अयोध्या केस: SC का फैसला- विवादित भूमि पर बनेगा मंदिर, मस्जिद के लिये वैकल्पिक स्थान दिया जाये

Last Updated 09 Nov 2019 09:33:21 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुये केन्द्र को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिये किसी वैकल्पिक लेकिन प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाये।

  • 13:43 : इस विवाद के समापन की दिशा में न्यायालय के निर्णय के अनुरूप परस्पर विवाद को समाप्त करने वाली पहल सरकार की ओर से होगी, ऐसा हमें विश्वास है: भागवत
  • 13:43 : अतीत की बातों को भुलाकर सभी को मिलकर भव्य राममंदिर का निर्माण करना चाहिये: भागवत
  • 13:13 : आस्था राम के प्रति हो या रहीम के प्रति, अब समय है कि सब मिलकर भारत के प्रति समर्पण को मजबूत करें: प्रधानमंत्री मोदी
  • 13:13 : न्यायालय के फैसले को किसी की हार या जीत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
  • 13:13 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या मामले में न्यायालय के फैसले के बाद देशवासियों से शांति, एकता और मैत्रीभाव बनाए रखने की अपील की।
  • 13:04 : कांग्रेस ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि पार्टी राममंदिर के निर्माण की पक्षधर है और न्यायालय ने जो फैसला दिया है सभी समुदाय के लोगों को देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करते हुए उसको स्वीकार करना चाहिए।
  • 12:19 : AIMPLB ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं
  • 12:01 : जफरयाब जीलानी ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मंशा जाहिर की।
  • 11:58 : निर्मोही अखाड़े ने कहा कि उसका दावा खारिज किये जाने का उसे कोई दु:ख नहीं है।
  • 11:57 : मुस्लिम पक्षकार के वकील जफरयाब जीलानी ने फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा कि फैसले का अध्ययन करने के बाद अगली रणनीति तैयार की जायेगी।
  • 11:25 : अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ
  • 11:16 : ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण का आदेश
  • 11:14 : मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में कहीं और भी दी जा सकती है जमीन: CJI
  • 11:13 : सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन दी जाए: CJI
  • 11:10 : राम मंदिर निर्माण के नियम बनाने का आदेश
  • 11:10 : रामलला का दावा बरकरार, विवादित जमीन रामलला को:CJI
  • 11:09 : केंद्र सरकार तीन महीने में स्कीम बनाए: CJI
  • 11:09 : मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन देने का आदेश
  • 11:07 : विवादित हिस्से का बंटवारा नहीं होगा, दोनों पक्षों को संतुलन बनाना होगा: CJI
  • 11:06 : 18वीं सदी तक नमाज के कोई सबूत नहीं: CJI
  • 11:05 : ढांचा गिराना कानून व्यवस्था का उल्लंघन: CJI
  • 11:04 : मुस्लिम पक्ष जमीन पर एकाधिकार साबित नहीं कर पाया: CJI
  • 11:02 : 1949 तक लगातार नमाज पढ़ने का दावा किया था: CJI
  • 11:01 : 1856 से पहले भीतरी भाग में हिंदू पूजा करते थे: CJI
  • 11:00 : 1856-57 तक नमाज पढ़ने के सबूत नहीं: CJI
  • 10:56 : हिंदू गुंबद को राम का जन्मस्थान मानते हैं
  • 10:56 : हिंदू वहां परिक्रमा भी किया करते थे
  • 10:54 : जन्मस्थान पर सभी पक्ष एक, दलीलों में हिंदू पक्ष का दावा खारिज नहीं हुआ
  • 10:54 : चबूतरा, भंडार, सीतारसोई के दावे की पुष्टि
  • 10:52 : रामलला ने ऐतिहासिक ग्रंथों के विवरण रखे, राम के जन्म का किसी ने विरोध नहीं किया
  • 10:52 : ASI ने मंदिर पर साफ कुछ नहीं कहा, ASI नहीं बता पाया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी
  • 10:51 : जमीन के विवाद पर फैसला कानूनी आधार पर
  • 10:49 : हिंदू अयोध्या को राम का जन्मस्थान मानते हैं, आस्था और विश्वास पर विवाद नहीं
  • 10:49 : ढांचे में पुरान पत्थर, खंभे का प्रयोग
  • 10:47 : मस्जिद के नीचे विशाल रचना थी, खुदाई में जो मिला वह इस्लामिक ढांचा नहीं
  • 10:46 : पुरातात्विक सबूतों को खारिज नहीं कर सकते, उनका मूल्यांकन जरूरी: CJI
  • 10:45 : इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पारदर्शिता से हुआ: सुप्रीम कोर्ट
  • 10:44 : बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी: CJI
  • 10:43 : ASI के खुदाई के सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते: CJI
  • 10:42 : 1949 में दो मूर्तियां रखी गईं: CJI
  • 10:41 : मस्जिद कब बनी इससे फर्क नहीं, मीर बाकी ने बाबर के वक्त मस्जिद बनाई: CJI
  • 10:41 : निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज।
  • 10:35 : फैसले में 30 मिनट लगेंगे: चीफ जस्टिस
  • 10:35 : चीफ जस्टिस रंजन गोगाई ने कहा- सर्वसम्मति से लिया जाएगा फैसला
  • 10:33 : शिया बोर्ड की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की।
  • 10:32 : अयोध्या मामले में फैसला पढना शुरु किया गया।
  • 10:28 : फैसले की कॉपी सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जजों की बेंच पर रखी गई। कोर्ट रूम में भारी भीड़ मौजूद है।
  • 10:22 : चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, दोनों पक्षों के वकील भी पहुंचे।
  • 10:12 : राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान जैनुअल आबदीन अली खान ने देशवासियों से अपील की, मैं हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के सभी लोगों से कानून व्यवस्था बनाये रखने तथा न्यायालय के निर्णय का सम्मान करने की अपील करता हूं। यह समय हमारी एकता और भाईचारा दिखाने का है।
  • 10:10 : प्रियंका गांधी ने कहा, अयोध्या मामले पर आज जो भी फैसला आये, लेकिन देश में शांति और सद्भाव बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है।
  • 10:00 : सभी पक्ष कर रहे हैं शांति-सौहार्द बनाए रखने की अपील
  • 9:59 : श्री श्री रविशंकर ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।
  • 9:58 : यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हालात पर नजर, फैसले के बाद मीडिया से करेंगे बात।
  • 9:53 : अयोध्या फैसले को लेकर पूरे देश में उत्सुकता। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की खंडपीठ सुबह 10:30 बजे सुनाएगी फैसला।

सुप्रीम कोर्ट

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 1045 पेज का सर्वसम्मति का निर्णय सुनाकर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि को लेकर चल रहे करीब 134 साल पुराने विवाद का पटाक्षेप कर दिया जिसने देश के सामाजिक और साम्प्रदायिक सद्भाव के ताने बाने को तार तार कर दिया था।     

उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हालांकि, इस निर्णय पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा है कि वह इस पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर करेगा।      

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।     

संविधान पीठ ने कहा कि मस्जिद का निर्माण केन्द्र सरकार या उप्र सरकार द्वारा ‘प्रमुख स्थल’ पर आवंटित पांच एकड़ के भूखंड पर किया जाना चाहिए और उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित किया जाना चाहिए जिसके प्रति हिन्दुओं की यह आस्था है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था।     

अयोध्या में इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसका निर्माण मीर बाकी ने किया था और जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था।    

संविधान पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला विराजमान को सौंप दिया जाये, जो इस मामले में एक वादकारी हैं लेकिन यह भूमि केन्द्र सरकार के रिसीवर के कब्जे में ही रहेगी।      

राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसला सुनाते हुये पीठ ने स्पष्ट किया कि विवादित संपत्ति पर सरकार द्वारा नियुक्त रिसीवर का कब्जा अयोध्या कानून, 1993 की धारा छह के तहत एक अधिसूचना जारी करके इस संपत्ति को किसी ट्रस्ट या अन्य संस्था को सौंप दिए जाने तक रहेगा।     

पीठ ने कहा कि भीतरी और बाहरी बरामदे का कब्जा ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी या इस तरह की गठित किसी अन्य संस्था को सौंप दिया जाना चाहिए। पीठ ने केन्द्र से यह भी कहा कि, यदि उचित समझे, इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व दिया जाये। निर्मोही अखाड़े का मंदिर के प्रबंधन और पूजा अर्चना के अधिकार का दावा न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया था।     

न्यायालय ने कहा कि हिन्दू यह साबित करने में सफल रहे हैं कि विवादित ढांचे के बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था और उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड अध्योध्या विवाद में अपना मामला साबित करने में विफल रहा है।

संविधान पीठ ने यह माना कि विवादित स्थल के बाहरी बरामदे में हिन्दुओं द्वारा व्यापक रूप से पूजा अर्चना की जाती रही है और साक्ष्यों से पता चलता है कि मस्जिद में शुक्रवार को मुस्लिम नमाज पढ़ते थे जो इस बात का सूचक है कि उन्होंने इस स्थान पर कब्जा छोड़ा नहीं था।     

शीर्ष अदालत ने कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ने में बाधा डाले जाने के बावजूद साक्ष्य इस बात के सूचक है कि वहां नमाज पढना बंद नहीं हुआ था।     

संविधान पीठ ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल के नीचे मिली संरचना इस्लामिक नहीं थी लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह साबित नहीं किया कि क्या मस्जिद निर्माण के लिये मंदिर गिराया गया था।      

न्यायालय ने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण के साक्ष्यों को महज राय बताना इस संस्था के साथ अन्याय होगा।     

पीठ ने कहा कि हिन्दू विवादित स्थल को ही भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं और मुस्लिम भी इस स्थान के बारे में यही कहते हैं।     

पीठ ने कहा कि विवादित ढांचे में ही भगवान राम का जन्म होने के बारे में हिन्दुओं की आस्था अविवादित है। यही नहीं, सीता रसोई, राम चबूतरा और भण्डार गृह की उपस्थिति इस स्थान के धार्मिक तथ्य की गवाह हैं।     

हालांकि, न्यायालय ने कहा कि सिर्फ आस्था और विश्वास के आधार पर मालिकाना हक स्थापित नहीं किया जा सकता और ये विवाद का निबटारा करने में सूचक हो सकते हैं।   

संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी।      

संविधान पीठ ने इस प्रकरण पर छह अगस्त से नियमित सुनवाई शुरू करने से पहले मध्यस्थता के माध्यम से इस विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने का प्रयास किया था। न्यायालय ने इसके लिये शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त् न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति भी गठित की थी लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली।      

इसके बाद, प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सारे प्रकरण पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई करने का निर्णय किया था।     

संविधान पीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा कि मालिकाना हक के मामले में उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि के बंटवारे का आदेश देकर गलत किया था।     

शुरूआत में निचली अदालत में इस मसले पर पांच वाद दायर किये गये थे। पहला मुकदमा ‘राम लला’ के भक्त गोपाल सिंह विशारद ने 1950 में दायर किया था। इसमें उन्होंने विवादित स्थल पर हिन्दुओं के पूजा अर्चना के अधिकार को लागू करने का अनुरोध किया था।      

उसी साल, परमहंस रामचन्द्र दास ने भी पूजा अर्चना जारी रखने और विवादित ढांचे के मध्य गुंबद के नीचे ही मूर्तियां रखी रहने के लिये मुकदमा दायर किया था। लेकिन बाद में यह मुकदमा वापस ले लिया गया था।     

बाद में, निर्मोही अखाड़े ने 1959 में 2.77 एकड़ विवादित स्थल के प्रबंधन और शेबैती अधिकार के लिये निचली अदालत में वाद दायर किया।     

इसके दो साल बाद 1961 में उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड भी अदालत में पहुंचा गया और उसने विवादित संपत्ति पर अपना मालिकाना हक होने का दावा किया।     

‘राम लला विराजमान’ की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश देवकी नंदन अग्रवाल और जन्म भूमि ने 1989 में मुकदमा दायर कर समूची संपत्ति पर अपना दावा किया और कहा कि इस भूमि का स्वरूप देवता का और एक ‘न्यायिक व्यक्ति’ जैसा है।     

अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा गिराये जाने की घटना और इसे लेकर देश में हुये सांप्रदायिक दंगों के बाद सारे मुकदमे इलाहाबाद उच्च न्यायालय को निर्णय के लिये सौंप दिये गये थे।

भाषा
नई दिल्ली


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