्मि बंसल की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस मामले में केंद्र की स्थिति रिपोर्ट का इंतजार करेगी।
इन याचिकाओं में 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार होने वाले हजारों प्रवासी कामगारों के लिए खाना, पानी, दवा और समुचित चिकित्सा सुविधाओं जैसी राहत दिलाने का अनुरोध किया गया है। केंद्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इन कामगारों के पलायन को रोकने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र और संबंधित राज्य सरकारों ने इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। श्रीवास्तव ने तमाम खबरों का हवाला दिया और व्यक्तिगत रूप से बहस करते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर राज्यों के बीच परस्पर समन्वय और सहयोग का अभाव है। उत्तर प्रदेश सरकार ने शुरू में इन कामगारों के लिए दो दिन बसों की व्यवस्था की लेकिन अब उसने भी बस सेवा बंद कर दी है।
दूसरी याचिकाकर्ता रश्मि बंसल ने कहा कि इन कामगारों के लिए चिकित्सा और सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है । उन्होंने सुझाव दिया कि पलायन कर रहे कामगारों के समूहों पर वायरस से बचाव करने वाली दवाओं का छिड़काव करवाया जा सकता है और इनके खानपाल की व्यवस्था के लिए मध्याह्न भोजन उपलध कराने वाली संस्थाओं को इससे जोड़ा जा सकता है।
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