CAA : सिब्बल बोले, राज्यों का विरोध जायज, लेकिन कोर्ट ने यदि कानून को संवैधानिक बताया .. तो होगी मुश्किल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को कहा कि राज्य विधानसभाओं को केन्द्र सरकार से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) वापस लेने की मांग करने वाला प्रस्ताव पारित करने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन अगर उच्चतम न्यायालय ने सीएए को संवैधानिक करार दिया, तब इस कानून का विरोध करने वाले राज्यों के लिए परेशानी उत्पन्न होगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (file photo) |
सिब्बल ने राज्यों के पास किसी केन्द्रीय कानून को पारित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होने के अपने एक दिन पहले के बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए यह बात कही। सिब्बल ने शनिवार को केरल साहित्य सम्मेलन में कहा था कि सीएए को संसद से पारित किए जाने के बाद राज्यों के पास इसे लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, मेरा मानना है कि सीएए असंवैधानिक है। प्रत्येक राज्य विधानसभा के पास इस कानून को वापस लेने की मांग करने वाला प्रस्ताव पारित करने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन अगर कभी उच्चतम न्यायालय ने इसे संवैधानिक करार दिया तो इसका विरोध करने वाले राज्यों के लिए यह परेशानी का सबब बनेगा। उन्होंने सीएए के खिलाफ जंग जारी रहने की भी जरूरत पर बल देते हुए कहा कि यह लड़ाई हर हाल में जारी रहनी चाहिए।
सिब्बल के शनिवार को दिए गए बयान ने गैरभाजपा शासित राज्यों केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के लिए असहज स्थिति उत्पन्न कर दी थी। ये राज्य सीएए और एनआरसी पर केन्द्र सरकार के रुख से असहमति जताते हुए इसे लागू करने का विरोध कर रहे हैं। सिब्बल ने कहा था कि संसद से सीएए पारित होने के बाद राज्य यह नहीं कह सकते हैं कि वे इसे लागू नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था कि राज्यों द्वारा संसद द्वारा पारित किसी केन्द्रीय कानून को लागू करने से इनकार करना असंवैधानिक होगा।
केरल में खींचतान, राज्यपाल ने कहा कि मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर केरल की वाम मोर्चा सरकार के साथ खींचतान के बीच राज्य के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को स्पष्ट किया कि वह एक ‘मूक दर्शक’ नहीं बने रहेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि देश का कानून कायम रहे।
खान ने रविवार शाम बेंगलुरू से यहां पहुंचने पर संवाददाताओं से कहा, ‘संविधान कायम रखना होगा और यह कोई निजी लड़ाई नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं मूक दर्शक बनकर नहीं बैठा रहूंगा.यह सुनिश्चित करूंगा कि नियम और कानून कायम रहें।’ राज्यपाल ने राज्य सरकार के उनसे ‘‘मशविरा किये बिना’’ संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर आपत्ति जताते हुए मुख्य सचिव से एक रिपोर्ट मांगी है।
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