सबरीमला मामले की समीक्षा नहीं पीठ के भेजे गए मुद्दों पर विचार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चार वरिष्ठ अधिवक्ताओं से कहा कि वे 17 जनवरी को बैठक करके विभिन्न धर्मो और सबरीमला मंदिर सहित अनेक धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव से संबंधित मामले पर चर्चा करके मुद्दे तय करें।
![]() सुप्रीम कोर्ट |
शीर्ष अदालत ने शुरू में ही स्पष्ट कर दिया कि वह सबरीमला मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार नहीं कर रही है।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘हम सबरीमला मामले में पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा भेजे गए मुद्दों पर विचार कर रहे हैं।’
पीठ ने कहा कि वह मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में लड़कियों के खतने और गैर पारसी व्यक्ति से विवाह करने वाली पारसी महिलाओं का अज्ञारी में पवित्र अग्नि के समक्ष प्रवेश वर्जित करने संबंधित याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगी। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल, सालिसीटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी सहित चार वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ तालमेल करके उन मुद्दों को अंतिम रूप देंगे जिन पर न्यायालय को विचार करना होगा।
ये अधिवक्ता तय करेंगे कि क्या पिछले साल 14 नवम्बर को पांच सदस्यीय पीठ द्वारा सौंपे गए विभिन्न मुद्दों को फिर से तैयार करने की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि इस बैठक में यह निर्णय भी करना चाहिए कि इस मामले में बहस के लिए प्रत्येक अधिवक्ता को कितना समय दिया जाएगा। इसी तरह, अधिवक्ताओं को यह भी विचार करना चाहिए किस मुद्दे पर कौन सा वकील बहस करेगा।
पीठ ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध कर दी। पीठ ने कहा, ‘हम इसके लिए तीन सप्ताह का समय देते हैं और इसके बाद इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे।’
| Tweet![]() |