SPG सुरक्षा से लगता था, ‘मैं भी प्रधानमंत्री हूं’: नीरज शेखर
भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर ने मंगलवार को सदन में कहा कि जब उनके पिता चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे, तब 11 वर्षों तक उन्हें भी विशेष सुरक्षा दस्ता (एसपीजी) का सुरक्षा कवर मिला था और उस दौरान लगता था कि वह भी प्रधानमंत्री हैं।
नीरज शेखर |
शेखर ने गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा विशेष सुरक्षा ग्रुप (संशोधन) विधेयक 2019 सदन में पेश किये जाने पर चर्चा के दौरान कहा कि जब वह 22 साल के युवा थे तब उन्हें अपने पिता के साथ एसपीजी सुरक्षा मिली थी। उनके पिता ने प्रधानमंत्री के तौर पर जब तमिलनाडु की द्रमुक सरकार को बर्खास्त किया था तब कुछ दिनों के बाद वह चेन्नई गये तो उनकी इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी उसको देखकर उन्हें लगा कि वह ही देश के प्रधानमंत्री हैं।
उन्होंने कहा कि उस समय वह कुछ भी नहीं थे लेकिन एसपीजी सुरक्षा के कारण हवाई अड्डे पर विमान तक बगैर जांच की गाड़ी से जाना और विमान में पिस्तौल लेकर एक सुरक्षा कर्मी के साथ चलने से ऐसा लगता था कि वह विशिष्ट व्यक्ति हैं। साल 2001 से वह एसपीजी सुरक्षा के दायरे में नहीं है।
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिजनों को एसपीजी सुरक्षा दिये जाने पर सवाल उठाते हुये कहा कि जब वह, उनकी माता और बड़े भाई जब भी कहीं एक साथ जाते थे नौ-नौ गाड़ियों का काफिला चलता था। उस समय तो वह इस बारे में नहीं सोचते थे लेकिन बाद में जब इसके बारे में सोचा तो लगा कि इतना अधिक व्यय सही नहीं था।
कांग्रेस सदस्यों द्वारा टोका टाकी किये जाने के बीच उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के कारण ही 11 वर्षों तक उन्हें भी एसपीजी सुरक्षा कवर में रहने का सौभाज्ञ मिला। इसके लिए कांग्रेस की सरकार धन्यवाद की पात्र थी लेकिन बाद में कांग्रेसी सरकारों ने ही पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह, आई के गुजराल, और एच डी देवेगौड़ा की यह सुरक्षा हटा दी।
शेखर ने कहा कि वर्तमान में देश के युवाओं की आंकाक्षा बदल चुकी है और अब वे वीवीआईपी संस्कृति से परेशान हो चुके हैं। वे नहीं चाहते कि वह हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच के लिए लाइन में लगे रहें और कोई व्यक्ति सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री के परिजन होने के कारण बगैर किसी जांच के सीधे विमान तक गाड़ी से पहुंचे। उन्होंने कांग्रेस द्वारा टीका टिप्पणी किये जाने पर कहा, ‘‘भाजपा में रहते हुये वह प्रधानमंत्री बन सकते हैं, लेकिन कांग्रेस में ऐसा कतई संभव नहीं है’’।
शेखर ने कहा कि साल 2001 के बाद एसपीजी के प्रशिक्षण आदि में कमी आयी है क्योंकि उन पर अधिक लोगों को सुरक्षा दिये जाने की जिम्मेदारी आने के बाद से अधिक सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षित करने का दबाव बढ़ा है। पहले एक सौ सुरक्षाकर्मी एसपीजी में आने के लिए आवेदन करते थे तो उनमें से चार से पांच लोगों का चयन होता था लेकिन अभी 70 से अधिक लोगों का चयन करने का दबाव बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि यदि सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ रहने वाले परिजन को सुरक्षा दी जाती है तो एसपीजी का प्रशिक्षण गुणवत्तापूर्ण रह सकती है। इसके मद्देनजर वह चाहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिजनों को सुरक्षा देने के लिए किये गये संशोधनों को समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि साल 1988 में लाया गया मूल एसपीजी विधेयक ही सही था और उसी के प्रावधानों के अनुरूप सुरक्षा दी जानी चाहिए।
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