छात्र-पुलिस झड़प मामला: सुप्रीम कोर्ट का दखल से इंकार, हाईकोर्ट जाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार मामले में सीधे हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाईकोर्ट में जाने का मंगलवार को निर्देश दिया।
![]() सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) |
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ ने सभी याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद सीधे कोई जांच समिति गठित करने से इंकार कर दिया और सभी याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाईकोर्ट के समक्ष जाने को कहा।
खंडपीठ ने कहा कि संबंधित हाईकोर्ट याचिकाकर्ताओं और केंद्र तथा संबंधित राज्य सरकारों का पक्ष सुनने के बाद तय करेगा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच समिति गठित की जाए या नहीं?
न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, हम तथ्य जानने में समय बर्बाद नहीं करना चाहते, आपको पहले निचली अदालत में जाना चाहिए।
सीजेआई बोबडे ने कहा, "हमें सरकार के पक्ष में कोई दिलचस्पी नहीं है और अदालत पूरे विवाद में समाचार पत्रों और खबरों पर भी भरोसा नहीं करेगी।"
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान बसों को कैसे जलाया गया?
प्रदर्शनकारियों की वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, एएमयू, जामिया के छात्रों के खिलाफ एक के बाद एक प्राथमिकियां दर्ज की गईं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए कानून के तहत प्राथमिकियां दर्ज की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट गिरफ्तारी, चिकित्सा सहायता और जांच के आदेश देने के लिए स्वतंत्र है।
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