कांग्रेसमुक्त हुआ नेहरू मेमोरियल, कांग्रेस ने कहा- राजनीति से प्रेरित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नेहरू स्मारक पुस्तकालय एवं संग्रहालय सोसाइटी का पुनर्गठन कर दिया गया है जिसमें कांग्रेस से जुड़ा हुआ कोई भी सदस्य शामिल नहीं किया गया है।
![]() नेहरू मेमोरियल सोसाइटी हुआ कांग्रेसमुक्त |
कांग्रेस ने नेहरू स्मारक पुस्तकालय एवं संग्रहालय सोसाइटी के पुनर्गठन में कांग्रेस नेताओं को हटाने को दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीति से प्रेरित करार दिया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इसके गठन को दोषपूर्ण करार दिया है। मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा है कि इस तरह के प्रतिष्ठित संस्थानों में राजनीति के लिए जगह नहीं होनी चाहिए। उन्हें इस बात का खेद है कि मोदी सरकार ने इस संस्थान से पांच दशकों से जुड़े रहे डॉ कर्ण सिंह जैसे प्रतिष्ठित विद्वान को हटाया है। उन्होंने कहा कि जयराम रमेश भी एक प्रखर विद्वान हैं और उनको इससे नहीं हटाया जाना चाहिए था।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा,‘‘ यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सोसाइटी से स्वच्छंद होकर अपनी बात कहने वाले विद्वानों को हटाकर इसका पुनर्गठन किया है। नेहरू की विचारधारा में विश्वास रखने वाले सभी सदस्यों को इससे हटया गया है। इस तरह के तुच्छ प्रयास करके सरकार नेहरू की विरासत को मिटाने में सफल नहीं हो सकती।’’
पुनर्गठित सोसायटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं तथा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इसका उपाध्यक्ष बनाया है।
गौरतलब है कि इसमें कुल 28 सदस्य हैं जिनमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, संस्कृति मंत्री प्रलाद सिंह पटेल, विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्यप्रकाश और प्रसिद्ध विद्वान लोकेश चन्द्र, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय, सचिव सच्चिदानंद जोशी, गीतकार प्रसून जोशी, पाकार रजत शर्मा, शिक्षाविद् कपिल कपूर, शिक्षाविद् मकरंद परांजपे, पत्रकार एवं सांसद स्वप्न दास गुप्ता आदि शामिल हैं।
संस्कृति मंत्रालय द्वारा कल जारी आदेश के अनुसार सभी सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्षों एवं अग्रिम आदेश तक होगा। सोसाइटी में छह सदस्य पदेन हैं जिनमें संस्कृति सचिव, नेहरू स्मारक एवं संग्रहालय के निदेशक आदि शामिल हैं।
पिछली सोसाइटी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह और जयराम रमेश भी थे। मोदी सरकार जब सत्ता में आई थी तो उसने सोसाइटी का पुनर्गठन किया था लेकिन उसमें कम से कम कुछ कांग्रेसी सदस्य थे लेकिन इस बार एक भी कांग्रेस के सदस्य को नहीं रखे जाने पर कांग्रेस ने इसकी तीखी आलोचना की है। इस बार सदस्यों की संख्या 34 से घटाकर 28 कर दी गई है।
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया था कि मोदी सरकार इस संस्था से नेहरू की स्मृति को मिटाने का काम कर रही है।
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