बलात्कार की घटनाओं पर लोकसभा सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर तकरार
उन्नाव और हैदराबार की बलात्कार घटनाओं पर लोकसभा में शून्यकाल में चर्चा के दौरान राजनीतिक पारा इतना चढ गया कि सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच हाथा-पायी के इशारे किये गये जिससे अध्यक्ष ओम बिरला को महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को बात पूरी करने से पहले ही रोककर दोनों पक्षों में बीच-बचाव करना पड़ा।
![]() लोकसभा में शून्यकाल में चर्चा के दौरान पक्ष तथा विपक्ष के बीच जमकर तकरार हुई |
अध्यक्ष ने आवश्यक दस्तावेज रखवाने के बाद शून्यकाल आरंभ करने की घोषणा की। इसके कुछ ही देर बाद कुछ सदस्यों ने अलग अलग मुद्दे उठाये। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने उन्नाव का मामला उठाते हुए कहा कि पूरे देश में सामूहिक बलात्कार के मामलों को लेकर भयंकर रोष होने के बावजूद इस जघन्य अपराध पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
उन्होंने कहा कि उन्नाव बलात्कार कांड में चार दिन पहले जमानत पर बाहर निकल कर आये आरोपी की इतनी हिम्मत बढ़ गयी कि उसने पीड़तिा को गांव से खींच कर जिंदा जला दिया। उसे भाग कर कहीं शरण लेनी पड़ी। उसका 95 प्रतिशत शरीर जल गया है। ये क्या हो रहा है ?
चौधरी ने कहा कि छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद गिरायी गयी थी लेकिन अब उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद वहां राममंदिर बन रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ तो हिन्दुस्तान में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का मंदिर बनाया जा रहा है और दूसरी तरफ सीता मैय्या को जलाया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि आरोपी इतनी ताकत कैसे जुटा पाता है कि कभी बलात्कार पीड़िताओं को वाहन से टक्कर मार कर मारने का प्रयास किया गया और कभी जलाकर मारने की कोशिश की जाती है। जमानत पर रिहाई के चार दिन के अंदर यह कांड हो गया।
उन्होंने कहा कि एक ओर हैदराबाद में तेलंगाना पुलिस भागने का प्रयास कर रहे आरोपियों को गोली से उड़ा देती है दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में जमानत पर रिहा आरोपी पीड़िता को जिंदा जला देते हैं।
भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पुलिस का विशेष जांच दल (एसआईटी) इस मामले की जांच कर रही है। हैदराबाद में कानूनी प्रक्रिया के अनुपालन में पुलिस ने गोली चलायी है। पुलिस को हथियार सजावट के लिए नहीं दिये जाते हैं। उन्होंने निर्भया कांड के आरोपियों को अदालत में चार साल के भीतर सजा सुनाये जाने और तीन साल से फांसी नहीं दिये जाने का जिक्र किया और आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार इस पर अंड़गा लगाये हुए है।
बसपा के नेता दानिश अली, बीजू जनता दल के अनुभव मोहन्ती और तृणमूल कांग्रेस के प्रो. सौगत राय, शिवसेना के अरविंद सावंत, अपना दल की अनुप्रिया पटेल और जनता दल यूनाइटेड के राजीव रंजन सिंह ने दोनों घटनाओं पर राय रखी और इसे राजनीति से परे रखकर कठोरतम कार्रवाई करने की जरूरत पर बल दिया। प्रो. राय ने कहा कि जब अखबार में मुख्य पृष्ठ पर ये समाचार छपता है कि तो राजनीतिज्ञों को उसे उठाना पड़ता है।
उन्होंने निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की सजा नहीं दिये जाने को न्याय के विरुद्ध बताया और कहा कि हैदराबाद की मुठभेड़ की तारीफ और आरोपियों को भीड़ के हवाले करने के सुझाव लोगों के घटते भरोसे का पर्याय बताया।
इसके बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि इन मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए लेकिन ऐसी घटनाओं को सांप्रदायिक रंग कौन दे रहा है। पश्चिम बंगाल का एक सांसद मंदिर की बात कर रहा है और माल्दा की घटना की बात भी नहीं कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बलात्कार की घटना का उपयोग राजनीतिक हथियार के रूप में हो रहा है। राज्य के पंचायत चुनाव में बलात्कार को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने देश में 1023 फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना के लिए प्रत्येक राज्य को राशि दी है।
इस बीच स्मृति ईरानी के बयान पर विरोध स्वरूप टीका टिप्पणी कर रहे विपक्षी सदस्यों और ईरानी के तीखे तेवर देखते हुए आसन की ओर से ईरानी का माइक बंद कर दिया गया जिससे ईरानी के चेहरे पर रोष दिखने लगा। इस बीच कांग्रेस के टी एन प्रतापन उत्तेजना में कुछ आपत्तिजनक बात कह गये और उनकी भावभंगिमाएं भी आक्रामक हो गयीं। इससे स्मृति ईरानी भी भयंकर गुस्से में आ गयीं। दोनों एक- दूसरे को बीचोंबीच आने की आक्रामक चुनौती देने लगे और ईरानी अपनी सीट से उठकर आगे बढ़ने लगीं। यह देखकर सत्ता पक्ष के सदस्य खड़े हो गये और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने ईरानी को संभाला और सीट पर बैठाया लेकिन उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ।
बाद में अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद जैसे- तैसे माहौल नियंत्रण में आया। अभी दो तीन सदस्य बोले ही थे कि केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कांग्रेस के सदस्य केन्द्रीय मंत्री से जिस प्रकार से पेश आये, उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी एवं राज्य मंत्री अजरुन राम मेघवाल भी माफी की मांग करने लगे। अध्यक्ष ने इस पर कांग्रेस के गौरव गोगोई को पक्ष रखने के लिए कहा। गोगोई ने कहा कि उन्नाव की घटना पर राजनीतिक टिप्पणी ईरानी की ओर से की गयी जबकि हम चाहते थे कि सरकार बताये कि आरोपी कैसे जमानत पर रिहा हुआ। इसके विरोध में हम अपनी सीटों पर खड़े थे।
इस पर अध्यक्ष बिरला ने कहा कि क्या राजनीतिक टिप्पणी के जवाब में बीचोंबीच आकर सदस्यों को धमकाना उचित है। उन्होंने कहा कि कोई कितनी भी तीखी राजनीतिक टिप्पणी करे, उसका जवाब टिप्पणी से दिया जाये। असंसदीय बात को वह रिकॉर्ड में नहीं जाने देंगे। यह रिकॉर्ड में नहीं होने के बावजूद यदि कोई अखबार उसे छापता है तो उसकी भी आचार संहिता बनेगी। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में सबकी सहमति से यह नियम काम करे और सदन गरिमा के साथ चले।
इस बीच सदन में पीछे की सीटों पर बैठे सदस्यों की टीका-टिप्पणी से अध्यक्ष नाराज हो गये और उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आदेशित करने की कोशिश ना करें। यदि ऐसा हुआ तो मैं नाम लेकर सदन से बाहर करने के लिए कहूँगा। ऐसे नहीं चलने वाला है।’’
उधर सदन में ईरानी अपनी सीट पर गुस्से में बैठी रहीं और अन्य सदस्य उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे थे। तभी अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर बाद 1:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी सदन का पारा कम नहीं हुआ। ईरानी गुस्से में तृणमूल के सदस्य प्रो. सौगत राय से बात करती देखीं गयीं।
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