अमेरिका के साथ शहद निर्यात पर शुल्क का मुद्दा उठाए सरकार : CAI

Last Updated 25 May 2025 02:05:50 PM IST

अमेरिका द्वारा भारत के शहद निर्यात पर फिलहाल 10 प्रतिशत के शुल्क के कारण देश के शहद निर्यातकों को काफी नुकसान हो रहा है और उन्होंने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से अमेरिका के समक्ष इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने और इसे पूर्वस्तर पर लाने की मांग की है।


अमेरिका के साथ शहद निर्यात पर शुल्क का मुद्दा उठाए सरकार : CAI

इससे शहद निर्यातकों को अच्छा दाम मिल सकेगा और शहद उत्पादक किसानों को उचित लाभ मिल सकेगा।

मधुमक्खीपालन उद्योग परिसंघ (कनफेडरेशन ऑफ एपीकल्चर इंडस्ट्री या सीएआई) के अध्यक्ष देवव्रत शर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘शुल्क युद्ध शुरु होने से पहले, भारत से निर्यात होने वाले शहद पर शून्य शुल्क लगता था जिसे मौजूदा समय में 10 प्रतिशत किया गया है। 

तीन महीने या 90 दिन तक यह शुल्क फिलहाल 10 प्रतिशत रहेगा लेकिन उसके बाद अमेरिका इसे 26 प्रतिशत करने की मंशा रखता है। इस वृद्धि के बाद भारतीय शहद निर्यात बुरी तरह प्रभावित होगा क्योंकि उसपर 520 डॉलर प्रति टन का शुल्क लागू हो जायेगा।’’ 

शर्मा ने कहा कि देश के शहद निर्यातकों को पहले ही काफी कम दाम (लगभग 2,000 डॉलर प्रति टन) मिल रहा है। 

उन्होंने कहा कि इस शुल्क वृद्धि के कारण शहद निर्यात के लिए जो पहले 2,000 डॉलर प्रति टन का अधिकतम निर्यात मूल्य (एमईपी) अनिवार्य किया गया था और इसमें शहद निर्यातकों एवं किसानों के लाभ की कल्पना की गई थी, वे सब बेअसर हो जाएंगे। 

शर्मा ने कहा कि भारत का सर्वाधिक 90 प्रतिशत शहद का निर्यात अमेरिका को किया जाता है। अमेरिका यदि शुल्क बढ़ाएगा तो हमारे देश का मधुमक्खीपालन उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा। 

उल्लेखनीय है कि सरसों से निकले शहद की उसके औषधीय गुण के कारण सबसे अधिक निर्यात मांग है।

सीएआई के अध्यक्ष ने कहा कि अभी देश के मधुमक्खीपालकों और शहद निर्यातकों के सामने वियतनाम और अर्जेन्टीना भी चुनौती पेश कर रहे हैं। ये देश शहद को फिल्टर (छान देना) कर उसे 1,500-1,600 डॉलर प्रति टन के भाव निर्यात कर रहे हैं। इन देशों की कम कीमत के कारण भारतीय शहद (2,000 प्रति टन) के समक्ष चुनौती पैदा हो रही है। 

उन्होंने बताया कि प्राकृतिक शहद के मुकाबले फिल्टर किया गया शहद इसलिए भी सस्ता होता है क्योंकि शहद में पाये जाने वाले और 20 माइक्रॉन आकार के पोषक तत्व को अलग कर दिया जाता है। शुल्क के अलावा भारत पर डंपिंग-रोधी शुल्क 2.5 प्रतिशत लगता है और वियतनाम पर यह शुल्क 100 प्रतिशत है। लेकिन वियतनाम के फिल्टर शहद होने के कारण यह डंपिंग-रोधी शुल्क ‘शून्य’ हो जाता है यानी यह शुल्क की परिधि से बाहर हो जाता है। इससे भारतीय शहद निर्यात प्रभावित होता है और अंतत: भारत के मधुमक्खीपालक किसान प्रभावित हो रहे हैं।

मधुमक्खीपालक किसानों और उद्योग की ओर से सीएआई अध्यक्ष ने वाणिज्य मंत्री से अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में देश के किसानों की इस समस्या को सुलझाने की मांग की है ताकि किसानों की आय बढ़ाने और उनमें खुशहाली लाने के सरकार के इस प्रयास को बल मिल सके।

भाषा
नयी दिल्ली


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