क्रीमी लेयर आरक्षण मामले में हो संविधान पीठ का गठन

Last Updated 03 Dec 2019 06:25:06 AM IST

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के समृद्ध तबके (क्रीमी लेयर) को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने संबंधी शीर्ष अदालत का 2018 का फैसला पुनर्विचार के लिए सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपा जाए।


सुप्रीम कोर्ट

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 में अपने फैसले में कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समृद्ध लोग यानी क्रीमी लेयर को कॉलेज में दाखिले तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने जरनैल सिंह मामले में कहा था कि संवैधानिक अदालतें आरक्षण व्यवस्था पर अमल के दौरान समता का सिद्धांत लागू करके आरक्षण के लाभ से ऐसे समूहों या उप-समूहों के समृद्ध तबके को शामिल नहीं करके अपने अधिकार क्षेत्र में होंगी।

चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस भूषण गवई और सूर्य कांत की बेंच ने केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल के इस कथन का संज्ञान लिया कि क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का सिद्धांत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं किया जा सकता।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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