कई राज्यों ने इस्तेमाल नहीं किया निर्भया फंड

Last Updated 02 Dec 2019 12:51:27 AM IST

हैदराबाद में महिला डाक्टर को सामूहिक बलात्कार के बाद जिंदा जला दिए जाने की घटना से देशभर में रोष है।


कई राज्यों ने इस्तेमाल नहीं किया निर्भया फंड

लेकिन ऐसे मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद अधिकतर राज्य सरकारें उदासीन हैं। महिला सुरक्षा के लिए स्थापित निर्भया फंड में से कुछ राज्यों ने जहां नाममात्र की धनराशि खर्च की तो वहीं कई राज्य विभिन्न मदों में एक भी पाई का उपयोग करने में विफल रहे।
हैदराबाद में महिला डॉक्टर से बलात्कार की घटना से देश में उत्पन्न आक्रोश के बीच एक तथ्य यह भी है कि केंद्र सरकार द्वारा महिला सुरक्षा के लिये गठित ‘निर्भया फंड’ के पैसे खर्च करने में सभी राज्य विफल रहे और कुछ राज्यों ने तो एक पैसा भी खर्च नहीं किया। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान निर्भया कोष के आवंटन के संबंध में सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार आवंटित धनराशि में से 11 राज्यों ने एक रुपया भी खर्च नहीं किया। इन राज्यों में महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा के अलावा दमन और दीव शामिल हैं। दिल्ली ने 390.90 करोड़ रुपए में सिर्फ 19.41 करोड़ रुपए खर्च किए।
उत्तर प्रदेश ने निर्भया फंड के तहत आवंटित119 करोड़ रुपए में से सिर्फ 3.93 करोड़ रुपए खर्च किए। कर्नाटक ने 191.72 करोड़ रुपए में से 13.62 करोड़ रुपए, तेलंगाना ने 103 करोड़ रुपए में से केवल 4.19 करोड़ रुपए खर्च किए। आंध्र प्रदेश ने 20.85 करोड़ में से केवल 8.14 करोड़ रुपए, बिहार ने 22.58 करोड़ रुपए में से मात्र 7.02 करोड़ रुपए खर्च किये।
दिल्ली में 2012 में हुए जघन्य निर्भया गैंगरेप कांड के बाद सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित एक विशेष फंड की घोषणा की जिसका नाम ‘निर्भया फंड‘ रखा गया था। गुजरात ने निर्भया फंड के तहत आवंटित 70.04 करोड़ रुपए में से 1.18 करोड़ रुपए, मध्य प्रदेश ने 43.16 करोड़ रुपए में से 6.39 करोड़ रुपए, तमिलनाडु ने 190.68 करोड़ रुपए में से 6 करोड़ रुपए, पश्चिम बंगाल ने 75.70 करोड़ रुपए में से 3.92 करोड़ रुपए खर्च किए।

संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जुड़ी योजनाओं के लिए 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को महिला हेल्पलाइन, वन स्टाप सेंटर स्कीम सहित विभिन्न योजनाओं के लिये धन आवंटित किया गया था।
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3.29 लाख मामले दर्ज़ किए गए। 2016 में इस आंकड़े में 9,711 की बढ़ोतरी हुई और इस दौरान 3.38 लाख मामले दर्ज किए गए। 2017 में 3.60 लाख मामले दर्ज किए गए।

भाषा
नई दिल्ली


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